म्यूजियम में 800 वैरायटी के धान और आम की 140 किस्में उगाते हैं कर्नाटक के सैय्यद गनी खान

डेयरी टुडे डेस्क, 8 सितंबर 2017,

खान पान में बढ़ते कीटनाशक इंसान को बीमार कर रहा है। जब पेस्टीसाइड सीधेतौर पर किसान को प्रभावित करने लगे तो किसान एक बदलाव की लकीर खींचते हैं। सैय्यद गनी खान कर्नाटक के ऐसे ही किसान हैं जो चावल का म्यूजियम बनाना चाहते हैं। उनके पास 800 से अधिक धान की वैरायटी है जबकि 140 आम की किस्में हैं। आम को खाने पर कुछ आमों में संतरे की तो किसी में केला का स्वाद आता है। इन सबमें चौंकाने वाली बात यह है कि सैय्यद ऑर्गेनिक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं।

कर्नाटक के मंडया के किरुगवलू गांव के सय्यद को प्लांट जिनोम सेवियर सम्मान से सम्मानित किया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि गनी को किसानी में जरा भी रुचि नहीं थी, लेकिन पारिवारिक स्थितियों की वजह से वो वापस घर लौटे और किसानी को अपना करियर बनाया। एक दिन सैय्यद फसल में पेस्टीसाइड डाल रहे थे कि तभी रसायनों की महक की वजह से वो बेहोश हो गए। उन्होंने सोच लिया कि अब वो फसलों में पेस्टीसाइड का उपयोग नहीं करेंगे। और उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देना शुरू किया।

धान की खेती करते हुए सय्यद ने 2004 में 8 वेराइटी के चावल का उत्पादन किया वहीं 2010 तक उनके पास 150 तरह के धान थे जबकि 2011 तक यह बढ़कर 267 हो चुके थे। आज सय्यद के पास 800 से अधिक इंडिजिनस पैडी बीज का कलेक्शन है और वे देश के दूसरे बड़े विभिन्न किस्मों के धान की पैदावार करने वाले किसान बन चुके हैं। धान के अलावा सैय्यद आम की खेती में भी खूब रूचि रखते हैं। 20 एकड़ के उनके खेत में 120 से अधिक आमों की वैराइटी है।

उनके आम की चर्चा दूर-दूर के देशों में है क्योंकि उनके आमों से मोसम्मी, केला और सेव का टेस्ट आता है। वहीं कुछ आमों से मिर्च और कर्पूर की खुशबू आती है। लेकिन सैय्यद सुगरलेस आम के लिए काफी पॉपुलर हुए हैं। सैय्यद के घर के चार बड़े कमरों में धान के बीज और उनके बारे में जानकारियां रखी है और वो पैडी सीड का एक म्यूजियम शुरू करना चाहते हैं।

सैय्यद के खेतों और खेती को देखने और खेती के गुण सीखने के लिए स्थानीय नागरिक ही नहीं बल्कि विदेशी जैसे फ्रांस, ब्राजील, अफ्रीका, यूएसए और जापान के किसान भी आते हैं। सैय्यद को किसान पंडित सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।

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