Dairy Today Network,
नई दिल्ली, 11 अप्रैल 2023
किसानों के हित से जुड़े मसलों की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। पिछले कुछ सप्ताह के दौरान हुई बे-मौसम की बारिश से फसलों को हुए नुकसान पर तो चर्चा हो ही रही है। इन दिनों दूध किसानों की भी चर्चा खूब हो रही है। इसकी वजह पिछले दिनों आई एक खबर से है। दरअसल, पिछले दिनों एक खबर आई थी जरूरत पड़ने पर देश में डेयरी प्रोडक्ट (Dairy Products) के आयात पर विचार किया जा सकता है। केंद्र सरकार की तरफ से आए इस बयान पर घमासान होने लगा। कहा जाने लगा कि इससे गाय-भैंस जैसे दुधारु पशुओं को पाल कर आजीविका चलाने वाले किसानों को नुकसान होगा। इसके बाद केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट की है। केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री (Minister of Fisheries, Animal Husbandry and Dairying) पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा है कि डेयरी प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
पुरुषोत्तम रूपाला का कहना है कि पिछले सप्ताह कुछ मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से एक भ्रामक खबर आई। इस वजह से दूध किसानों और अन्य स्टेकहोल्डर्स के बीच कुछ भ्रम और आशंका उत्पन्न हुई है। उन्होंने विभाग की तरफ से यह स्पष्ट करते हुए कहा कि डेयरी डेयरी प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट पर भारत सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है। सरकार इस तरह का कोई भी पॉलिसी डिसीजन लेती है तो वह सदा किसानों के हित में होता है। सरकार के लिए दूध किसान सर्वोपरि थे, हैं और आगे भी रहेंगे।
दरअसल, केंद्र सरकार के एक बड़े अधिकारी ने बीते बुधवार को एक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि देश जरूरत पड़ने पर डेयरी उत्पादों के आयात पर विचार कर सकता है। उनका कहना था कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत में दूध उत्पादन प्रभावित रहने से डेयरी प्रोडक्ट्स की सप्लाई भी प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों में दूध के स्टॉक की स्थिति का आकलन करने के बाद यदि जरूरी हुआ तो सरकार मक्खन और घी जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट के मामले में हस्तक्षेप करेगी। दरअसल, उत्तर भारत में अभी गर्मी शुरु हो रही है। इस दौरान दूध का उत्पादन घटता है। जबकि दक्षिणी राज्यों में अब दूध के लिए फ्लड सीजन शुरू हो गया है। इस समय वहां दूध का उत्पादन बढ़ता है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021-22 के दौरान देश में दूध उत्पादन 22.1 करोड़ टन रहा था। इससे एक साल पहले यह 20.8 करोड़ टन रहा था। हालांकि, पिछला साल का मिल्क प्रोडक्शन एक साल पहले के मुकाबले 6.25 प्रतिशत ज्यादा था। लेकिन, उसी साल मिल्क और डेयरी प्रोडक्ट की डिमांड करीब 10 फीसदी बढ़ी थी। कोरोना महामारी के बाद जब इकोनॉमी खुली तो दूध और मिल्क प्रोडक्ट्स की लगातार मांग बढ़ रही है। इस बीच पिछले साल दुधारू पशुओं में गांठदार त्वचा रोग Lumpy skin disease (LSD) फैला। इसकी वजह से 1.89 लाख मवेशियों की मौत हुई थी। जाहिर है कि इससे मिल्क प्रोडक्शन पर असर पड़ा। जब मिल्क ही नहीं होगा तो फिर घी, मक्खन या अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स कैसे बनेंगे?
केंद्रीय पशुपालन एवं डेरी मंत्रालय का कहना है कि फिलहाल दूध की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं है। इस समय स्किम्ड मिल्क पाउडर (SMP) का भी पर्याप्त भंडार है। लेकिन डेयरी प्रोडक्ट्स, विशेष रूप से फैट, बटर और घी आदि के मामले में पिछले वर्ष के मुकाबले स्टॉक कम है। इस क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि इस समय इन चीजों का इंपोर्ट करना कतई लाभकारी नहीं हो सकता है। क्योंकि, हाल के महीनों के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन प्रोडक्ट्स की कीमतें मजबूत हुई हैं। और अभी भी इनकी कीमतें मजबूत ही हैं।
सरकार की तरफ से डेयरी प्रोडक्ट्स से जुड़ा बयान आने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भी बयान दिया था। उन्होंने मिल्क प्रोडक्ट्स जैसे मक्खन और घी आदि के आयात को लेकर लिए जा रहे या लिए जाने वाले फैसले का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि इससे देश के दूध किसानों की आमदनी सीधा असर पडेगा। उन्होंने इस बारे में केंद्रीय पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला को उक पत्र भी लिखा था।
(साभार- नव भारत टाइम्स)
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