देसी नस्ल की गीर गाय पालन कर सैकड़ों आदिवासी महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर

डेयरी टुडे नेटवर्क,
सिलवाला, 24 अगस्त 2021,

केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में पशुपालन विभाग की तरफ से दी गई देसी नस्ल की गीर गायों से वहां की सैकड़ों गरीब, विधवा व असहाय आदिवासी महिलाओं की तकदीर बदल दी है। गांवों में गीर गाय पाल कर और उनका दूध बेचकर ये महिलाएं अच्छी आय अर्जित कर रही हैं। आपको बता दें कि पशुपालन विभाग ने 50 प्रतिशत सब्सिडी पर 600 से अधिक लाभार्थी महिलाओं को गीर गाय उपलब्ध कराई हैं। इसका परिणाम यह है कि महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ स्थानीय लोगों को कम कीमत पर गीर गाय का दूध मिलने लगा है। वहां पर गीर गाय के दूध की दर 60 रुपए प्रति लीटर निर्धारित है।

दादरा और नगर हवेली मेंं बड़ी संख्या में औद्योगिक इकाईयों के चलते दूध की मांग अधिक है। यहां पड़ोसी राज्यों से पैकेटबंद दूध 50 से 60 रुपए लीटर के भाव से आपूर्ति किया जाता है। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आदिवासी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में सरकार द्वारा संकलित डेयरी विकास योजना (आईडीडीपी) सराहनीय कदम है। पत्रिका की खबर के अनुसार इस योजना में स्टाब्लिशमेंट ऑफ स्माल स्केल डेयरी यूनिट के तहत रांधा, किलवणी, सुरंगी, खानवेल, दपाड़ा, खेरड़ी व आंबोली गांवों में 600 से अधिक किसानों को सब्सिडी पर गीर गाय दी गई है। घर के पास ही दूध खरीदने के लिए विभाग ने बिक्री केन्द्र भी खोल दिए हैं। यह दूध बाद में बोतल में बंद करके उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराया जाता है।

रांधा निवासी कुंसीबेन वरठा ने बताया कि योजना के तहत उन्होंने 10 गायें खरीदी थीं। बछिया जन्म के बाद इनकी संख्या 20 हो गई है। एक गाय प्रतिदिन 7-8 किलो दूध देती हैं, जिससे घर बैठे प्रतिदिन 1500 से 2000 रुपये तक आमदनी हो जाती है। वेटेनरी डॉक्टरों के अनुसार गीर गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन, 6 विटामिन, 21 तरह के एमिनो एसिड, 11 चर्बीयुक्त अम्ल, 25 प्रकार के खनिज, दो तरह की शर्करा होती है। बच्चे व गर्भवती महिलाओं के लिए गीर का दूध अमृत समान है। गीर गाय का दूध आसानी से बिक जाता है।

(साभार- पत्रिका)

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