दूध और घी की अलग फर्म बनाकर जीएसटी की चोरी, लेकिन ग्राहकों से वसूला जा रहा है 12% GST

BY नवीन अग्रवाल/बृजेंद्र गुप्ता,

गाजियाबाद/कानपुर, 10 अगस्त 2017,

जीएसटी को लागू हुए अभी एक महीना ही हुआ है और कारोबारियों ने जीएसटी की चोरी का रास्ता निकाल लिया। ये टैक्स चोरी डेयरी संचालक कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के तमाम शङरों में डेयरी कारोबारियों ने बड़ी ही सफाई के साथ दूध और घी के लिए अलग अलग फर्म बना लीं हैं। आपको बता दें कि दूध जीएसटी मुक्त है इसलिए इसमें रजिस्ट्रेशन की जरूरत ही नहीं है। इन कारोबारियों ने सिर्फ देसी घी के कारोबार का रजिस्ट्रेशन कराया है। इससे कारोबार घटकर 20 लाख से कम हो गया। लेकिन ग्राहकों से जीएसटी की वसूली धड़ल्ले से की जा रही है। दुकानों पर नोट लगा दिया है ‘देशहित में जीएसटी का भुगतान करें’। 20 लाख से कम कारोबार होने के कारण इन दुकानदारों को सरकार को टैक्स का भुगतान करने की जरूरत ही नहीं है। और इस तरह ये डेयरी संचालक सरकार और ग्राहक दोनों को चुना लगा रहे हैं।

जाहिर है कि एक जुलाई से देशभर में लागू जीएसटी में देसी घी पर 12 प्रतिशत दर से टैक्स लगाया गया है, जबकि दूध को टैक्स फ्री श्रेणी में रखा गया है। जीएसटी के साथ ही बाजार में घी की कीमतें 20 से 50 रुपए प्रति किलो तक बढ़ गई हैं। यह बढ़ोतरी पैक्ड सहित खुले में बेच रहे डेयरी वालों ने भी की है। जबकि दूध को टैक्स फ्री का हवाला देते हुए डेयरी वाले न तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन ले रहे हैं, न सरकार को टैक्स चुका रहे हैं।

सभी को कराना होगा जीएसटी का रजिस्ट्रेशन

दिल्ली-एनसीआर के वरिष्ठ टैक्स एडवाइज और चार्टर्ड एकाउंटेंट अश्वनी कुमार के मुताबिक जीएसटी में ऐसे व्यापारियों को रजिस्ट्रेशन से छूट है, जो सिर्फ टैक्समुक्त वस्तुओं का व्यापार कर रहे हैं। दूध इसमें शामिल हैं, इसलिए डेयरी वाले रजिस्ट्रेशन नहीं ले रहे हैं। हालांकि व्यापारी जीएसटी में आने वाली एक भी वस्तु बेचता है तो उसे रजिस्ट्रेशन लेना पड़ेगा। उसके टर्नओवर की गणना में टैक्स फ्री और टैक्स वाली दोनों वस्तुओं का कारोबार शामिल होगा। इस तरह दूध वाला घी बेच रहा है तो उसे जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेकर कर चुकाना होगा।

घी और दूध के लिए बनाई अलग-अलग फर्म

डेयरी वालों ने रजिस्ट्रेशन लेना तो दूर, जीएसटी से बचने के लिए दूध का कारोबार करने वाली फर्म का मालिक ही अलग कर दिया। देसी घी, बटर जैसी अन्य टैक्स वाली चीजों को अलग फर्म बनाकर बिक्री दिखाई जा रही है। इस तरह घी के कारोबार का आंकड़ा 20 लाख से कम रहता है और व्यापारी जीएसटी रजिस्ट्रेशन के दायरे में नहीं आता। इस तरह टैक्स के नाम पर ग्राहकों से घी की कीमत बढ़ाकर लिया गया पैसा भी उसकी जेब में जा रहा है।

कर अधिकारियों ने साधी चुप्पी

ऐसी स्थिति सिर्फ उत्तर प्रदेश में नहीं है, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, गुजरात, पंजाब समेत तमाम राज्यों में भी यही हालात हैं। डेयरी चलाने वाले बड़ी चालाकी से उपभोक्ताओं को लूट रहे हैं और सरकार को भी चुना लगा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि जीएसटी विभाग के अफसरों क़ो ये पता नहीं है लेकिन इसको लेकर कहीं भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। यानी कर अधिकारियों ने डेयरी संचालकों के इस कारनामे पर चुप्पी साध रखी है।

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