डेयरी टुडे नेटवर्क,
बेंगलुरू, 25 मई 2020,
कर्नाटक के गांव में डेयरी किसानों को हजारों लीटर दूध नाली में बहा देना पड़ा। होसकोटे तहसील के निकट चिक्का कोरटी गांव के दुग्ध उत्पादक किसानों को मजबूरन चार हजार लीटर दूध नाली में बहा देना पड़ा। बताया जा रहा है कि कर्नाटक के चिक्का कोरटी गांव में एक कोरोना मरीज मिलने के बाद दुग्ध महासंघ ने डेयरी किसानों से दूध लेने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उनके पास दूध को नाली में बहाने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था।
किसानों के अनुसार गांव की एक गर्भवती महिला का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाया गया था। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना पॉजिटिव महिला के तीन परिजनों को संस्थागत क्वारंटाइन में भेज दिया और प्रशासन ने पूरे गांव को सील कर दिया। किसानों का आरोप है कि गांव सील होने केे कारण कर्नाटक दुग्ध महासंघ ने दूध लेने से इनकार कर दिया और जिसके बाद उन्हें मजबूरन चार हजार लीटर दूध नाली में फेंक देना पड़ा।
गांव के एक किसान गुरु कोरटी ने बताया कि होसकोटे तहसील मेंं हमारा गांव दुग्ध उत्पादन में अव्वल है। गांव में प्रतिदिन चार हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। जब कर्नाटक दुग्ध महासंघ को पता चला कि गांव में कोरोना का मरीज पाया गया है तो उन्होंने दूध लेने से इनकार कर दिया। निराश होकर हमने दूध को नाली में डाल दिया। गुरु का कहना था कि हम न तो दूध बेच पा रहे हैं और न ही अपनी सब्जियों को। सरकार को हमारी समस्या का समाधान करना चाहिए।
गांव के ही एक अन्य किसान ने बताया कि उनके गांव में सिर्फ 130 परिवार रहते हैं, लेकिन गांव में दो मिल्क प्रोड्यूसर्स कॉपरेटिव सोसाइटी (MPCS) हैं। एक चिक्का कोरोटी MPCS और दूसरी डीने कोरोटी MPCS. लगभग हर घर में 50 लीटर दुग्ध उत्पादन होता है, ऐसे में उनके पास दूध को नाली में फेंकने के अलावा और कोई चारा नहीं है।
दूसरी तरफ कर्नाटक दुग्ध महासंघ के एक अधिकारी ने कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी। ऐसी कोई नीति नहीं है कि जिस गांव में कोरोना के मरीज मिलें, वहां से दूध नहीं लिया जाना चाहिए।
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Wrong decision of coop Federation.