लॉकडाउन में डेयरी का धंधा चौपट, इस राज्य में डेयरी किसानों को रोजाना 44 करोड़ का नुकसान

डेयरी टुडे नेटवर्क,
भोपाल, 30 अप्रैल 2020,

कोरोना वायरस महामारी के चलते देशभर में लगाए गए लॉकडाउन ने दुग्ध उत्पादन करने वाले लाखों किसानों की कमर भी तोड़ दी है। मध्य प्रदेश में ऐसे 60 लाख पशुपालक-किसान रोजाना करीब 43.60 करोड़ रुपये का नुकसान उठा रहे हैं। इन किसानों का 1.9 करोड़ लीटर दूध नहीं बिक रहा है। नई दुनिया की खबर के मुताबिक किसानों ने नुकसान की वजह से मवेशियों की खुराक कम कर दी है, इसलिए दूध का उत्पादन भी गिर रहा है। अतिरिक्त दूध से किसान घी व मावा बना रहे हैं। मावा खराब होने का डर है तो घी के लिए बाजार नहीं मिल रहा है।

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दुग्ध उत्पादकों को ऐसे हो रहा नुकसान

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में रोज 4 करोड़ 36 लाख लीटर दूध उत्पादन होता है। ये आंकड़े साल 2018-19 के हैं। भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के पूर्व संचालक बलराम बारंगे बताते हैं कि इसमें से किसान सामान्य दिनों में 50 फीसदी दूध यानी 2 करोड़ 18 लाख लीटर बेचते हैं और इतना ही घरेलू खपत के लिए रखते हैं। लॉकडाउन अवधि में किसानों का 2 करोड़ 18 लाख लीटर में से भी करीब आधा दूध नहीं बिक रहा है, जो अनुमानित 1 करोड़ 9 लाख लीटर है। यह प्रति लीटर 40 रुपये के हिसाब से 43.60 करोड़ रुपये का होता है। बलराम बारंगे का कहना है कि किसानों से यह दूध सहकारी संघ व निजी कंपनियां खरीदती हैं। लॉकडाउन के कारण निजी कंपनियों ने खरीदी लगभग बंद कर दी है। सहकारी दुग्ध संघ खरीद रहे हैं, लेकिन उनके पास अधिकतम 12 लाख लीटर रोज खरीदी करने की क्षमता है, जो फिलहाल 10 लाख लीटर ही खरीद रहे हैं।

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दूध उत्पादन में तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश दूध के उत्पादन में देश में तीसरे नंबर पर है। पहले पर उत्तर प्रदेश व दूसरे नंबर पर राजस्थान हैं। हर साल दूध उत्पादन की गणना राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड व राज्यों का पशुपालन विभाग करता है। साल 2018-19 के बाद से गणना नहीं हुई है।

स्थानीय बाजारों में भी दूध की खपत नहीं

भोपाल संघ के पूर्व चेयरमैन मस्तान सिंह का कहना है कि किसान निजी कंपनियों के साथ-साथ स्थानीय बाजारों में दूध बेचकर परिवार चलाते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण बाजार बंद हैं। मिठाई, रेस्टोरेंट, होटलों के बंद होने से वहां भी दूध की खपत बंद हो गई है। बैतूल जिले के डहुआ गांव के किसान रामशंकर करदाते का कहना है कि वे सहकारी समिति में दूध बेचते हैं। सप्ताह में दो दिन समिति दूध नहीं खरीद रही है। निजी कंपनियों ने तो 30 दिन पहले ही खरीदी बंद कर दी थी। होशंगाबाद के रोहना के किसान रूपसिंह का कहना है कि गांवों में दूध नहीं बिकने की वजह से किसान घर में ही मावा व घी बना रहे हैं।
(साभार- नई दुनिया)

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