डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 2 जून 2020,
केंद्र सरकार ने सोमवार को कैबिनट मीटिंग के बाद खरीफ की 14 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किया है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने दावा किया है कि खरीफ फसलों की एमएसपी लागत से 83 प्रतिशत तक अधिक निर्धारित की गई है। लेकिन देश में किसानों के सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने सीजन 2020-21 के लिए निर्धारित खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को किसानों के साथ धोखा करार दिया है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर सरकार ने कोरोना महामारी के समय आजीविका के संकट से जूझ रहे किसानों के साथ भद्दा मजाक किया है। यह देश के भंडार भरने वाले और खाद्य सुरक्षा की मजबूत दीवार खडी करने वाले किसानों के साथ धोखा है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता चौ.राकेश टिकैट ने कहा कि यह वृद्धि पिछले पांच वर्षों में सबसे कम वृद्धि है। सरकार ने कृषि विश्वविद्यालयों की लागत के बराबर ही समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि किसानों को कुल लागत सी2 पर 50 प्रतिशत जोड़कर बनने वाले मूल्य के अलावा कोई मूल्य मंजूर नहीं है। श्री टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार महंगाई दर नियंत्रण करने के लिए देश के किसानों की बलि चढ़ा रही है। जबकि सच्चाई यह है कि इसी किसान के दम पर सरकार कोरोना जैसी महामारी से लड़ पायी है। इस महामारी में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति का नहीं मांग का संकट बना हुआ है।
बीकेयू नेता श्री टिकैत ने कहा कि सरकार द्वारा धान के समर्थन मूल्य वर्ष 2016-17 में 4.3 प्रतिशत, 2017-18 में 5.4 प्रतिशत, 2018-19 में 12.9 प्रतिशत, 2019-20 में 3.71 प्रतिशत वृद्धि की गयी थी। वर्तमान सीजन 2020-21 में यह पिछले पांच वर्षों की सबसे कम 2.92 प्रतिशत वृद्धि है। सरकार द्वारा घोषित धान के समर्थन मूल्य में प्रत्येक कुन्तल पर 715 रुपये का नुकसान है। ऐसे ही एक कुन्तल फसल बेचने में ज्वार में 631 रुपये, बाजरा में 934रुपये, मक्का में 580 रुपये, तुहर/अरहर दाल में 3603 रुपये, मूंग में 3247 रुपये, उड़द में 3237 रुपये, चना में 3178 रुपये, सोयाबीन में 2433 रुपये, सूरजमुखी में 1985 रुपये, कपास में 1680 रुपये, तिल में 5365 रुपये का नुकसान है।
बीकेयू के प्रवक्ता चौ. राकेश टिकैत ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन सरकार से जवाब चाहती है कि आखिर एमएसपी में इस वृद्धि के लिए कौन सा फार्मूला अपनाया गया। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय किसान यूनियन की तरफ से किसानों का आह्वान किया कि वे सरकार के इस अन्याय के खिलाफ सामूहिक संघर्ष शुरू करें। श्री टिकैत ने कहा कि भाकियू मांग करती है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी कानून बनाया जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर खरीद करने वाले व्यक्ति पर अपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए।
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