डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 29 मई 2021,
भारत के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक कंपनी अमूल को वेगन मिल्क (Vegan Milk) बनाने के सुझाव पर बड़ी बहस छिड़ गई है। सोशल मीडिया पर लोग इसके पक्ष में और विरोध में जमकर ट्वीट कर रहे हैं। इस सुझाव को अमूल कंपनी ने भी एक सिरे से नकार दिया है। आपको बता दें कि अमेरिकन एनिमल राइट्स ऑर्गनाइजेशन द पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) ने बाजार में हो रहे बदलावों के जवाब में अमूल इंडिया से डेयरी दूध के बजाय शाकाहारी दूध का प्रोडक्शन करने का आग्रह किया है। PETA ने अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर आरएस सोढ़ी को एक पत्र लिखकर अमूल से “बढ़ते शाकाहारी भोजन और दूध बाजार से लाभ उठाने” का आग्रह किया, जिसके बाद से ट्विटर पर इसे लेकर एक बहस छिड़ गई।
PETA के सुझाव पर अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आर एस सोढ़ी ने ट्विटर पर PETA से पूछा कि क्या शाकाहारी दूध पर स्विच करने से दस करोड़ डेयरी किसान, जिनमें से 70% भूमिहीन हैं, उनकी आजीविका चल जाएगी और वे अपने बच्चों की स्कूल फीस भर सकेंगे और भारत में कितने लोग वास्तव में लैब में बना दूध खरीद सकते हैं? आर एस सोढ़ी ने ट्वीट में लिखा, “क्या वे 10 करोड़ डेयरी किसानों (70% भूमिहीन) को आजीविका देंगे? उनके बच्चों की स्कूल फीस कौन देगा? कितने लोग रसायन और सिंथेटिक विटामिन से बने महंगे लैब में बनी खाने-पीने की चीजों का खर्च उठा सकते हैं?”
जाहिर है कि अमूल एक सहकारी संस्था होने के कारण सीधे डेयरी किसानों से दूध खरीदती है। डॉ. सोढ़ी ने पशु अधिकार समूह पर निशाना साधते हुए दावा किया कि शाकाहारी दूध पर स्विच करने का मतलब होगा किसानों के पैसे का इस्तेमाल करके बनाए गए संसाधनों को बाजारों को सौंपना। उन्होंने यह भी कहा कि शाकाहारी दूध पर स्विच करने से मध्यम वर्ग के लिए एक जरूरी वस्तु, जो आसानी से उपलब्ध है, वो मिलना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि कई लोग शाकाहारी दूध का खर्च नहीं उठा पाएंगे।
उन्होंने कहा, “PETA चाहता है कि अमूल 10 करोड़ गरीब किसानों की आजीविका छीन ले और 75 सालों में किसानों के पैसे से बनाए गए अपने सभी संसाधनों को ज्यादा कीमतों पर समृद्ध बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNC) को सौंप दे, जिसे औसत निम्न मध्यम वर्ग वहन ही नहीं कर सकता।”
स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने भी पेटा की मांग पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया पौधो से मिलने वाले पदार्थ को मिल्क कैसे कहा जा सकता है। इसे दूध के बजाय सोया एक्ट्रैक्ट, अलमंड एक्सट्रैक्ट कहा जाना चाहिए।
जानिए PETA ने क्या सुझाव दिए?
PETA ने सोढ़ी को लिखे अपने पत्र में वैश्विक खाद्य निगम कारगिल की 2018 की रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया है कि दुनिया भर में डेयरी उत्पादों की मांग घट रही है, क्योंकि डेयरी को अब आहार का एक अनिवार्य हिस्सा नहीं माना जाता है। PETA ने दावा किया कि नेस्ले और डैनोन जैसी वैश्विक डेयरी कंपनियां गैर-डेयरी दूध निर्माण में हिस्सेदारी हासिल कर रही हैं, इसलिए अमूल को शाकाहारी उत्पादों में भी कदम रखने के बारे में सोचना चाहिए।
PETA का दावा है कि चल रही Covid-19 महामारी ने लोगों को बीमारियों और जूनोटिक वायरस के बीच की कड़ी के बारे में जागरूक किया है। उसने सुझाव दिया कि अमूल को देश में उपलब्ध 45,000 अलग-अलग पौधों की प्रजातियों का इस्तेमाल करना चाहिए और शाकाहारी वस्तुओं के लिए उभरते बाजार का लाभ उठाना चाहिए।
पेटा की इस माग पर ट्वीटर ने लोगों ने जमकर उसकी लताड़ लगाई है। देखिए-
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