पुणे, 20 जुलाई 2017,
फूड इन्फ्लेशन के ठंडा पड़ने के बीच अमूल, पराग और हैटसन ऐग्रो को अगले 6-12 महीनों के दौरान दूध की कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद हैं। गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के मैनेजिंग डायरेक्टर आर एस सोढी के मुताबिक, कमोडिटी की कीमतों में गिरावट और मिल्क पाउडर के एक्सपोर्ट में कमी से दूध की कीमत संचालित होने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘कमोडिटी की कीमतों में गिरावट के कारण दूध की कीमतें अगले 6 महीने से 1 साल में स्थिर रहने की उम्मीद हैं।’
गर्मियों के सीजन के दौरान ज्यादातर डेयरी कंपनियों ने दूध की कीमतों में बढ़ोतरी की थी। नतीजतन, फुल फैट वाले दूध की कीमत 52 रुपये प्रति लीटर हो गई और डबल टोन्ड दूध 38 रुपये प्रति लीटर हो गया। भारत तकरीबन 5 लाख टन मिल्क पाउडर का उत्पादन करता है और तकरीबन 3 साल पहले तक वह लगभग 1 लाख टन मिल्क पाउडर का एक्सपोर्ट करता था, जिसे तकनीकी तौर पर सॉलिड नॉट फैट (एसएनएफ) कहा जाता है। हालांकि, एसएनएफ की ग्लोबल कीमतों में गिरावट के कारण इसका एक्सपोर्ट लगभग ठहर गया।
गो चीज ब्रैंड के तहच चीज बेचने वाली डेयरी इकाई पराग मिल्क फूड्स के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर देवेंद्र शाह ने बताया, ‘ग्लोबल कीमतें कम होने के कारण एसएनएफ की मांग कम रही है।’ दक्षिण भारत की प्रमुख डेयरी इकाई हैटसन ऐग्रो के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सी जी चंद्रमोगन ने भी देश में दूध की पर्याप्त उपलब्धता और इसके परिणास्वरूप कीमतों में स्थिरता की पुष्टि की।
कॉटन, सोयाबीन, मक्का आदि ऐग्रीकल्चर कमोडिटीज के बंपर उत्पादन के कारण पशुओं का चारा सस्ता हो गया है, जिससे दूध की प्रॉडक्शन कॉस्ट कम हो गई है और मवेशियों की उत्पादकता बढ़ गई है। हालांकि, डेयरी इंडस्ट्री एसएनएफ के इकट्ठा स्टॉक का बड़ा हिस्सा खत्म करने में कामयाब रही है, लेकिन मॉनसून का प्रदर्शन और ग्लोबल स्तर पर कीमतों का माहौल भविष्य में देश में दूध की कीमतों के ट्रेंड पर असर डालेगा।
साभार-नवभारत टाइम्स
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