डेयरी टुडे नेटवर्क,
रांची, 8 अप्रैल 2020,
कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर डेयरी उद्योग और दुग्ध उत्पादन से जुड़े लोगों पर पड़ा है। देश के अन्य राज्यों की भांति अगर झारखंड सरकार यहां के दुग्ध किसानों पर ध्यान नहीं देती है, तो वे बर्बाद हो जाएंगे। कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू होने के बाद झारखंड में दूध की डिमांड 50% से अधिक घट गयी है। नतीजा यह हो रहा है कि मेधा डेयरी ने किसानों से दूध का उठाव कम कर दिया है। मौजूदा समय में मेधा डेयरी द्वारा दुग्ध किसानों से प्रतिदिन 70,000 से 72,000 लीटर ही दूध लिया जा रहा है। जबकि सामान्य दिनों में 1.30-1.35 लाख लीटर दूध लिया जाता था। सामान्य दिनों में मेधा डेयरी की झारखंड में 1.15-1.25 लाख लीटर दूध की बिक्री हर दिन होती थी। अभी बिक्री घटकर हर दिन 45,000 से 50,000 लीटर हो गयी है। इसके बाद भी हर दिन 20,000 से 25,000 लीटर दूध सरप्लस हो रहा है।
झारखंड में कोई मिल्क पाउडर प्लांट नहीं होने के कारण दूध से मिल्क पाउडर नहीं बन पा रहा है। यही कारण है कि किसानों से दूध भी कम लिया जा रहा है। चाह कर भी झारखंड मिल्क फेडरेशन कुछ नहीं कर पा रहा है। इससे यहां के दुग्ध किसान काफी परेशान हैं। कई राज्यों में वहां की सरकार ने सरप्लस दूध से पाउडर बनाने का काम शुरू किया है। महाराष्ट्र में तो दूध की डिमांड घटने के बाद वहां की सरकार ने को-ऑपरेटिव को प्रतिदिन 10 लाख लीटर दूध को पाउडर में कन्वर्ट करने का निर्देश दिया है। इसके लिए 180 करोड़ रुपये की मदद भी दी है। वहीं, कर्नाटक सरकार ने कहा है कि जितना दूध नहीं बिक पा रहा है, वह शहरी गरीबों के बीच बांटा जाएगा। इसके लिए 200 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है।
बिहार में पहले से ही आंगनबाड़ी में मिल्क पाउडर का सप्लाई होता है। जितना भी दूध सरप्लस होता है, उसे मिल्क पाउडर में कन्वर्ट कर दिया जाता है और इसकी सप्लाई वहां पर होती है। इससे वहां पर अधिक परेशानी नहीं हो रही है। जबकि उत्तराखंड में 5 मार्च को मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना के तहत ढाई लाख स्टूडेंट को 20,000 आंगनबाड़ी सेंटर के तहत सप्ताह में दो बार दूध दिए जाने की योजना शुरू की गयी है। इसमें पाउडर दूध भी देने की योजना है। इससे सरप्लस दूध को लेकर होने वाली परेशानी दूर हो गयी है।
मेधा डेयरी के एमडी सुधीर कुमार सिंह के मुताबिक झारखंड मिल्क फेडरेशन ने झारखंड सरकार को पहले ही प्रस्ताव दिया है कि कोरोना वायरस के संकट में गरीबों के बीच दूध का वितरण करने से किसानों को जहां बाजार मिल जायेगा। वहीं, गरीबों को भी लाभ मिल सकेगा। इससे किसानों की स्थिति संभल पायेगी। लेकिन झारखंड सरकार ने अभी उनके प्रस्ताव पर कोई विचार नहीं किया है।
(साभार- प्रभात खबर)
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R P Singh जी नमस्कार, इस समय संकट में घिरे दुग्ध उत्पादक किसानों के लिए आपकी सलाह काफी कारगर साबित हो सकती है। कृप्या आपना मोबाइल नंबर डेयरी टुडे को शेयर करें, या फिर हमें editor@dairytoday.in और dairytodayin@gmail.com पर मेल करें। आपकी अति कृपा होगी। धन्यवाद, संपादक, http://www.dairytoday.in, नई दिल्ली।
Haryana me milk business Barbad hoo raha hai
Punjab me bahut hall hai
Hoo