चंडीगढ़,19 जुलाई 2017
हरियाणा की 53 बड़ी गोशालाओं में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर बायोगैस प्लांट लगाए जाएंगे। इसके लिए इच्छुक कंपनियों, संस्थाओं का चयन टेंडर के माध्यम से होगा। इसमें गोशालाओं की ओर से संबंधित संस्था को गोबर और प्लांट के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। बदले में कंपनी या संस्था को अपने प्रॉफिट की कम से कम 10 फीसदी राशि गोशाला को देनी होगी। टेंडर में जो भी 10 फीसदी से ज्यादा राशि देने को तैयार होगा, उसे महत्व दिया जाएगा। कुल 437 में से चयनित इन 53 गोशालाओं में 1500 से ज्यादा गोवंश है। एक गौ वंश औसतन 5 किलो गोबर करता है। इस तरह बायोगैस प्लांट को पर्याप्त मात्रा में गोबर उपलब्ध होगा। बाकी गोशालाओं में सरकार अपने स्तर पर बायोगैस प्लांट लगवाएगी, ताकि उनकी अपनी जरूरतें पूरी होती रहें।
राज्य गो सेवा आयोग के अध्यक्ष भानीराम मंगला ने बताया कि प्रदेश की सभी गोशालाओं में उपलब्ध सभी गो वंश की टैगिंग कर दी गई है। इसके हिसाब से अभी राज्य की गोशालाओं में करीब 3 लाख गौ वंश हैं। जबकि लगभग 50 हजार गो वंश अभी भी बाहर सड़कों पर हैं। इन गो वंशों के लिए प्रदेश भर में नंदी शालाओं का निर्माण किया जा रहा है। नंदी शाला और गो शालाओं में गो मूत्र और अन्य प्रोडक्ट बनाकर बिक्री करने के प्रोजेक्ट बनवाए जा रहे हैं।
सड़कों पर घूम रहे गोवंश पर सख्त रुख अपनाएगी सरकार
गोसेवा आयोग के अध्यक्ष भानीराम मंगला ने बताया कि पिछले दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए कि लोग पालतू गो वंश को भी दूध निकालने के बाद सुबह-शाम खुला छोड़ देते हैं। यह गो वंश सड़कों पर घूमता रहता है। इस पर सख्ती से रोक लगाने के उद्देश्य से अब 5100 रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
गोशालाओं को मिलेंगी गोबर से प्रोडक्ट बनाने की मशीनें
राज्यकी सभी गोशालाओं को गोबर से बायो प्रोडक्ट जैसे ऊपला, हवन और दाह संस्कार में उपयोग के लिए स्टिक (समिधा) आदि बनाने की आॅटोमैटिक मशीनें दी जाएंगी। इनमें एक मशीन की कीमत करीब 50 हजार रुपए है लेकिन गोशाला नंदीशाला को केवल 10 फीसदी राशि देनी होगी। बाकी 90 फीसदी राशि गो सेवा आयोग के माध्यम से अनुदान के तौर पर दी जाएगी।
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