वर्ल्ड मिल्क डे : पढ़िए डॉ. वर्गीज कुरियन के ‘मिल्क मैन ऑफ इंडिया’ बनने की कहानी

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 1 जून 2019,

आज विश्व दुग्ध दिवस यानि वर्ल्ड मिल्क डे है। सबसे पहले डेयरी टुडे की तरफ आप सभी को वर्ल्ड मिल्क डे की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। भारत आज विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। भारत में डेयरी सेक्टर कई लाख करोड़ का है और इसमें वृद्धि की अपार संभावनाएं। केंद्र सरकार हो या फिर तमाम राज्यों की सरकारें, सभी दुग्ध उत्पादन बढ़ाने, दूध की गुणवत्ता बढ़ाने और पशुपालकों, डेयरी किसानों को प्रोत्साहित करने के तमाम प्रयास कर रही हैं। इस लेख में हम भारत में श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन के बारे में बताते हैं।-

मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से हुए मशहूर

भारत में श्वेत क्रांति के जनक माने जाने वाले वर्गीज कुरियन 26 नवंबर 1921 को केरल के कोझिकोड में पैदा हुए थे। एक सीरियाई क्रिश्चियन परिवार में पैदा हुए वर्गीज कुरियन ने मकैनिकल इंजिनियरिंग में मास्टर्स किया है। मास्टर्स करने के बाद उन्होंने दुग्ध उत्पादन की दुनिया में कदम रखा। साल 2012 में 90 साल की उम्र बिताकर ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर वर्गीज कुरियन दुनिया छोड़कर चले गए। डॉ. वर्गीज कुरियन ने अपने जीवन के अच्छे-बुरे प्रसंगों पर ‘आई टू हैड अ ड्रीम’ नाम की एक किताब भी लिखी। जिसमें उन्होंने दूध को नापसंद करने वाली बात का जिक्र भी किया है।“बचपन में मुझे दूध पीना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। ”  डॉ. वर्गीज कुरियन को भारत में श्वेत क्रांति का जनक माना जाता है।

सरकारी स्कॉलरशिप के लिए शुरू की थी पढ़ाई

वर्गीज कुरियन ने जमशेदपुर में टाटा स्टील लिमिटेड में काम भी किया है। इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। डेयरी इंजीनियरिंग पढ़ने के लिए उन्हें भारत सरकार से छात्रवृत्ति मिली और फिर उन्होंने इंपीयरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ऐनिमल हज्बेंड्री एंड डेयरिंग से पढ़ाई की। इसके बाद वह मास्टर्स के लिए अमेरिका चले गए। कहा जाता है कि कुरियन ने डेयरी फार्मिंग की पढ़ाई सिर्फ इसलिए की क्योंकि इसके लिए उन्हें सरकारी स्कॉलरशिप मिल रही थी।

जानिए कैसे हुई श्वेत क्रांति की शुरुआत

वर्गीज कुरियन ने 1970 में ऑपरेशन फ्लड शुरू किया। इससे देश में श्वेत क्रांति का आगाज हुआ और भारत दुग्ध उत्पादन के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा देश बन गया। भारत में डेयरी उत्पादों की सबसे बड़ी कंपनी अमूल की स्थापना में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अमूल की सफलता से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने सारे देश में अमूल मॉडल को फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड का गठन किया। साल 1965 में स्थापित होने वाली इस संस्था का पहला अध्यक्ष वर्गीज कुरियन को ही बनाया गया।

कई पुरस्कारों से नवाजे गए डॉ. कुरियन

डॉ. कुरियन के सहकारिता आंदोलन से प्रेरित एक फिल्म मंथन का निर्माण किया गया। इसे मशहूर फिल्मकार श्याम बेनेगल ने बनाया था। डॉ। कुरियन ने अपने जीवनकाल में 30 से ज्यादा उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की थी। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें रेमन मैग्सेसे, पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।

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