डेयरी टुडे नेटवर्क,
गया/पटना, 16 अप्रैल 2020,
कोरोना महामारी का सबसे अधिक असर पशुपालन, दुग्ध उत्पादन और Dairy Industry से जुड़े लोगों पर पड़ा है। भारत का एक भी ऐसा राज्य नहीं है, जहां लगभग पिछले एक महीने से जारी लॉकडाउन से दूध की बिक्री और खपत प्रभावित नहीं हुई हो। अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी दूध की खपत में लगभग 50 प्रतिशत तक की कमी आ गई है। दूध का धंधा चौपट होने की वजह से राज्य में डेयरी फार्मर्स को भुगतान करने में दिक्कत आ रही है।
डेयरी व्यवसाय से जुड़े लोगों पर पड़ रहे प्रभाव को गंभीरता से लेते हुए बुधवार को बिहार सरकार में कृषि पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार (Dr. Prem Kumar) ने गया में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विभागीय सचिव डॉ. एन सरवन, काम्फेड की प्रबंध निदेशक शिखा श्रीवास्तव और राज्य के सभी 9 सहकारी दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति के प्रबंध निदेशकों के साथ समीक्षा की। इस समीक्षा बैठक में बिहार में दूध के कलेक्शन एवं बिक्री के साथ ही पैकेजिंग मैटेरियल, डेयरी से जुड़े दुग्ध उत्पादों, गौपालकों के बकाए पैसों के भुगतान एवं पशुओं के लिए चारे की उपलब्धता पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक के दौरान पशुपालन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने डेयरी किसानों को समय से भुगतान की व्यवस्था के लिए तमाम उपाय किए जाने के निर्देश दिए हैं।
लॉकडाउन के कारण राज्य के दुग्ध उत्पादक किसानों के समक्ष उत्पन्न कठिनाइयों के निराकरण एवं आम उपभोक्ताओं तक आसानी से दूध की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से आज कॉम्फेड के सभी 9 मिल्क यूनियनों के एम डी के साथ विडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से समीक्षा की एवं आवश्यक निदेश दिए। pic.twitter.com/58lv9PgzFB
— Dr. Prem Kumar (@DrPremKrBihar) April 15, 2020
आपको बता दें कि बिहार के 9 सहकारी दुग्ध उत्पादक सहयोग समिति द्वारा 24 मार्च 2020 से पहले 19 लाख 16 हजार लीटर दूध का कलेक्शन किया जा रहा था। लेकिन कोरोना को लेकर जारी लॉकडाउन के बाद दूध का कलेक्शन बढ़कर 19 लाख 31 हजार लीटर हो गया है। मिल्क कलेक्शन ज्यादा होने से जहां डेयरी से जुड़े अधिकारी उत्साहित हैं, वहीं दूध की बिक्री में हुई रिकार्ड गिरावट से डेयरी के अधिकारियों से लेकर सरकार के मंत्री भी चितिंत हैं।
इस संबंध में मीडिया से बात करते हुए राज्य के पशुपालन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि अभी पूरे राज्य में दुग्ध उत्पादन सहयोग समितियों से करीब 12.5 लाख गौपालक जुड़े हुए हैं और अभी 19 लाख 31 हजार लीटर दुग्ध का संग्रहण हो रहा है। उन्होंने बताया कि इसमें से आधा से भी कम करीब 9 लाख लीटर दूध ही प्रोसेसिंग के बाद बिक्री के लिए जा रहा है, बाकी करीब 10 लाख लीटर दूध से विभिन्न डेयरी प्रोडक्ट और मिल्क पाउडर बनाया जा रहा है।
डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि बाकी बचे दूध से दही, पनीर, आइसक्रीम, मिठाई, घी समेत 23 तरह के डेयरी उत्पाद का निर्माण पहले से होता रहा है। लॉकडाउन में दूध के साथ ही इन उत्पादों की भी बिक्री घटी है। इसलिए शेष दूध का पाउडर बड़ी मात्रा में बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के शुरुआत में दूध की बिक्री में 50 फीसदी की गिरावट आ गयी थी। इसको लेकर उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित क्राइसिंस मैनेजमेंट कमिटी से पत्राचार किया था, जिसके बाद दूध की बिक्री की समय सीमा को बढाया गया है। हालांकि इसके बाद भी दूध की बिक्री 50 फीसदी से बढकर सिर्फ 60 फीसदी ही हो सकी है।
समीक्षा बैठक के दौरान उन्होंने दूध के होम डिलीवरी की सुविधा को बढाने और दुग्ध से बने उत्पाद की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए कई निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही डेयरी से जुड़े गौपालकों का प्रत्येक 10 दिन में भुगतान करने का निर्देश दिया गया है ताकि लॉकडाउन में गौपालकों को आर्थिक परेशानी ना हो।
इसके साथ ही डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि लॉकडाउन में पैसे के भुगतान को लेकर डेयरी को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए सरकार एनसीडीसी एवं राज्य योजना से डेयरी के माध्यम से किसानों को मदद करने के लिये 320 करोड़ रुपये की व्यवस्था करने के प्रस्ताव पर कार्य कर रही है। पहले सूखा एवं बाढ़ के समय में दी गई कैटल फीड सब्सिडी को भी लागू करने का प्रयास किया जा रहा है।
जाहिर है कि लॉकडाउन में सभी होटल, रेस्टोरेंट बंद हैं, जहां रोजाना दूध की अच्छी-खासी खपत होती थी। शादी-विवाह समारोह के साथ ही अन्य तरह के समारोह पर भी रोक है। इस तरह के फंक्शन में दूध एवं दूध से बने उत्पादों की अच्छी खपत होती है। बहरहाल लॉकडाउन में 20 अप्रैल के बाद राज्य के कई इलाकों में कुछ छूट मिलने की संभावना है। इसी संभावना को लेकर डेयरी से जुड़े अधिकारियों को दूध और दूध से बने उत्पादों को बिक्री के बढने की उम्मीद बनाए हुए हैं।
(साभार- न्यूज 18)
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जब तक लोक डाउन में पूरी तरह छूट नहीं मिलती है दूध के बिक्री बढ़ने की संभावना कम है ।
320 करोड़ किसानों के भुगतान के लिए काफी कम है ।