पौष्टिक हाइड्रोपोनिक्स चारे से बढ़ाएं दुग्ध उत्पादन, हफ्तेभर में घर पर करें तैयार

डेयरी टुडे डेस्क
28 सितंबर 2017,

वैज्ञानिकों ने एेसा चारा उगाया है, जिसे खाकर पशु 15 से 20 फीसदी तक ज्यादा दूध देने लगेंगे। इस विधि को हाइड्रोपोनिक्स कहते हैं। इसे अपनाकर कम लागत में चारा तैयार किया जा सकता है। पशुओं की अच्छी नस्ल होने के बाद भी उत्पादन कम रह जाता है। पशुओं के लिए उचित आहार का प्रबंधन कर उत्पादकता के साथ ही आर्थिक स्थिति में भी सुधार लाया जा सकता है। जिले में पानी की कमी के कारण हरा चारे की फसल नहीं ले पाते हैं।

हाइड्रोपोनिक्स विधि से कम पानी में हरा चारा तैयार किया जा सकता है। इस विधि में हम कम पानी में दुधारु पशुओं के लिए पौष्टिक हरा चारा तैयार करने की यह मशीन किसानों के प्रदर्शन के लिए स्थापित की है।

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक पशुपालन डॉ.रुपेश जैन ने बताया हाइड्रोपोनिक्स विधि से मक्का, ज्वार, बाजरा से हरे चारे को तैयार किया जा सकता है। इस विधि से तैयार चारे में पौष्टिक तत्वों की मात्रा परंपरागत चारे की तुलना में ज्यादा होती है। इसमें जगह भी कम लगती है।

ऐसे बनाएं हाइड्रोपोनिक्स चारा


इस विधि से हरे चारे को तैयार करने के लिए सबसे पहले मक्का, ज्वार व बाजरा के दानों को 24 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखा जाता है। इसके बाद जूट के बोरे में ढककर अंकुरण के लिए रखा जाता है। अंकुरण निकलने के बाद इसे हाइड्रोपोनिक्स मशीन की ट्रे (2 बाय 1.5 फीट) में बराबर मात्रा में फैलाया जाता है। चौथे से दसवें दिन तक इसमें वृद्धि होती है।

इस दौरान ट्रे में 7 दिनों तक फौव्वारा के द्वारा दिन में 8 से 10 बार सिंचाई की जाती है। दसवें दिन एक ट्रे में लगभग 10 किलो तक हरा चारा तैयार हो जाता है। चारे की हाइट भी 6 से 8 इंच तक की हो जाती है।

इस विधि से तैयार चारे को 15 से 20 किलो तक दूध देने वाले पशुओं को खिलाया जा सकता है। पशुओं को खिलाने से दूध उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि के साथ ही दूध में वसा की 10 से 15 प्रतिशत बढ़ोतरी होती है।

18-20 हजार होंगे खर्च


इस विधि को अपनाने के ज्यादा रुपए भी नहीं चुकाने होंगे। 50 ट्रे वाली मशीन के लिए 18 से 20 हजार रुपए का खर्च आएगा। जिसमें 5 ट्रेे प्रतिदिन 50 किलो हरा चारा निकलेगा। इससे 5 पशुओं को आहार दिया जा सकता है।

परंपरागत तरीके से चारा तैयार करने में 25 से 30 लीटर पानी की खपत होती है। वहीं इस विधि को अपनाकर 2 से 3 लीटर प्रतिदिन पानी में ही सिंचाई हो जाएगी।

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