डेयरी टुडे नेटवर्क,
लखनऊ, 3 जनवरी 2018,
उत्तर प्रदेश के डेयरी किसानों के लिए नए साल में कई कई सौगातें आने वाली हैं। ये खबर हर उस व्यक्ति के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है जो दूध के कारोबार से जुड़ा है। प्रदेश में पहली बार गुजरात के अमूल डेयरी से बेहतर प्लांट तैयार किया जा रहा है। इसका सीधा लाभ किसानों को होगा। मथुरा में अत्याधुनिक तीन लाख लीटर की क्षमता वाला डेयरी फॉर्म खोलने की तैयारी शुरू हो चुकी है।
उत्तर प्रदेश सरकार 2018 के अंत तक राज्य के सभी दूध प्लांटों को सुचारु रूप से चलाने की योजना बना रही है। साथ ही प्रदेश में 11 अलग-अलग जिलों में नए डेयरी फॉर्म खोले जाएंगे, कुछ पुराने प्लांटों को पुनर्निर्मित भी किया जाएगा। प्रदेश के दुग्ध विकास और संस्कृति मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि “मौजूदा संयंत्रों का पुनर्निर्माण किया जाएगा, जबकि 11 नए प्लांट भी लगाए जाएंगे और 2018 के अंत तक सभी डेयरी फॉर्म सुचारु रूप से चलेंगे”
भारत में दूग्ध उत्पादन का 18 फ़ीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश से आता है, लेकिन अच्छे उत्पादन के बावजूद दुग्ध प्रसंस्करण व दुग्ध उत्पादों के निर्माण व विपणन में यूपी अभी भी गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों से काफी पीछे है। कृषि मंत्रालय भारत सरकार के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग के अनुसार वर्ष 2011-12 से 2013-14 के बीच गुजरात में मक्खन, पनीर, दही, घी, जैसे डेयरी उत्पाद बनाने वाली इकाइयों की संख्या में 26 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई, जबकि उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या पांच फीसदी घट गई।
उत्तर प्रदेश में घटते दुग्ध प्रसंस्करण को पटरी पर लाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अमूल प्लांट की मदद से प्रदेश का दुग्ध प्रसंस्करण अनुपात को मौजूदा 12 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है। इसको देखते हुए मथुरा में आधुनिक डेयरी प्लांट लगाने की तैयार की जा रही है। इस बारे में दुग्ध विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी बताते हैं “मथुरा में रोजाना 3 लाख लीटर की क्षमता वाला एक अति आधुनिक डेयरी इकाई की स्थापना की जा रही है। इसके लिए 200 करोड़ रुपए का निवेश किया जा रहा है। यह गुजरात के अमूल डेयरी से बेहतर होगा, यहां मक्खन, दूध, मक्खन दूध, घी, क्रीम, मिठाई, पाउडर दूध और दूधों से बने अन्य उत्पाद बनेंगे।”
पिछले साल दीपावली के समय मथुरा डेयरी ने 27 टन शुद्ध घी मिठाई का उत्पादन किया था। दूध उत्पादन का मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण क्योंकि इससे किसानों की आय का मामला भी जुड़ा हुआ है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की दृष्टि से उत्तर प्रदेश सरकार का ये फैसला बहुत मायने रखता है।
भारत में अभी सालाना 16 करोड़ (वर्ष 2015-16) लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। इसमें 51 प्रतिशत उत्पादन भैंसों से 20 प्रतिशत देशी प्रजाति की गायों से और 25 प्रतिशत विदेशी प्रजाति की गायों से आता है। शेष हिस्सा बकरी जैसे छोटे दुधारू पशुओं से आता है। देश के इस डेयरी व्यवसाय से छह करोड़ किसान अपनी जीविका कमाते हैं। खेती के अलावा पशुपालन ही वो रोजगार है, जिस पर ग्रामीण रोजगार टिका है। लेकिन जिन घरों से ये दूध आता है, वहां दूध की खपत सबसे कम है। यही नहीं उत्तर प्रदेश में प्रति कैपिटा कंमज्पशन यानि खपत बहुत कम है।
इस बारे में आरएस कुशवाहा प्रभारी अभियंता (मशीनरी) प्रादेशिक कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन, उत्तर प्रदेश, का कहना है कि “हम प्रदेश में 2018 अंत तक प्रदेश में एक लाख लीटर से लेकर चार लाख लीटर क्षमता के दुग्ध प्रोसेसिंग प्लांटों की स्थापना करने जा रहे हैं। कन्नौज, कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी भी इस लिस्ट में शामिल हैं। इससे प्रदेश में दुग्ध प्रसंस्करण क्षेत्र को अधिक मजबूती मिलेगी।’’
दुग्ध विकास और संस्कृति मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी के मुताबिक “कन्नौज, कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी सहित 10 नए संयंत्रों की स्थापना 1200 करोड़ रुपए की लागत के साथ की जाएगी। साथ ही 240 करोड़ रुपए से मौजूदा प्लांटों को पुनर्निर्मित किया जाएगा। और ऐसी उम्मीद है कि कन्नौज प्लांट जनवरी जबकि कानपुर प्लांट मार्च 2018 से काम करने लगेगा।”
(साभार-गांव कनेक्शन)
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Yogi Ji , please look into pricing of milk also. Mother dairy is paying @ Rs. 35 . Due to less Fat in cow milk we are getting Rs 27 per litre for cow milk. Production cost per ltd is around Rs 43/. Private players are paying even less. We are burning our cash on every litre of production.
(2). We need more facilities in dairing like Haryana. Need NDRI. More work to be done to improve quality of animals . Production per cattle is so low in UP.