डेयरी टुडे नेटवर्क,
पटना, 31 दिसंबर 2021,
बिहार में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार करीब चार हजार पशुपालकों को डेयरी फार्मिंग का हुनर सिखाएगी। पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने पशुपालकों को डेयरी पशु प्रबंधन का प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम तैयार कर लिया है। प्रशिक्षण की व्यवस्था पीपीपी के आधार पर तय की गई है। इसके तहत निजी एजेंसी का चयन कर लिया गया है। देश की नामी संस्थाओं के विशेषज्ञों से पशुपालकों को प्रशिक्षण दिलाने की योजना बनी है। इसपर विभाग करीब 2.72 करोड़ रुपये खर्च करेगा। पहली बार राज्य में प्रशिक्षण का प्रविधान किया गया है। प्रशिक्षणार्थियों के चयन में आरक्षण का भी प्रविधान है।
समग्र गव्य विकास योजना में डेरी उत्पादक किसान का चयन ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के तहत किया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न योजना, नस्लों की पहचान, रखरखाव, आहार और पशु रोग से बचाव संबंधित जानकारी दी जाएगी। किस जिला से किस-किस श्रेणी में कितने पशुपालकों को प्रशिक्षित किया जाएगा यह भी तय कर लिया गया है। प्रशिक्षण देने के लिए विभिन्न संस्थानों से विशेषज्ञों की मांग की गई है।
बता दें कि अभी तक यह प्रशिक्षण गोविज्ञान अनुसंधान संस्थान नागपुर, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड आणंद गुजरात, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल और सिलीगुड़ी में दिलाया जा रहा था। पहली बार राज्य में ही प्रशिक्षण दिलाने की पहल हुई है। इसमें पशुपालक को प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान मनोरंजन का भी प्रबंध होगा। श्वेत क्रांति लाने वाली स्टोरी आफ आनंद और एक इनाम टीकाराम के नाम जैसी बदलाव लाने वाली कई फिल्में दिखाई जाएंगी। प्रशिक्षण में डेरी पशुओं के लिए चारा लगाने और संरक्षण पर विशेष फोकस होगा। किसान साइलेज बनाना सिखाया जाएगा। इससे बाढ़ में चारे की कमी नहीं होगी। प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए पशुपालकों को जिला पशुपालन अधिकारी के यहां आवेदन करना है।
सामान्य- ओबीसी पुुरुष – 1250
सामान्य ओबीसी महिला – 1250
अनुसूचित जाति पुरुष – 1164
अनुसूचित जन जाति पुरुष – 0291
डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण पाकर पशुपालकों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से कई किस्म के लाभ होंगे। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पशुपालक पशुओं की सही तरीके से देखभाल, उनके सही पोषण, अधिक दूध उत्पादन की तकनीक तो जानेंगे ही, सरकार की योजनाओं का लाभ मिलने में भी उन्हें सहूलियत होगी। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले पशुपालकों को सरकारी अनुदान और बैंकों से लोन पाने में तरजीह मिलती रही है।
(साभार- दैनिक जागरण)
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