डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 29 मई 2021,
भारत के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक कंपनी अमूल को वेगन मिल्क (Vegan Milk) बनाने के सुझाव पर बड़ी बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया पर लोग इसके पक्ष में और विरोध में जमकर ट्वीट कर रहे हैं। इस सुझाव को अमूल कंपनी ने भी एक सिरे से नकार दिया है। आपको बता दें कि अमेरिकन एनिमल राइट्स ऑर्गनाइजेशन द पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) ने बाजार में हो रहे बदलावों के जवाब में अमूल इंडिया से डेयरी दूध के बजाय शाकाहारी दूध का प्रोडक्शन करने का आग्रह किया है। PETA ने अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर आरएस सोढ़ी को एक पत्र लिखकर अमूल से “बढ़ते शाकाहारी भोजन और दूध बाजार से लाभ उठाने” का आग्रह किया, जिसके बाद से ट्विटर पर इसे लेकर एक बहस छिड़ गई।
PETA India's letter to @Amul_Coop in full, letting the company know about the business opportunity the rise in #vegan eating presents. @Rssamul #PETA pic.twitter.com/W7PMnkua6D
— PETA India (@PetaIndia) May 28, 2021
PETA के सुझाव पर अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आर एस सोढ़ी ने ट्विटर पर PETA से पूछा कि क्या शाकाहारी दूध पर स्विच करने से दस करोड़ डेयरी किसान, जिनमें से 70% भूमिहीन हैं, उनकी आजीविका चल जाएगी और वे अपने बच्चों की स्कूल फीस भर सकेंगे और भारत में कितने लोग वास्तव में लैब में बना दूध खरीद सकते हैं? आर एस सोढ़ी ने ट्वीट में लिखा, “क्या वे 10 करोड़ डेयरी किसानों (70% भूमिहीन) को आजीविका देंगे? उनके बच्चों की स्कूल फीस कौन देगा? कितने लोग रसायन और सिंथेटिक विटामिन से बने महंगे लैब में बनी खाने-पीने की चीजों का खर्च उठा सकते हैं?”
Will they give livelihood to 100 million dairy farmers (70% landless) , who will pay for children school fee .. how many can afford expensive lab manufactured factory food made out of chemicals … And synthetic vitamins .. https://t.co/FaJmnCAxdO
— R S Sodhi (@Rssamul) May 28, 2021
जाहिर है कि अमूल एक सहकारी संस्था होने के कारण सीधे डेयरी किसानों से दूध खरीदती है। डॉ. सोढ़ी ने पशु अधिकार समूह पर निशाना साधते हुए दावा किया कि शाकाहारी दूध पर स्विच करने का मतलब होगा किसानों के पैसे का इस्तेमाल करके बनाए गए संसाधनों को बाजारों को सौंपना। उन्होंने यह भी कहा कि शाकाहारी दूध पर स्विच करने से मध्यम वर्ग के लिए एक जरूरी वस्तु, जो आसानी से उपलब्ध है, वो मिलना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि कई लोग शाकाहारी दूध का खर्च नहीं उठा पाएंगे।
Peta wants Amul to snatch livelihood of 100 mill poor farmers and handover it's all resources built in 75 years with farmers money to market genetically modified Soya of rich MNC at exhorbitant prices ,which average lower middle class can't afford https://t.co/FaJmnCAxdO
— R S Sodhi (@Rssamul) May 28, 2021
उन्होंने कहा, “PETA चाहता है कि अमूल 10 करोड़ गरीब किसानों की आजीविका छीन ले और 75 सालों में किसानों के पैसे से बनाए गए अपने सभी संसाधनों को ज्यादा कीमतों पर समृद्ध बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNC) को सौंप दे, जिसे औसत निम्न मध्यम वर्ग वहन ही नहीं कर सकता।”
स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने भी पेटा की मांग पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया पौधो से मिलने वाले पदार्थ को मिल्क कैसे कहा जा सकता है। इसे दूध के बजाय सोया एक्ट्रैक्ट, अलमंड एक्सट्रैक्ट कहा जाना चाहिए।
How can you term non-milk as milk. This will be thuggery and cheating with consumer. Call it soya extract, almond extract, but how can u call it milk. Earlier they were calling frozen dessert as ice cream. Why there is always attack on dairy by big biz. https://t.co/A06D0TWVzW
— ASHWANI MAHAJAN (@ashwani_mahajan) May 25, 2021
जानिए PETA ने क्या सुझाव दिए?
PETA ने सोढ़ी को लिखे अपने पत्र में वैश्विक खाद्य निगम कारगिल की 2018 की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया है कि दुनिया भर में डेयरी उत्पादों की मांग घट रही है, क्योंकि डेयरी को अब आहार का एक अनिवार्य हिस्सा नहीं माना जाता है। PETA ने दावा किया कि नेस्ले और डैनोन जैसी वैश्विक डेयरी कंपनियां गैर-डेयरी दूध निर्माण में हिस्सेदारी हासिल कर रही हैं, इसलिए अमूल को शाकाहारी उत्पादों में भी कदम रखने के बारे में सोचना चाहिए।
PETA का दावा है कि चल रही Covid-19 महामारी ने लोगों को बीमारियों और जूनोटिक वायरस के बीच की कड़ी के बारे में जागरूक किया है। उसने सुझाव दिया कि अमूल को देश में उपलब्ध 45,000 अलग-अलग पौधों की प्रजातियों का इस्तेमाल करना चाहिए और शाकाहारी वस्तुओं के लिए उभरते बाजार का लाभ उठाना चाहिए।
पेटा की इस माग पर ट्वीटर ने लोगों ने जमकर उसकी लताड़ लगाई है। देखिए-
Double standards ka dusra naam PETA India
Slaughtering cow by specific group of ppl is OK but they ask Amul India to switch to producing Vegan milk.#PETA pic.twitter.com/eZX5KobM0s
— sandeep goswami (@sandeepgiri28) May 29, 2021
Dairy milk is cruel but beef is not. Amul is the pride of India, employing thousands of farmers and cow milk is a very basic diet component of Indians. It is a integral part of our food culture. We don't need anymore western influence. @peta @PetaIndia @Amul_Coop @Rssamul
— Ayush Sunil Tyagi (@AyushSunilTyag1) May 29, 2021
IMA attacked Ayurveda, now PETA wants vegan milk.
Is there a pattern? pic.twitter.com/c2Q6mFER8m
— $oumit₹@ (@SD_Bhakt) May 29, 2021
For us, Amul is not an industry, but means of livelihood for lakhs of milk producers.
It has given them the courage to dream. To hope, to live and to progress.@PetaIndia should stop this misplaced activism in the garb of business development. https://t.co/64KdEduKom
— Shankar Chaudhary (@ChaudhryShankar) May 29, 2021
How many of you know that once PETA launch a campaign against Famous ice cream company Ben & Jerry urging them to replace the cow's milk in its products with human milk.
Yes you heard it right – HUMAN BREAST MILK
— Rishi Bagree 🇮🇳 (@rishibagree) May 29, 2021
Vegan Milk has penetrated the western markets but in India it is still negligible. That’s why the lobbying for Vegan Milk players by attacking Amul.
— Dr. Monica (@TrulyMonica) May 29, 2021
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One thought on “Vegan Milk के PETA के सुझाव पर छिड़ी बहस, AMUL ने पूछा- 10 करोड़ डेयरी किसानों की रोजी-रोटी कैसे चलेगी?”