बीजिंग, 28 जुलाई 2017,
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ब्रिक्स के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ गुरुवार से शुरू हुई बैठक में भाग लेने के लिए चीन में हैं. सिक्किम सीमा के पास स्थित डोकलाम को लेकर जारी गतिरोध के बीच डोभाल ने यहां अपने चीनी समकक्ष यांग जिची से मुलाकात की.
अपने चीन दौरे पर अजीत डोभाल ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. मुलाकात से पहले अजीत डोभाल का कहना है कि सभी ब्रिक्स देशों को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होना चाहिए. इस बीच चीन ने एक बार फिर डोकलाम और जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया है.
डोभाल और यांग दोनों भारत-चीन सीमा तंत्र के विशेष प्रतिनिधि हैं. ऐसे में डोभाल की चीन यात्रा से डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच समाधान निकलने की संभावना बढ़ गई है. डोभाल ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की दो दिवसीय बैठक में भाग लेने के लिए बुधवार को यहां पहुंचे. इस बैठक की मेजबानी यांग कर रहे हैं.
अजीत डोभाल चीन में हैं, इस बीच चीनी मीडिया ने एक बार फिर डोकलाम मुद्दा उठाया है. ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया है कि चीन डोकलाम के मुद्दे पर किसी तरह का समझौता नहीं करेगा. लेख में कहा गया है कि अजीत डोभाल के चीन दौरे से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. चीन अपने रुख से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेगा. चीन का कहना है कि चीन अभी भी अपने रुख पर कायम है कि पहले भारत को अपनी सेना को डोकलाम से पीछे हटाना चाहिए, उसके बाद ही शांति की कोई पहल हो सकती है.
इसके साथ ही चीन ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के मसले पर अड़ंगा लगाया है. चीन ने कहा है कि अगर भारत डोकलाम मुद्दे पर पीछे नहीं हटेगा तो चीन जम्मू-कश्मीर के मुद्दे में दखल देगा. इससे पहले भी चीन ने कश्मीर के मसले में दखल देने की बात कही थी. चीन का कहना है कि भारत चीन और भूटान के मसले में तीसरी पार्टी के तौर पर दखल दे रहा है, अगर ऐसा ही होता रहा तो पाकिस्तान की अपील पर चीन भी इसी तरह से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर दखल देगा. चीन ने जिक्र किया कि भूटान की ओर से भारत से कोई मदद नहीं मांगी गई थी, लेकिन भारत फिर भी इस मुद्दे में अपना अड़ंगा लगा रहा है.
बता दें कि चीन के साथ सिक्किम क्षेत्र में सैन्य गतिरोध को तकरीबन एक महीने हो गए हैं. इस बीच बीजेपी सरकार के तीन मंत्री भी चीन गए थे, लेकिन सैन्य गतिरोध पर कोई असर नहीं पड़ा. दूसरी ओर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार होने के नाते डोभाल के हाथ में सुरक्षा संबंधी फैसला लेने का अधिकार है.
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