डेयरी टुडे नेटवर्क,
फिरोजाबाद, 15 दिसंबर 2017,
सभी दुग्ध उत्पादक हड़ताल में हमें सहयोग करें। यदि कोई भी दूध लाता या भेजता पाया जाएगा तो दूध फैला दिया जाएगा। जुर्माना भी लगेगा। इसके साथ ही यदि कोई चिलिंग प्लांट और डेयरी संचालक दूध खरीदते या बेचते पाए गए तो उनके टैंकर का बाल्व खोल कर दूध फैला दिया जाए .।’ किसान मजदूर व्यापार संगठन सादाबाद हाथरस द्वारा दी गई इस चेतावनी का असर गुरुवार को फीरोजाबाद में भी दिखा। दूध की कीमतों में गिरावट के बाद आए उबाल के चलते सभी प्लांट और डेयरियां बंद रहीं। दूध लेकर पहुंचे दूधियों को निराश लौटना पड़ा। ऐसे में अपना विरोध जताने के लिए कई जगह दूध सड़कों पर फैला दिया गया।
ब्रांडेड कंपनियों द्वारा पिछले एक महीने से लगातार कम की जा रही दूध की कीमतों ने चिलर प्लांट और डेयरियों को बंदी की कगार पर पहुंचा दिया है। कंपनियां इस समय दूध 20-21 रुपये प्रति लीटर के भाव से खरीद रही हैं। जबकि पशुपालक दूधिया को अच्छी गुणवत्ता का दूध 32 रुपये लीटर दे रहे हैं, जिससे हर किसी को बड़ा घाटा हो रहा है। इसको लेकर डेयरी संचालकों ने गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। बैंदी की पुलिया के निकट माधव चिलिंग प्लांट पर दोपहर तक दूध से भरे टैंकरों की आवाजाही बनी रहती थी। वहां गुरूवार को 12 बजे सन्नाटा पसरा था। देखभाल के लिए तैनात कर्मचारी दरवाजे बंद करके बैठे थे। यही हाल शहर में संचालित डेयरियां का था। कहीं दरवाजे बंद थे तो कहीं डेयरी संचालक हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। दूधिया आए तो उन्हें लौटा दिया गया। सुहाग नगर में एक डेयरी संचालक ने बताया कि एक महीने पहले दूध 36 रुपये लीटर बिक रहा था। अब इसके दाम 21 रुपये कर दिए गए हैं। इसलिए हमने डेयरी बंद कर दी। दूधियों को लौटा रहे हैं। चर्चा है कि कंपनियां जो दूध पाउडर विदेशों को भेजती थीं, उस पर रोक लग गई है। दूध की खपत कम होने के कारण कंपनियों ने दूध के दाम गिराए हैं।
हिरनगांव के दूधिया खली यादव ने बताया कि हमें पशुपालक 30 से 32 रुपये में एक लीटर दूध देते हैं और डेयरी वाले 21 रुपये में खरीदने की बात कह रहे हैं। प्रतिदिन 100-150 लीटर दूध लाते थे। गुरुवार को 20 लीटर लाए। उसे भी कोई खरीदने को तैयार नहीं है। सभी डेयरी बंद हैं। वहीं डेयरी संचालक भीकम सिंह का कहना है कि हम क्या करें, कंपनियों ने ही कीमतें कम कर दी हैं तो प्लांट वालों ने हड़ताल शुरू कर दी है। जब प्लांट वाले ही दूध नहीं लेंगे तो हम उसे कहां ले जाएंगे। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। पिछले साल भी सर्दियों में दूध 34-35 रुपये लीटर खरीदा और बेचा गया। नवंबर के अंत तक 34 रुपये की रेट चल रहा था।
दूध और उससे तैयार होने वाले उत्पाद बनाने वाली कंपनियों ने दूध की खरीद के दाम भले ही कम कर दिए हों, लेकिन उन्होंने बिक्री के दाम नहीं घटाए हैं। अमूल दूध की आधा लीटर की जो थैली एक महीने पहले 27 रुपये में बिक रही थी। वह अब भी इसी कीमत पर ग्राहकों को मिल रही है।
फिरोजाबाद के मुख्य पशु चिकिित्सा अधिकारी डॉ. प्रभंजन शुक्ला ने बताया कि सर्दी के मौसम में दूध का उत्पादन बढ़ना आम बात है। जुलाई से नवंबर तक का समय गाय, भैंस का प्रजनन काल होता है। इन महीनों में बच्चों का जन्म देने के कारण दुधारू पशु दूध अधिक देते हैं। फरवरी से दूध कम होने लगता है। यह सामान्य प्रक्रिया है।
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