कोरोना महामारी ने बर्बाद किया आइसक्रीम उद्योग, 4 महीने में करीब ₹ 45,000 करोड़ का नुकसान

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 2 जुलाई 2020,

कोरोना महामारी का सबसे बड़ा असर अगर किसी उद्योग पर पड़ा है तो वो डेयरी इंडस्ट्री पर। डेयरी इंडस्ट्री में भी सबसे अधिक आइसक्रीम उद्योग कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित हुआ है। गर्मियां शुरू होते ही आपको जगह-जगह आइसक्रीम के ठेले दिखने शुरु हो जाते हैं, लेकिन इस बार मार्च में कोरोना की दस्तक के साथ लगे लॉकडाउन ने इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को परेशानी में डाल दिया है। 25 मार्च को जो लॉकडाउन शुरू हुआ था, वही आइसक्रीम की खपत बढ़ने की शुरुआत होती है। तमाम कंपनियों और मैन्युफैक्चरर ने इसके लिए तैयारी की थी, लेकिन लॉकडाउन में सब धरी की धरी रह गईं।

अब तो गर्मी की पीक सीजन भी गुजर चुका है। कोरोना के चलते इस बार की गर्मी में आइसक्रीम के व्यापार को करो़ड़ों का नुकसान हुआ है। संगठित क्षेत्र की बात करें तो यहां अनुमान के मुताबिक 15,000 करोड़ रुपये और असंगठित क्षेत्र की बात करें तो यहां 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। आइसक्रीम की मांग जिस समय अंतराल में सबसे ज्यादा होती है वो है फरवरी से जून का महीना लेकिन अभी तक देश में कुछ इलाकों में लॉकडाउन और बाजार खुलने की पाबंदियों की वजह से आइसक्रीम की बिक्री पर गहरा असर पड़ा है। कोरोना संक्रमण का भय भी इस इंडस्ट्री पर भारी पड़ा है। आपको बता दें कि सामान्य तौर पर गर्मियों के चार महीनों में ही आइसक्रीम के पूरे साल का 50 फीसदी हिस्सा आता है।

आइसक्रीम उद्योग पर प्रवासी मजदूरों के पलायन का भी गहरा असर पड़ा है, ज्यादातर प्रवासी मजदूर आइसक्रीम के ठेलों को चलाते हैं। इंडियन आइसक्रीम मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता अनुव्रत ओबराय ने एक समाचार चैनल को बताया कि जब से वो आइसक्रीम उद्योग में आए हैं, यह अबतक का सबसे बुरा दौर देख रहे हैं। उन्होंने बताया कि जुलाई के अंत तक चलने वाला सीजन पूरी तरह बर्बाद हो गया है। प्रवासी मजदूरों के जाने के बाद से पुशकार्ट चलाने वाले बहुत कम बचे हैं। एसोसिएशन की इच्छा है कि जल्द से जल्द प्रवासी मजदूर यहां लौटें और दोबारा उद्योग को शुरू किया जाए।

इंडियन आइसक्रीम मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन लगभग 80 सदस्यों के साथ भारतीय आइसक्रीम निर्माताओं का टॉप संघ है। सभी बड़े आइसक्रीम ब्रांड निर्माता जैसे क्वालिटी वॉल, क्रीम बेल, वाडीलाल, अरुण और नेचुरल मामा मिया जैसी कंपनियां एसोसिएशन की सदस्य हैं। अनुव्रत ओबराय ने बताया कि संगठित क्षेत्र जो एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनका कारोबार लगभग 15-17 हजार करोड़ रुपये का है और एसोसिएशन ने राजस्व के मामले में पहले ही लगभग 5,000-6,000 हजार करोड़ खो दिए हैं।

पूर्वी भारत में आए चक्रवात तूफान ने मई में आइसक्रीम उद्योग को और चोट पहुंचाई। बिजली की आपूर्ति की वजह से कोल्ड स्टोरेज तक पहुंच नहीं बढ़ी, जिससे आइसक्रीम को पिघलने से रोकने में कई परेशानियां सामने आईं। जून में दुकानें धीरे-धीरे खुलने लगी थी लेकिन मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, चेन्नई जैसे बड़े शहरों में स्थिति अभी भी खराब है।

हालांकि अब लोगों का बाहर निकलना धीरे-धीरे बढ़ रहा है लेकिन रात नौ बजे के बाद सब बंद हो जाता है। आमतौर पर लोग आइसक्रीम खाने के लिए रात को ही बाहर निकलते हैं लेकिन नौ बजे की डेडलाइन से रेस्त्रां भी नुकसान भुगत रहे हैं। अगर शहरों में रात 11-12 बजे तक खोलने की अनुमति मिलती है तो उद्योग की स्थिति में थोड़ा सुधार आ सकता है।

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