डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 21 सितंबर 2017,
केंद्र सरकार किसानों की माली हालत में सुधार के लिए हर संभव प्रयास में जुट गई है। उपज के उचित व लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए कृषि मंत्रालय ने इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-नाम) को मजबूत बनाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। लेकिन इन ई-मंडियों की राह की सबसे बड़ी चुनौती इंटरनेट कनेक्टिविटी बन गई है। ज्यादातर राज्यों की मंडियों में यह बड़ी समस्या है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह की बुलाई समीक्षा बैठक में ज्यादातर प्रतिनिधियों इसे गंभीर चुनौती करार दिया।
रबी सीजन के तैयारी सम्मेलन में ही कृषि मंत्रालय की ओर से ई-नाम के कामकाज को लेकर सभी राज्यों को इस संबंध में स्पष्ट रूप से आगाह कर दिया गया है। इन ई-मंडियों में ऑनलाइन कारोबार ही करने की चेतावनी दी गई। 30 सितंबर के बाद किसी भी ई-मंडी में हाथों-हाथ होने वाले कारोबार और सौदों को कंप्यूटर में दर्ज करने की इजाजत नहीं होगी। सूत्रों के मुताबिक मंडियों के ई-कारोबार के सॉफ्टवेयर में भी इस तरह की तब्दीली कर दी गई है, ताकि कोई भी व्यापारी दूसरी तरह से होने वाले सौदों को ऑनलाइन नहीं बता सकता है।
समीक्षा बैठक में ई-नाम के मामले में ज्यादातर राज्यों में प्रगति हुई है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को ई-मंडी के कामकाज पर बधाई दी गई। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्य ई-मंडियों की स्थापना और संचालन में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। बैठक में चार राज्यों के कृषि मंत्रियों ने ही हिस्सा लिया। बाकी राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कृषि मंत्री सिंह ने राज्यों में किसानों की जागरूकता के लिए अभियान चलाने की जरूरत पर जोर दिया।
बैठक के दौरान कुछ और समस्याएं उभर कर सामने आईं। एक यह है कि ई-मंडियों में जिंसों के भाव किसानों के बजाय मंडी परिषद के लोग खोलते हैं। इससे किसानों की मर्जी के विपरीत भाव खुलते हैं, जिन्हें उन पर थोपा जाता है। समीक्षा के दौरान हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ने अपनी ई-मंडियों में ऑनलाइन कारोबार करने वालों के शुल्क में रियायत देने की बात बताई। राजस्थान में ऐसे कारोबारियों के लिए पुरस्कार का प्रावधान किया है।
कृषि मंडी सुधार के लिए मॉडल कानून के बारे में राधा मोहन ने राज्यों को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि इससे देश भर में एकल बाजार (सिंगल मार्केट) बनेगा। यह किसानों और उपभोक्ताओं के हित में होगा। मॉडल कानून में मंडी शुल्क को सीमित किया गया है। इसके पहले जुलाई में हुई समीक्षा बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री ने अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वालों को चेतावनी जारी की थी।
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