दिल्ली: किसान मुक्ति संसद में देशभर से जुटे हजारों किसान, कर्ज से छुटकारा और फसल का लाभकारी मूल्य देने की मांग

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 22 नवंबर 2017,

देश की राजधानी दिल्ली में दो दिनों तक देशभर से जुटे किसानों ने अपनी मागों की हुंकार भरी। जंतर मंतर पर आयोजित किसान मुक्ति संसद में हजारों की संख्या में किसानों ने एक जुट होकर खेती-किसानी की मुश्किलों से लड़के का संकल्प लिया साथ ही अब खुदकुशी नहीं बल्कि संघर्ष करने का फैसला भी किया। सम्मेलन के दौरान किसानों ने कर्ज के बोझ से पूर्ण मुक्ति दिलाने और कृषि उपजों का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के विषय में दो प्रस्ताव भी पारित किए। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन में देश भर से 184 किसान संगठनों के किसान शामिल हुए।

इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर की अध्यक्षता में महिला किसानों की संसद हुई। इस महिला संसद में आत्हत्या करने वाले किसान परिवारों की 545 महिलाएं और तमाम महिला किसानों ने शिरकत की। महिला किसानों की संसद में किसानों की समस्याओं को लेकर विस्तृत विचार विमर्श हुआ। आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार से आई महिलाओं ने अपने दर्द साझा किए। महिला संसद में किसानों को संपूर्ण कर्ज मुक्ति एवं सभी किसानों की लागत के ड्योढ़े दाम पर समर्थन मूल्य तय कर खरीद सुनिश्चित करने को लेकर भारतीय संसद में बिल पारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

किसानों ने लिया संकल्प…अब आत्महत्या नहीं, संघर्ष करेंगे


देशभर से आत्महत्या करने वाले परिवारों से आई महिलाओं ने जब अपनी पारिवारिक स्थिति और परेशानियों को संसद के समक्ष रखा तो संसद मार्ग पर जुटी हजारों किसानों की भीड़ गमगीन हो उठी। इस दौरान महिलाओं ने कहा कि पहली बार उन्हें लगा कि कोई उनकी बात सुनने वाला है। किसान अब आत्महत्या नहीं करेंगे, बल्कि संघर्ष करेंगे। महिला संसद को संबोधित करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि आज देश के लिए ऐतिहासिक क्षण है जब महिलाएं अपनी संसद लगाकर अपने सवालों पर न केवल चर्चा कर रही हैं बल्कि महिला संसद के माध्यम से किसान मुक्ति संसद के समक्ष किसानों, खेतिहर मजदूरों, आदिवासियों, भूमिहीनों, बटाईदारों, मछुआरों के जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए बिल पारित किया जा रहा है।

किसानों को कर्ज से पूर्ण छुटकारे की मांग


इस संसद में अखिल भारतीय किसान सभा के महामंत्री एवं पूर्व सांसद हन्नान मौला द्वारा किसानों की संपूर्ण कर्ज मुक्ति तथा स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के अध्यक्ष एवं सांसद राजू शेट्टी द्वारा कृषि उपज लाभकारी मूल्य गारंटी बिल पेश किया गया। अखिल भारतीय किसान सभा के नेता अशोक धावले ने कहा, आज पारित इन विधेयकों को लोकसभा में सांसद राजू शेट्टी, राष्ट्रीय शेतकरी स्वाभिमान पक्ष और राज्यसभा में मार्क्सवादी पार्टी के केके रागेश निजी विधेयक के रूप में पेश करेंगे। एआईकेएससीसी के अनुसार ईंधन डीजल, कीटनाशक और उर्वरक के साथ पानी जैसी लागतों में निरंतर वृद्धि तथा सरकारी सब्सिडी में कटौती किया जाना कृषि की लागत और आय में बढ़ते असंतुलन का मुख्य कारण है।

अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव अतुल कुमार अंजान ने कहा, प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई राज्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बोनस नहीं देगा और अब गुजरात के विधानसभा चुनाव से पहले, जबकि कपास की कीमत काफी कम हो गई है, गुजरात सरकार ने कपास पर प्रति गांठ 500 रुपये बोनस देने की घोषणा की है। अंजान ने पूछा, लेकिन अब सवाल है कि कर्नाटक अथवा महाराष्ट्र, पंजाब अथवा तमिलनाडु के किसानों का क्या होगा? उन्होंने कहा कि यह नीति किसानों के भले के लिए नहीं बल्कि उन्हें अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने का हथकंडा है।

सरकार ने विधेयक पारित नहीं किए तो हार का सामना करना होगा

किसान मुक्ति संसद में किसानों ने धमकी दी कि अगर मोदी सरकार ने इन निजी विधेयकों को पारित नहीं किया तो उन्हें वर्ष 2019 में लोकसभा के चुनावों में पराजय का सामना करना पड़ेगा। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति कि ओर से जारी बयान में कहा गया कि किसान मुक्ति संसद में संपूर्ण कर्जा मुक्ति बिल एवं कृषि उपज लाभकारी मूल्य गारंटी बिल पारित किया गया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा 19 राज्यों के दस हजार किलोमीटर की किसान मुक्ति यात्रा पूरी करने के बाद 20 नवंबर को दिल्ली में किसान मुक्ति संसद शुरू हुई, जिसमें लाखों किसानों ने भाग लिया.

मोदी को वादा निभाना पड़ेगा: वीएम सिंह


संसद में आए किसानों का स्वागत करते हुए संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि पहले उत्तम खेती थी, अब खेती घाटे का सौदा हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से वादा किया था कि खेती का कर्ज माफ करेंगे और किसानों को फसल की लागत का डेढ़ गुना मूल्य दिलाएंगे, सारा पुराना कर्ज माफ किया जाएगा. किसानों ने उनपर विश्वास किया और भाजपा को वोट दिया. इसलिए प्रधानमंत्री को भी अपना वादा निभाना पड़ेगा।

उन्होंने कहा, जिनको हमने चुना है अपनी बात कहने के लिए वे वादा करने के बाद भी हमारी बात नहीं कहेंगे तो हम उन्हें करके दिखाएंगे। हम यहां अपनी संसद में बिल पेश करेंगे और पूरे देश सलाह मागेंगे। फिर ये बिल हम अपनी संसद से पास करके सरकार को भेजेंगे कि जो काम तुमसे नहीं हुआ, वह हमने करके दिखाया है। अब इसे पास करो। तब भी पास नहीं करोगे तो 2019 सामने है। देश का किसान इकट्ठा ह। देश भर का किसान इकट्ठा हो जाएगा तो मोदी जी के जुमले नहीं चलेंगे।

अब धोखा नहीं खाएगा किसान

जय किसान आंदोलन और स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने किसान मुक्ति संसद को संबोधित करते हुए कहा कि आज की मुक्ति संसद देश के किसान आंदोलन के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी। पहली बार हरे झंडे और लाल झंडे वाले किसान आंदोलनों का संगम हुआ है। साथ में पीले और नीले झंडे जुड़ने से किसान संघर्ष का इंद्रधनुष बना है। किसान ने सरकारों से और नेताओं से बहुत धोखा खाया, लेकिन अब किसान धोखा नहीं खाएगा।

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार अंजान ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि देसी और परदेसी कॉरपोरेट घराने भारत में विशाल बीज, खाद, कीटनाशक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए खेती का कंपनीकरण चाहते हैं। अंजान ने आगे कहा कि सरकारें एवं कुछ कृषि अर्थशास्त्री यह झूठा प्रचार कर हैं कि छोटे-मझोले-गरीब किसान की जोत कम है, इसलिए उनकी उत्पादकता कम है। देश का 54 फीसदी गेहूं और 57 फीसदी धान छोटे-मझोले-गरीब किसान पैदा करते हैं।

कार्पोरेट घरानों को लाखों-करोड़ों रुपये सब्सिडी

अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव व पूर्व विधायक राजाराम सिंह ने कहा कि देश में सरकार लगातार किसान विरोधी योजनाएं चला रही है। कॉरपोरेट को मुनाफा और किसानों को घाटा दे रही है। देश में भाजपा शासित राज्यों में भूख से मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ा है। इसलिए हम किसान मजदूर एक होकर अपना हक लेकर रहेंगे, वरना सरकार को नहीं चलने देंगे।

अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के अध्यक्ष वी वेंकटरमैया ने कहा कि सरकार ने वायदा किया था कि किसानों की आमदनी दागुनी होगी लेकिन मूल्य लागत से कम तय किया है। 17 फसलों में से 9 फसलों को जो सीएसीपी में उत्पादन लागत का एस्टीमेट किया है उससे कम दिया। केंद्र सरकार इस दोगुनी वाली पाॅलिसी लागू नहीं कर रही है, इससे किसान और कर्ज में डूब जाएगा। इसलिए हम कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं। वेंकटरमैया ने कहा, सरकार कहती है कि किसानों की कर्ज माफी करके देश की आर्थिकी कमजोर होगी. ऐसा कहकर सरकार गलत प्रचार कर रही है, जबकि सरकार कार्पोरेट को लाखों-करोड़ों रुपये सब्सिडी देती है।

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