डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर 2018
भारत में डेयरी उद्योग में असीम संभावनाएं है. दुनिया के कुल डेयरी उत्पादन का 20 परसेंट हिस्सा सिर्फ भारत से आता है. आज तक के कृषि इनोवेशन समिट 2018 में डेयरी उद्योग में रोजगार और कमाई पर चर्चा हुई. इस पूरे सत्र को ‘डेयरी में है दम’ नाम दिया गया.
गुजरात को-आपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर आर एस सोढ़ी ने आंकड़ों के जरिये डेयरी उद्योग की सुनहरी तस्वीर पेश की. उन्होंने कहा कि भारत में डेयरी का उत्पादन लगभग 7 लाख करोड़ रुपये का है. पूरे विश्व में डेयरी उत्पादन में भारत नंबर वन है. आर एस सोढ़ी ने कहा कि गेहूं, गन्ना और चावल के प्रोडक्शन को भी जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा यहां तक नहीं पहुंचेगा. सोढ़ी ने बताया कि भारत में डेयरी फार्मिंग का विकास 6.5 प्रतिशत है, जबकि दुनिया में ये आंकड़ा 2 प्रतिशत ही है. उन्होंने कहा कि अगले पांच साल में भारत के किसान 35 मिलियन मीट्रिक टन का दूध उत्पादन करेंगे.
आर एस सोढ़ी ने बताया कि दुनिया के डेयरी उत्पादन का 20 परसेंट हिस्सा अकेले भारत देता है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में दूध की खपत प्रति व्यक्ति 380 ग्राम है. उन्होंने कहा कि दुनिया में अब कार्बोहाइड्रेट से हटकर प्रोटीन के सेवन का चलन बढ़ रहा है, इससे अगले 50 साल में भारत में दूध की बढ़कर 850 ग्राम हो जाएगी.
आर एस सोढ़ी के मुताबिक अगर 1 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है तो 11 हजार लोगों को रोजगार मिलता है. सोढ़ी ने बताया कि डेयरी उद्योग को भी मॉर्डन बनाने की जरुरत है. इसमें शहरी और पढ़े-लिखे लड़कों को लाया जाने की जरूरत है, ताकि इसे भी कूल कहा जा सके. उन्होंने कहा कि आज कमर्शियल डेयरी फार्मिंग से 30 से 35 हजार रुपये महीना कमाया जा सकता है, इसके लिए लगभग 20 लाख रुपये निवेश किये जाने की जरूरत है. उनका दावा है कि अगर कमर्शियल तरीके से डेयरी उद्योग में लगा जाए तो आईटी से सौ गुना ज्यादा कमाई की जा सकती है.
कार्यक्रम में शिरकत कर रहे आईएलआरआई के क्षेत्रीय प्रतिनिधि डॉ हबीबुर रहमान ने कहा कि इस उद्योग में किसानों के लिए समस्या ये आ रही है कि वे दूध नहीं देने वाले पशुओं को बेच नहीं पा रहे हैं.
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एके सिंह ने कहा कि डेयरी उद्योग को लेकर लोगों का नजरिया बदला है. उन्होंने कहा कि अब एमबीए ग्रेजुएट, मीडिया, आईटी प्रोफेशनल्स डेयरी उद्योग में रुचि में रहे हैं. डॉ सिंह के मुताबिक डेयरी व्यवसाय जाति के बंधन को तोड़कर आगे निकल चुका है. उन्होंने कहा कि इस उद्योग में दूध से तो कमाई की ही जाती है डेयरी उद्योग में जानवरों के वेस्ट से भी आय होती है. डॉ एके सिंह के मुताबिक हरियाणा के किसान किराये पर जमीन लेकर वर्मी कंपोस्ट बनाते हैं और इसे हिमाचल के सेब बगानों को बेचते हैं.
(साभार- आज तक)
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What said by MR Sodhi is correct that india is growing fast in dairy sector , consumption increasing and involvement of young crowd in this Businesses. I wish if we look into the realistic cost of production at farm level and money paid to producers V/s MRP of milk in pouch . You may find the difference. If commercial farming need to be successful we must is all come aspects of this .