मारवाड़ के पारम्परिक भोजन दाल-बाटी-चूरमा के बारे में कौन नहीं जनता यह राजस्थान के अलावा पूरे भारत में प्रसिद्ध है । लेकिन अब इसे बनाने के लिए अब मेहनत नहीं करनी पड़ेगी क्योंकि दाल-बाटी-चूरमा बनाने के लिए अब मशीन भी आ गई है। यह किसी कंपनी ने नहीं बनाई बल्कि खेती के उपकरण रिपेयर करने वाले बैठवासिया निवासी कन्हैयालाल सुथार ने तैयार किया है। वह भी पुराने कल-पुर्जों से।
इस मशीन से दाल-बाटी बनाने में समय की बचत के साथ बड़ी संख्या में लोगों के लिए भोजन बनाया जाना संभव हुआ है। आमतौर पर जागरण,धार्मिक अनुष्ठान और गोठ में यहां यही भोजन बनाने की परंपरा है लेकिन बाटी कुछ ही लोग बना पाते हैं। धीरे-धीरे लोगों का रुझान दाल बाटी चूरमा से हटने लगा है। भोजन-महाप्रसादी में दूसरे व्यंजन बनाने लग गए हैं। ऐसे में यह मशीन इस परंपरा को आगे बढ़ाने में कारगर साबित होगी।
कन्हैयालाल तिंवरी कस्बे में थ्रेशर मशीनों को ठीक करने का काम करते हैं। कई मशीनें खराब हो जाती है। उसके पार्ट्स को ढेर लग गया था। उनके दिमाग में आया कि क्यों न इन पार्ट्स से कुछ नया किया जाए। फिर क्या वे दाल बाटी चूरमा बनाने की मशीन के नवाचार में जुट गए। मशीन देखने में भारी-भरकम लगती है, लेकिन इसे पहियों पर भी इधर-उधर लाया-ले जाया सकता है। इसे ट्रैक्टर के पीछे जोड़कर लाने ले जाने में भी आसानी रहती है।
कन्हैयालाल बताते हैं कि क्षेत्र के कृषि फार्मों पर होने वाले जागरणों में वे जाते रहते हैं। वहां लोगों को दाल बाटी चूरमा बनाते देखा। एक बार बाटी सेंकते हुए एक किसान के हाथ जल गए थे। तब लोगों ने कहा कि सब मशीनें आ गई, बाटी के लिए कोई मशीन नहीं आया। उस वक्त यह मशीन बनाने का आइडिया आया।
इस मशीन में चार भाग हैं, जिनमें से एक में सूखा आटा, पानी डाला जाता है। आटा मशीन गूंथ देती है। दूसरे भाग में बॉक्सनुमा ओवन है। इसमें 4 से 6 दराज है। इसमें बाटी भर दी जाती है। सबसे नीचे वाले भाग में कोयले जलाए जाते हैं। 20 मिनट की आंच से बाटी पक-कर तैयार हो जाती है। तीसरे भाग में चूरमा की मशीन है। अगले भाग में गैस भट्टी लगी है।
इस पर दाल बनाई जाती है। दो व्यक्ति 500 लोगों के लिए एक घंटे में दाल बाटी चूरमा तैयार कर सकते हैं। एक बार कोयला डालने के बाद गर्म होने में 10 मिनट लगते हैं। इसके बाद बाटी तैयार होनी शुरू हो जाती है। कोई ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है। बल्कि कोयले से ही बाटी पकती है। ट्रैक्टर द्वारा चूरमा मशीन चलाकर चूरमा बनाया जाता है।
इन्होंने लगभग 15 धर्मस्थानों व संतों के यहां पर यह मशीन लागत कीमत पर बनाकर दी है।
(साभार-दैनिक भास्कर)
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Baori jodhpur se hu churma ki masin ki rate kiya h
hello sir aap ke contact number mil skte hain
Only bati bsnane ki machine Kya price hai …Kya app bana doge