डेयरी टुडे नेटवर्क,
मुंबई, 3 अप्रैल 2020,
महाराष्ट्र सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए दैनिक आधार पर 10 लाख लीटर दूध खरीदने का फैसला किया है। यह फैसला उपमुख्यमंत्री अजीत पवार की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। राज्य सरकार किसानों से दैनिक आधार पर 10 लाख लीटर दूध 25 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदेगी। दूध खरीदी जल्द शुरू हो जाएगी और कोरोना का संकट खत्म होने के बाद भी अगले दो-तीन महीनों तक जारी रहेगी। लॉकडाउन शुरू होने के बाद राज्य में दूध की खपत कम हो गई है। लॉकडाउन के कारण बाजार में डिमांड और सप्लाई की चेन टूट गई है। शहरों में मिठाइयों की दुकानें बंद होने से वहां होने वाली दूध की खपत बंद हो गई थी। दूध से पाउडर, पनीर, चीज जैसे पदार्थ बनाने वाले कारखाने भी बंद है, जिस कारण दूध की खपत में कमी आई है।
दूध की मांग कम होने के कारण किसानों से खरीदे जाने वाले दूध के भाव में 15 से 20 रुपये प्रति लीटर तक की कमी आ गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को दूध जानवरों को पिलाते एवं पेड़-पौधों की जड़ों पर डालते देखा जा रहा है। किसानों को इस नुकसान से बचाने के लिए राज्य सरकार को यह फैसला करना पड़ा। दुग्ध खरीद पर राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान लगाया है।
बताया जा रहा है कि अब सरकार की कोशिश रहेगी कि इस दूध को पाउडर में बदला जाए। यह योजना दुग्ध महासंघ के माध्यम से प्रभावी करने की तैयारी है। इस दूध का दूध पाउडर बनाकर ऑनलाइन बेचने की कोशिश रहेगी।
सरकार के इस फैसले का किसान संगठनों ने स्वागत किया है। लेकिन इससे किसानों का पर्याप्त राहत मिल सकेगी, इसमें आशंका भी जताई है। अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश सचिव डॉ. अजीत नवले कहते हैं कि महाराष्ट्र में दूध का कुल उत्पादन करीब एक करोड़, 30 लाख लीटर का है। इसमें से सिर्फ 40 लाख लीटर दूध पॉलीथिन पैकेट के जरिए घरेलू खपत के लिए भेजा जाता है शेष 90 लाख लीटर दूध के पाउडर या अन्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं।
डॉ. नवले का मानना है कि महाराष्ट्र के दुग्ध उत्पादक किसानों का संकट जल्द खत्म होने वाला नहीं लगता। क्योंकि दुग्ध से तैयार होने वाले पदार्थों का निर्यात अगले कई महीनों तक सामान्य होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही। इसलिए महाराष्ट्र सहित पूरे देश के दुग्ध उत्पादक किसानों के लिए राज्य सरकारों को कोई दीर्घकालीन नीति बनानी चाहिए। जिससे उन्हें नुकसान से बचाया जा सके।
सरकार का निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि बारामती, सतारा, पुणे, अहमदनगर, उस्मानाबाद सोलापुर और औरंगाबाद के किसानों की तरफ से दूध इकट्ठा किया जा रहा है। लेकिन लॉकडाउन के कारण बाजार में डिमांड और सप्लाई की चेन टूट गई है। सरकार ने सारे जिला दुग्ध संघों को स्पष्ट किया है कि दूध की खरीदारी होनी है। इसके बाद दूध को ऐसे फॉर्म में बदलना है जिसमें लंबे समय तक इसको सुरक्षित रखा जा सके।
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