डेयरी टुडे नेटवर्क,
शिमला, 15 अगस्त 2019,
हिमाचल प्रदेश की पहाड़ी गाय अब गौरी नाम से पहचानी जाएगी। प्रदेश सरकार ने पहाड़ी नस्ल की छोटे कद की गाय की ‘गौरी’ नाम से ब्रांडिंग करने का फैसला किया है। इतना ही नहीं सरकार जल्द ही पहाड़ी गाय के दूध को भी ‘गौरी’ ब्रांड से लॉन्च करेगी। हिमाचल प्रदेश के पशुपालन एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि सरकार गौरी नाम से पहाड़ी गाय का दूध बाजार में लॉन्च करने जा रही है। यह दूध शुद्ध और पहाड़ी गाय का होने के साथ गुणवत्तापूर्ण भी होगा। इतना ही नहीं लाहौल स्पीती में पाई जाने वाली चारू गाय का नाम ‘हिम चारू’ रखा जाएगा। बता दें कि अभी लाहौल घाटी में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चारू गायों की संख्या बहुत ही कम है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हिमाचल प्रदेश के पशुपालन मंत्री ने कहा कि दुग्ध उत्पादकों की आर्थिक स्थिति सुधारने और गाय पालन को लाभकारी बनाने के लिए हिमाचल सरकार तेजी से काम कर रही है। श्री कंवर ने बताया कि पहाड़ी गाय के दूध की गौरी नाम से ब्रैंडिग की जा रही है, जल्दी ही एक बड़ा कार्यक्रम कर मुख्यमंत्री इसे लॉन्च करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे लोगों को मिलावटी दूध से भी निजात मिलेगी। हिमाचल आने वाले लोगों को भी पहाड़ी गाय का शुद्ध दूध मिलेगा। उन्होंने बताया कि पहाड़ी गाय के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक परियोजना केंद्र सरकार को भेजी गई है और गौरी नाम से हिमाचल में पहाड़ी गाय को पहचान दिलाने का फैसला किया गया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।
श्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि प्रदेश में आवारा पशुओं से निजात पाने के लिए हर जिले में काउ सेंचुरीज का किया जा रहा है। इसके लिए 12 करोड़ रुपये की राशि भी जारी की जा चुकी है। उन्होंने दावा किया कि इस माह के अंत तक राज्य की पहली काउ सेंचुरी का लोकार्पण मुख्यमंत्री करेंगे। प्रदेश में हर जिले में एक और बड़े जिलों में दो से तीन गौ सेंचुरी बनाई जाएंगी। समें ज्वालामुखी के मझीण में 535 कनाल भूमि, ऊना के थानाकलां और जिला सोलन के नालागढ़ में हांडाकुंडी में भूमि चयन कर टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। हमीरपुर के कलवाल और खैरी, ऊना के कृष्णा नगर, गगरेट और कतौड़ कलां, चंबा में सराली, सोलन में दाड़लाघाट, शिमला के सुन्नी और बलधार, मंडी के बल्ह और सरकाघाट तथा बिलासपुर के बलसिन्हा, दधोल, धार टटोह और बरोटा ढबवाल क्षेत्रों में गो-अभ्यारण्य बनाने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने यही भी बताया गाय बछड़ा पैदा न करे इस के लिए हिमाचल में सीमन लेब स्थापित किया जा रहा है। इस की स्थापना के लिए केंद्र सरकार ने पहली किश्त भी जारी कर दी है।
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