डेयरी टुडे नेटवर्क,
भारत समेत सभी देशों में किसान डेयरी उद्योग का अहम अंग है। पूरी दुनिया में करीब एक चौथाई आबादी की रोजीरोटी और आमदनी का मुख्य जरिया डेयरी उद्योग है। और इसी बात से साबित होता है कि डेयरी उद्योग का आकार कितना बडा है, जाहिर है कि पूरी दुनिया में करीब 7.5 बिलियन लोगों का जीवन इसी उद्योग के जरिए चल रहा है।
दूध उत्पादन में भारत दुनिया में नंबर वन
भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन करने वाला देश है। पूरी दुनिया के कुल दुग्ध का 13 प्रतिशत भारत में होता है। वित्त वर्ष 2015-16 में भारत में करीब 155.5 मीट्रिक टन दूध का उत्पादन हुआ था। जो कि 2014-15 में 146.3 मीट्रिक टन दूध से करीब 6.3 फीसदी ज्यादा था। जिस तरह से भारत में लगातार दूध की मांग बढती जा रही है उस लिहाज से देश में डेयरी उद्योग को बढावा दिए जाने की जरूरत है ताकि रोजाना बढ रही दूध की खपत को पूरा किया जा सके। और इसके लिए जरूरी है कि भारत में नई और आधुनिक डेयरी तकनीकि का इस्तेमाल किया जाए ताकि तमाम डेयरी प्रोडक्ट कंपनियां और डेयरी फार्म ज्यादा से ज्यादा दूध और दुग्ध उत्पादों का उत्पादन कर सकें।
सबसे पहले दुग्ध संग्रह केंद्रों पर एकत्र किया जाता है दूध
डेयरी उद्योग में गाय से दूध दुहने के बाद उसे लोगों तक पहुंचाया जाता है और इसके लिए तमाम प्रक्रियाओं से गुजरा जाता है। और दूध समेत इससे बने दूसरे उत्पाद जैसे पनीर, मक्खन, योगर्ड, घी, आईसक्रीम आदि बनाए जाते हैं। एक नजर डालते हैं अमूमन डेयरी उत्पादन की प्रक्रिया क्या होती है और किस तरह दूध गाय से हम तक पहुंचता है। डेयरी फार्मिंग में किसान गांवों में या दूसरे दुग्ध उत्पादक दूध गाय या भैंस से दूध को दुहते हैं, इसके लिए ज्यादातर हाथ का इस्तेमाल किया जाता है, हालांकि कई बडे डेयरी फार्म में इसके लिए मशीन का इस्तेमाल भी किया जाता है। पशुओं से दिन में दो बार दूध दुहा जाता है। दूध को बडी केन में एकत्र कर पास की विलेज डेयरी कॉपरेटिव सोसाइटी (वीडीसीएस) में लाया जाता हैं जहां दूध की गुणवत्ता की टेस्टिंग होती है। लगभग ज्यादातर गांवों में इस तरह के दुग्ध संग्रह केंद्र होते हैं और दुग्ध उत्पादन करने वाले किसान ही इसके सदस्य होते हैं और इस सेंटर का प्रबंधन करते हैं।
वीडीसीएस में होती हो दूध की पहली जांच
विलेज डेयरी कॉपरेटिव सोसाइटी का प्रबंधन इसके सदस्य किसानों और दुग्ध उत्पादकों की ओर से किया जाता है। सोसाइटी में से ही किसी एक सदस्य को इसका प्रमुख चुना जाता है और उसी की जिम्मेदारी होती है मिल्क एनालाइजर के जरिए किसानों की तरफ से लाए गए दूध की क्वालिटी जांचने की। इस जांच में दूध में मौजूद फैट, सॉलिड नॉट फैटी (SNF) की मात्रा, दूध की डेंसिटी, दूध में किसी तरह की मिलावट, पानी की मात्रा आदि का पता लगाया जाता है। SNF में दूध में मौजूद केसीन और लैक्टोएल्बुमिन प्रोटीन, लैक्टोज नाम का कार्बोहाइड्रेड, कैल्शियमम और फॉस्फोरस नाम के मिनरल होते हैं और इन्हीं से मिलकर दूध की क्वालिटी बनती है। जांच के बाद मानक के मुताबिक परिणाम को लिखा जाता है और फिर इसी के आधार पर दूध की कीमत किसान को दी जाती है। वीडीसीएस के सदस्य सामूहिक रूप से पूरी प्रक्रिया पर नजर रखते हैं और पारदर्शिता बनाए रखने की कोशिश करते हैं।
गांव के केंद्र पर ही ठंडा किया जाता है दूध
वीडीसीएस में जो भी दूध एकत्र होता है उसे मिल्क कलेक्टर यानी बल्क मिल्क कूलर (बीएमसी) में रखा जाता है। बीएमसी एक एक बडा स्टोरेज टैंक होता है और इसमें टैंकरों में दूध ले जाए जाने तक कम तापमान पर दूध को रखा जाता है। दूध के टैंकर कई तरह के होते हैं और इनकी क्षमता दो, पांच और दस टन हो सकती है। सभी वीडीसीएस में बीएमसी लगाए जाते हैं ताकि वहां एकत्र दूध की क्वालिटी पर कोई असर नहीं पडे। बीएमसी में एक मॉनिटरिंग सिस्टम लगा हुआ होता है जिसके जरिए दूध की क्वालिटी पर नजर रखी जाती है। इसमें एक कंप्रेशर भी लगा होता है जो लगातार दूध को ठंडा रखता है। इसके साथ ही बीएमसी के टैंक में दूध को लगातार घुमाने की मशीन भी लगी होती है जिससे दूध को जमने से रोका जाता है। इस मॉनीटरिंग सिस्टम के जरिए बिजली की आपूर्ति पर भी नजर रखी जाती है। बीएमसी में दूध एकत्र करने से गांव में ही दूध को चिल्ड रखने में मदद मिलती है इससे किसानों को ज्यादा कीमत मिलती है क्यों की दूध को पास के चिलिंग सेंटर तक लाने का उनका खर्चा बचता है।
रेफ्रीजरेटिड टैंकर से प्लांट तक पहुंचता है दूध
इस प्रकार जो भी दूध वीडीसीएस पर एकत्र किया जाता है उसे मिल्क कंपनियों के प्लांट तक ले जाया जाता है और वहां दूध की आगे की प्रोसेसिंग होती है। वीडीसीएस से दूध को रेफ्रीजरेटिड और इंसुलेटिड टैंकरों के जरिए ले जाया जाता है और इन टैंकरों में भी बीएमसी लगा होता है। इन टैंकरों में दूध को एक निश्चित तापमान पर ठंडा रखा जाता है ताकि रास्ते में दूध फटे नहीं और खराब नहीं हो। ये टैंकर दूध के प्लांट में पहुंच कर दूध वहां उडेल कर दूसरे रूट पर दूध एकत्र करने चले जाते हैं।
डेयरी प्लांट में होती है दूध की प्रोसेसिंग
एक बार जब दूघ डेयरी प्लांट में पहुंच जाता है तो फिर वहां फिर से दूध की गुणवत्ता जांची जाती है और अगर सभी मानकों पर दूध खरा उतरता है तो ही उसे आगे की प्रक्रिया की लिए भेजा जाता है नहीं तो वहीं पर दूध को नष्ट कर फेंक दिया जाता है। अगली प्रक्रिया में दूध के कुछ हिस्से को पाश्चुरीकत कर दूध पैक किया जाता है। और फिर पॉलीथीन के पाउच में पैक दूध को चौबीस घंटे में बिक्री के लिए भेज दिया जाता है, इस दूध को चौबीस घंटे में ही खपाना पडता है। जबकि कुछ दूध को प्रिजर्वेटिव के साथ पैक किया जाता है जिससे उस दूध की लाइफ बढ जाती है। और इस दूध को दूर-दराज के इलाकों में बिक्री के लिए भेजा जाता है।
चीज, बटर जैसे डेयरी उत्पाद भी बनाए जाते हैं
बाकी बचे हुए दूध को दूसरे डेयरी प्रोडक्ट जैसे चीज, क्रीम, घी, बटर, मिल्क पाउडर, कंडेस्ड मिल्क, योगर्ट, आइसक्रीम, चॉकलेट्स समेत तमाम चीजें बनाई जाती हैं। दूध से बनने वाले हर उत्पाद को एक विशेष प्रक्रिया के जरिए बनाया जाता है। और फिर इन उत्पादों को अच्छी पैकिंग में पैक कर बिक्री के लिए बाजार में भेज दिया जाता है। डेयरी उत्पादों को पैक करने में काफी सावधानी बरती जाती है और पैकिंग ऐसी होती है कि डेयरी उत्पाद लंबे समय तक खराब नहीं हों। तो ये एक पूरी प्रक्रिया है जिसके जरिए पूरी डेयरी इंडस्ड्री काम करती है और गांवों से दूध एकत्र कर दूध और दूसरे डेयरी उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाता है।
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सरस डेयरी कोड़ नंबर चाहिए गांव में
संकल्प डेयरी रजिस्ट्रेशन नंबर चाहिए गांव दुध इकट्ठा करने केलिए गांव निमाज मे
बेतिया पश्चिमी चंपारण में डेयरी का दुकान खोलना चाहता हूँ।
Bettiah west champaran में डेयरी का दुकान खोलना चाहता हूँ।मोबाइल नंबर-9931966487
डेयरी कोड। चाहिए
डेयरी फार्म हाउस खोलना है
Chilling milk store in Ratanpur darbhanga bihat
dear sir mujhe dudh deri kholna he uske bare me jankari chaiye
Diary kholna chate hu village me kya karna padega
Canter kholna chata hu kya karna padega
पता नया बांस बख्तावरपुर वॉर्ड नं० 16 गढमुक्तेश्वर जिला हापुड मे एक डेयरी लगवानी है। प्रार्थी का मोबाईल न० 8868058990