डेयरी किसानों और पशुपालकों के लिए खुशखबरी! Kisan Credit Card से मिलेगा 2 लाख रुपये तक का लोन, जानिए कैसे

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 4 जुलाई, 2019,

केंद्र की मोदी सरकार ने डेयरी किसानों और पशुपालकों के हित में बड़ा फैसला लिया है। किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) अब सिर्फ खेती-बाड़ी तक सीमित नहीं रहेगा। मोदी सरकार ने इसकी सुविधा डेयरी फार्मिंग, पशुपालन और मछलीपालन के लिए भी उपलब्ध कराने का ऐलान किया है। अब किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से डेयरी किसान और पशुपालक एवं मछलीपालक अधिकतम दो लाख रुपये तक का लोन ले सकते हैं। आपको बता दें कि किसान क्रेडिट कार्ड से खेती-किसानी के लिए तीन लाख रुपये तक मिल जाता है। केंद्रीय डेयरी,पशुपालन और मत्स्यपालन राज्य मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में इसकी जानकारी दी है।

सिर्फ तीन दस्तावेज दीजिए और 2 लाख तक का लोन लीजिए

अगर आप पशुपालन और मछलीपालन के लिए लोन लेना चाहते हैं तो सीधे बैंक जाईए, आपको सिर्फ तीन डॉक्यूमेंट्स जमा करने होंगे और आपको लोन मिल जाएगा। केंद्रीय डेयरी और पशुपालन राज्यमंत्री श्री सारंगी के मुताबिक मोदी सरकार ने मछलीपालन और पशुपालन करने वाले किसानों के लिए भी किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा दे दी है। ताकि उन्हें अपना कारोबार बढ़ाने के लिए पूंजी की दिक्कत न आए। कृषि मंत्रालय के मुताबिक केसीसी के लिए सिर्फ तीन डॉक्यूमेंट ही लिए जाएंगे। पहला यह कि जो व्यक्ति आवेदन दे रहा है वो किसान है या नहीं। इसके लिए बैंक उसके खेती के कागजात देखेंगे। दूसरा निवास प्रमाण पत्र और तीसरा आवेदक का शपथ पत्र कि उसका किसी और बैंक में लोन का बकाया नहीं है।

अधिक से अधिक किसानों को क्रेडिट कार्ड देने पर जोर

केंद्र सरकार देश के ज्यादा से ज्यादा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड देना चाहती है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक सरकार किसान क्रेडिट कार्ड का दायरा बढ़ाने के लिए जोर लगा रही है। अभी यह लगभग 50 फीसदी किसानों के पास ही है। देश में लगभग 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं, जिसमें से सात करोड़ के पास ही किसान क्रेडिट कार्ड है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे बनवाने के लिए किसानों को जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।

किसान क्रेडिट कार्ड के लिए नहीं ली जाएगी कोई फीस

सरकार ने बैंकिंग एसोसिएशन से कहा है कि किसान क्रेडिट कार्ड के आवेदन के लिए कोई फीस न ली जाए। राज्य सरकारों और बैंकों को कहा गया है कि वो पंचायतों के सहयोग से गांवों में कैंप लगाकर किसान क्रेडिट कार्ड बनवाएं। ताकि किसान संस्थागत ऋण प्रणाली के तहत कर्ज लें न कि साहूकारों से।

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