डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर 2021,
देश में पहली बार IVF (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) तकनीक से भैंस का बछड़ा पैदा हुआ है। यह भैंस गुजरात की बन्नी नस्ल की है। इससे पहले देश के अलग-अलग हिस्सों में आईवीएफ तकनीक के जरिए गाय के बछड़ों का जन्म हो चुका है। पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि पहला आईवीएफ बछड़ा बन्नी नस्ल की भैंस के 6 बार आईवीएफ गर्भाधान के बाद पैदा हुआ।
पशुपालन मंत्रालय के मुताबिक, यह प्रक्रिया सुशीला एग्रो फार्म्स के किसान विनय एल वाला के घर जाकर पूरी की गई। यह फार्म गुजरात के सोमनाथ जिले के धनेज गांव में स्थित है। मंत्रालय ने कहा कि इसके साथ ही भारत में ओपीयू-आईवीएफ तकनीक अगले स्तर पर पहुंच गई है।
Happy to share the good news of the birth of first #IVF calf of Buffalo breed namely – #BANNI in the country . This is the first #IVF_Banni_calf born out of 6 Banni IVF pregnancies established at the door steps of farmer namely Mr Vinay.L.Vala of Sushila Agro farms pic.twitter.com/vROwzIuLWq
— Ministry of Fisheries, Animal Husbandry & Dairying (@Min_FAHD) October 22, 2021
डेयरी एवं पशुपालन मंत्रालय ने ट्वीट किया, “देश में भैंसों की बन्नी नाम की प्रजाति के आईवीएफ के जरिए पहले बच्चे के जन्म की अच्छी खबर देते हुए प्रसन्नता हो रही है। सुशीला एग्रो फार्म्स के किसान विनय एल वाला के यहां छह बन्नी भैंसे आईवीएफ तकनीक के जरिए गर्भवती हुईं, उनमें से यह पहली भैंस है जिसने बच्चे को जन्म दिया।”
"Growing and evolving"
India marks the birth of first IVF calf of Buffalo breed 'BANNI'.
This is the first IVF Banni calf born out of 6 Banni IVF pregnancies in Dhanej – Dist Somnath (Gujarat).
— Parshottam Rupala (@PRupala) October 22, 2021
मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 15 दिसंबर, 2020 को गुजरात के कच्छ इलाके का दौरा किया था, तब उस समय उन्होंने बन्नी भैंस की नस्ल के बारे में चर्चा की थी। उसके अगले ही दिन यानी 16 दिसंबर, 2020 को बन्नी भैंसों के अंडाणु निकालने (ओपीयू) और उन्हें विकसित करके भैंस के गर्भाशय में स्थापित करने (आईवीएफ) की प्रक्रिया शुरू करने की योजना बनाई गई थी।
वैज्ञानिकों ने विनय एल वाला के धनेज स्थित सुशीला एग्रो फार्म्स की बन्नी नस्ल की तीन भैंसों को गर्भाधान के लिए तैयार किया। वैज्ञानिकों ने भैंस के अंडाशय से डिम्ब निकालने के उपकरण (इंट्रावैजिनल कल्चर डिवाइस-आईवीसी) द्वारा 20 अंडाणु निकाले। तीनों में से एक भैंस के कुल 20 अंडाणुओं को आईवीसी प्रक्रिया से निकाला गया।
मंत्रालय के मुताबिक वास्तव में एक डोनर से निकाले जाने वाले 20 अंडाणुओं में से 11 भ्रूण बन गए। नौ भ्रूणों को स्थापित किया गया, जिनसे तीन आईवीएफ गर्भाधान वजूद में आए। दूसरे डोनर से पांच अंडाणु निकाले गए, जिनसे पांच भ्रूण (शत प्रतिशत) तैयार हुए। पांच में से चार भ्रूणों को स्थापित करने के लिये चुना गया और इस प्रक्रिया से दो गर्भाधान हुए। तीसरे डोनर से चार अंडाणु निकाले गये, दो भ्रूणों को विकसित किया गया और उन्हें स्थापित करके एक गर्भाधान हुआ।
मंत्रालय के बयान के मुताबिक, “कुल मिलाकर 29 अंडाणुओं से 18 भ्रूण विकसित हुए। इसकी बीएल दर 62 प्रतिशत रही। पंद्रह भ्रूणों को स्थापित किया गया और उनसे 6 गर्भाधान हुए। गर्भाधन दर 40 प्रतिशत रही। इन छह गर्भाधानों में से आज पहला आईवीएफ बछड़ा पैदा हुआ। यह देश का पहला बन्नी बछड़ा है, जो कृत्रिम गर्भाधान की आईवीएफ तकनीक से पैदा हुआ है। सरकार और वैज्ञानिक समुदाय को भैंसों की आईवीएफ प्रक्रिया में अपार संभावना नजर आ रही है और वे देश के पशुधन में सुधार लाने के लिए प्रयासरत हैं।”
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