हरियाणा के डेयरी किसान गुरुमेश बने मिसाल, डेयरी फार्म से हर महीने 15 लाख की कमाई

डेयरी टुडे नेटवर्क,
करनाल, 5 नवंबर 2024,

हरियाणा के करनाल के प्रगतिशील डेयरी किसान गुरमेश सिंह डेयरी सेक्टर में किस्तम अजमाने वालों के लिए मिसाल बन चुके हैं। करनाल के गुढा गांव के गुरमेश उर्फ डिम्पल दहिया ने डेयरी फार्मिंग में महारत हासिल की है। अब वह गायों की ब्रीड तैयार कर पशुपालन के क्षेत्र में अच्छा नाम कमा रहे हैं। पशुपालन का अनुभव तो उन्हें अपने पिता रणधीर सिंह से मिला और अब वह लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं।

दरअसल, गुरमेश सिंह ने 10 गायों के साथ डेयरी की शुरूआत की और अब उनके पास 60 गायें हैं। उन्होंने केवल 10 गायें खरीदी थी और फिर अपनी ब्रीड तैयार की। कभी उनकी डेयरी में महज 100 लीटर दूध का उत्पादन होता था, लेकिन आज मिल्क प्रोडक्शन 1400 से 1500 लीटर प्रतिदिन है। इस दूध को वह नेस्ले और अमूल जैसी कंपनियों को सप्लाई करते हैं और हर महीने करीब 10 से 15 लाख की इनकम हो जाती है।

दुग्ध उत्पादन और ब्रीड सुधार में दिलचस्पी
गुरमेश बताते है कि उसके पिता रणधीर सिंह घर पर पशु रखने का काम करते थे। 2004 से पहले हमारे पास 10-12 पशु होते थे और इनमें भैंसे और गायें भी थी। साल 2004 में हमने अपने डेयरी के काम को बढ़ाया और नजदीक गांव शेखपुरा खालसा से 11400 रुपये में एचएफ नस्ल की गाय ली थी। जो 20 लीटर दूध देती थी। उस समय 20 लीटर दूध देने वाली गाय को टॉप गाय की कैटेगरी में माना जाता थ। साल 2006 में उन्होंने 29 हजार में एक गाय ली, जो 30 लीटर दूध देती थी। हम बाहर से गाय खरीदते थे, इसलिए आइडिया यह आया कि क्यों न हम अपनी ही ब्रीड तैयार करें और इसके बाद से डेयरी फार्मिंग की तरफ ओर भी ज्यादा रुझान हो गया।

गुरमेश ने बताया कि दूध का प्रोडक्शन और ब्रीड सुधार में दिलचस्पी की वजह से अब घर पर पशु बांधने के लिए जगह ही कम पड़ गई थी। अब घर पर हमारे पास 25 से ज्यादा गाय हो चुकी थी, चूंकि जगह कम थी इसलिए 2016 में एक किलोमीटर दूर अपने एक एकड़ में डेयरी फार्म बनाया। उस समय आर्थिक दिक्कत आई और बैंक से 10 लाख का लोन लेकर काम शुरू किया। गुरमेश बताते है कि वे शुरूआत से ही गाय पालते आ रहे है और उनके पास 55 एचएफ नस्ल और 5 जर्सी नस्ल की गायें हैं। लोग कहते भी है कि भैंस भी पाल लिया करो, लेकिन भैंस पालने में खर्च ज्यादा आता है और दूध का प्रोडक्शन जयादा नहीं होता, इसलिए शुरू से ही गाय की तरफ रूझान है। गुरमेश ने बताया कि उनके पास 36 दूधारू, 10 हिप्पर (पहली बार गर्भवती), 15 काफ गाय हैं, जो 0 से एक साल के बीच की उम्र की होती हैं।

40 लीटर दूध भी देती है एक गाय
गुरमेश के पास ऐसी गाय है, जिनका दूध का प्रोडक्शन 40 लीटर से ज्यादा है। कुछ गाय ऐसी भी है जो 60 लीटर से ज्यादा दूध देती है। इसके अलावा, एक गाय वो भी है, जो 67 लीटर दूध एक दिन में देती है। एचएफ नस्ल की इस गाय का दिन में तीन बार दूध निकालना पड़ता है। हालांकि, इस गाय के लिए खरीदार पांच लाख रुपए तक देने को तैयार थे, लेकिन उन्होंने गाय नहीं बेची। वह अपनी गाय को पशु मेलो में कंपीटिशन के लिए तैयार कर रहे हैं। गुरमेश बताते है कि उनके पास कोई सांड नहीं है और वह विदेशी कंपनियों के सीमन का इस्तेमाल करते है। इसमें एचएफ सीमन, यूएसए की कंपनी और एबीएस और सीआरवी, सी- मेक्स, डब्ल्युडब्ल्युएस कंपनी और गुजरात की एसईजी कंपनी के सीमन यूज करते है। सीमन की कीमत एक हजार से लेकर 7 हजार तक होती है।

मशीन से निकालते हैं दूध
गुरमेश के मुताबिक, वह अपनी डेयरी का दूध अमूल और नेस्ले कंपनी को बेचते है। जहां पर उन्हें फैंट के हिसाब से दूध का रेट मिलता है। दूध उत्पादन भी सर्दियों और गर्मियों के अनुसार घटता बढ़ता रहता है। दूध घटने पर नुकसान होता है, लेकिन जब दूध सर्दियों में बढ़ता है तो थोड़ा फायदा होने लगता है। कंपनियां उनका दूध 38 रुपये से 40 रुपये हिसाब से खरीदती हैं। पीक सीजन में उसकी डेयरी पर 1500 लीटर दूध का उत्पादन हो जाता है। दूध निकालने के लिए विदेशी मशीनें इस्तेमाल की जाती हैं और चार मशीने हैं, लेकिन वह दो मशीनों का ही इस्तेमाल करता है और दो घंटे में सारी गायों का दूध निकाल लेते हैं। जिस तरह से आमदनी होती है उस हिसाब से खर्च भी है। आमदनी का 60 फीसदी हिस्सा डेयरी में पशुओं पर ही खर्च हो जाता है।

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