Dairy Today Netwotk,
नई दिल्ली, 28 अप्रैल 2020,
कोरोना महामारी से निपटने के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन की वजह से दूध का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लॉकडाउन के बीच देश में Milk के सबसे बड़े बाजार, दिल्ली-NCR में हर रोज दूध की मांग में करीब 17 लाख लीटर की कमी आई है। इस वजह से जहां दूध का प्रसंस्करण करने वाली कंपनियों के कारोबार पर असर पड़ा है, वहीं दूध किसानों की आमदनी भी प्रभावित हुई है। नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार केंद्रीय कृषि मंत्रालय में दूध का महकमा देखने वाले एक अधिकारी के मुताबिक परपंरागत रूप से दिल्ली-एनसीआर देश में दूध का सबसे बाजार रहा है। यहां मांग के अनुसार दूध का उत्पादन नहीं होता है, इसलिए यहां दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से लेकर पश्चिम भारत में गुजरात, राजस्थान तथा पूर्वी भारत में बिहार तक से दूध मंगाया जाता है। इन दिनों यहां लॉकडाउन की वजह से दूध की खपत में उल्लेखनीय गिरावट हुई है, इसलिए बाहर से उसी हिसाब से कम तरल दूध मंगाया जा रहा है। हालांकि मांग में भारी गिरावट के बावजूद अभी भी दिल्ली-एनसीआर में प्रतिदिन लगभग 60 लाख लीटर दूध की खपत हो रही है।
यह जानकर आपको बड़ा आश्चर्य होगा कि दिल्ली-एनसीआर में सड़क के किनारे टी स्टॉल चलाने वालों की तरफ से हर रोज 3 लाख लीटर दूध की डिमांड आती है। जी हां, यह सही है। दूध की एक बड़ी सहकारी कंपनी में काम करने वाले एक अधिकारी का कहना है कि दिल्ली और एनसीआर के औद्योगिक इलाकों या वाणिज्यिक या ऑफिस वाले इलाके में सड़क किनारे टी स्टॉल चलाने वाले दिनभर में करीब 3 लाख लीटर की चाय बना कर बेच देते हैं। लॉकडाउन होने की वजह से इन इलाकों में औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियां ठप हैं। ऑफिस भी बंद हैं, इसलिए वहां टी स्टॉल भी बंद पड़े हैं। तो जाहिर है कि 3 लाख लीटर दूध की डिमांड आ ही नहीं रही है।
सहकारी डेयरी के अधिकारी का कहना है दिल्ली-एनसीआर में मिठाई की दुकानों में भी हर रोज 7 से 8 लाख लीटर दूध की खपत होती है। इन दिनों मिठाई की दुकानें भी बंद हैं, इसलिए वहां से भी कोई मांग नहीं निकल रही है।
*दिल्ली-एनसीआर में हर रोज दूध की मांग में करीब 17 लाख लीटर की कमी
*मिठाई की दुकान बंद होने से 7-8 लाख लीटर दूध की मांग कम
*दिल्ली में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान तथा बिहार तक से मंगाया जाता है दूध
दिल्ली-एनसीआर में शाकाहारी व्यक्ति हों या मांसाहारी, सभी पनीर का भरपूर उपयोग करते हैं। स्थिति तो यह है कि यहां पनीर के व्यंजन और परांठे में भर के ही नहीं बल्कि डोसे में भी पनीर डालने का चलन है। इस समय पनीर का उपयोग नहीं के बराबर हो रहा है, क्योंकि लॉकडाउन में ऐसे ही लोग सब डरे हुए हैं। ऊपर से दुकानें खुल नहीं रही हैं। इसलिए, पनीर बनाया ही नहीं जा रहा है। अधिकारी बताते हैं कि यहां हर रोज ढाई से 3 लाख लीटर दूध का पनीर बनाया जाता था, जो कि अब घट कर नहीं के बराबर रह गया है।
दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम के होटलों और रेस्टोरेंट में भी हर रोज एक डेढ़ लाख लीटर दूध और दुग्ध उत्पाद की खपत होती थी। लॉकडाउन में यह भी बंद है इसलिए वहां भी दूध की मांग घट गई है।
लॉकडाउन के बाद दिल्ली एनसीआर से लाखों की संख्या में बिहारी मजदूर और प्रवासी अपने परिवार वालों बच्चों के साथ वापस लौट गए। ये लोग भी अपने सामर्थ्य के अनुसार हर रोज कुछ ना कुछ दूध की खरीद अवश्य करते थे। अनुमान है कि इनकी वजह से हर रोज देर से दो लाख लीटर दूध कम बिक रहा है। दिल्ली में दूध की डिमांड पूरी करने के लिए देश के अन्य राज्यों से रेलवे टैंकरों के जरिए दूध मंगाए जाते हैं। इन दिनों जब दूध की मांग लाखों लीटर की कमी आई है तो उसी हिसाब से कम टैंकर मंगाए जा रहे हैं।
(साभार-नवभारत टाइम्स)
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