डेयरी टुडे डेस्क,
नई दिल्ली (भाषा), 7 अक्टूबर 2017,
केंद्र सरकार ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था में बड़े बदलाव के साथ छोटे व मझोले कारोबारियों (एसएमई), आम जनता और निर्यातकों को शुक्रवार को बड़ी राहत दी।जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक में शुक्रवार को छोटे कारोबारियों को बड़ा फायदा मिल गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, “काउंसिल ने कंपोजिशन योजना का फायदा लेने की सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया है। पहले यह सीमा 75 लाख रुपए प्रस्तावित थी।” इस योजना के तहत छोटे और मझोले कारोबारियों को कड़ी औपचारिकताओं को पूरा किए बिना एक से पांच प्रतिशत के दायरे में कर भुगतान की सुविधा दी गई है।
जेटली ने कहा, “इसके अलावा जीएसटी के तहत 27 वस्तुओं पर जीएसटी की दरों को कम किया गया है। इसके अलावा निर्यातकों को आईजीएसटी (एकीकृत माल एवं सेवा कर) राहत और ई-वालेट सुविधा मिलेगी। जीएसटी परिषद ने रेस्तरां के लिए जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने पर विचार के लिए एक समिति भी गठित की है।”
कुल 90 लाख पंजीकृत इकाइयों में से अब तक 15 लाख ने कंपोजिशन योजना का विकल्प चुना है। कंपोजिशन स्कीम में वस्तु व्यापारियों के लिए कर की दर एक प्रतिशत है। वहीं विनिर्माताओं के लिये दो प्रतिशत, खाद्य या पेय पदार्थ (अल्कोहल के बिना) की आपूर्ति करने वालों के लिये 5 प्रतिशत रखा गया है। सेवा प्रदाता कंपोजिशन योजना का विकल्प नहीं चुन सकते।
कंपोजिशन योजना भोजनालय समेत छोटी कंपनियों को तीन स्तरीय रिटर्न भरने की प्रक्रिया का पालन किए बिना एक से पांच प्रतिशत के दायरे में तय दर से कर देने की अनुमति देती है। यह छोटे करदाताओं को स्थिर दर पर जीएसटी भुगतान की अनुमति देता है और उन्हें जटिल जीएसटी औपचारिकताओं से गुजरने की जरुरत नहीं होती है।
रेस्तरां संबंधित सेवाओं, आइसक्रीम, पान मसाला या तंबाकू विनिर्माता, आकस्मिक करदाता अथवा प्रवासी करदाता व्यक्ति तथा ई-वाणिज्य आपरेटर के जरिये वस्तुओं की आपूर्ति करने वाली कंपनियों के अलावा अन्य कोई भी सेवा प्रदाता इस योजना का विकल्प नहीं चुन सकता है। जो भी कंपनी कंपोजिशन योजना का विकल्प चुनती हैं, वे इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकती। साथ ही करदाता एक ही राज्य में आपूर्ति कर सकते हैं और वस्तुओं की एक राज्य से दूसरे राज्य में आपूर्ति नहीं कर सकते।
1-अनब्रांडेड आयुर्वेदिक दवाइयां (12 से 5 प्रतिशत)
2-हस्तरनिर्मित धागा (18 से 12 प्रतिशत)
3-आम पापड़ (12 से 5 प्रतिशत)
4-खाकरा व सादा चपाती (12 से 5 प्रतिशत)
5-अनब्रांडेड नमकीन (12 से 5 प्रतिशत)
6-बच्चों का पैकेज्ड फूड (12 से 5 प्रतिशत)
7-प्लास्टिक व रबर वेस्टर (18 से 5 प्रतिशत)
8-पेपर वेस्ट (12 से 5 प्रतिशत)
9-स्टेशनरी व डीजल इंजन के पार्ट (28 से 18 प्रतिशत)
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