दूध के नाम पर जहर पी रहा है हिंदुस्तान!

डेयरी टुडे नेटवर्क,
By नीरज कुमार दीक्षित,

भारत देश आज से नहीं, सदियों से जब से भगवान कृष्ण का जन्म हुआ है उस समय से दूध, दही और मक्खन, घी के लिये जाना जाता है। लेकिन आज के समय चंद मिल्क माफियाओं ने बाजार मे ऐसा पैर जमाया है कि हम आज शुद्ध दूध के लिये तरस गये हैं। आज हम देश की हालत की बात करें तो चम्बल नदी के किनारे बसे मध्यप्रदेश के मुरैना ज़िले को ही देख लीजिये, जहां कुछ दिनों से दूध और दुग्ध उत्पादों में मिलावट के खिलाफ प्रशासन ने बहुत बड़ी कार्रवाई की है। मिल्क माफियाओं के खिलाफ ये कार्रवाई आज पूरे देश में चर्चा का विषय बन गयी है, जो कि अपने आप मैं काबिले तारीफ है। मिल्क माफियाओं के खिलाफ इस कार्रवाई ने मध्य प्रदेश की विधानसभा को हिला के रख दिया है।

आज अगर सम्पूर्ण हिंदुस्तान की बात की जाये तो कुछ दिन पूर्व एनिमल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य रहे मोहन जी अहुवालिया ने देश मैं बिकने वाले 68% दूध को जहर बताया था। हालांकि fssai ने उन आरोपों का खंडन करते हुऐ गलत बताया। लेकिन आज जमीनी स्तर पर बात की जाये तो देश में बड़े स्तर पर सिंथेटिक, मिलावटी, जहरीले दूध का उपयोग हो रहा है। जिस तरह मध्य प्रदेश के भिंड और मुरैना की हालत है, इसी तरह देश के अधिकतर जिलों में दूध में मिलावट का खेल किया जा रहा है। आज देश में खाद्य विभाग के अधिकारियों की बात करें तो वो कभी-कभार खाना-पूर्ति के नाम पर कार्रवाई करते हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने इस ओर ध्यान देते हुई रसुका एक्ट लागू कर दिया है, जो भी खाद्य और खाद्य पदार्थो में मिलावट करता है या करता हुआ पाया जाएगा उस पर उक्त कार्रवाई की जाएगी।

मेरा मानना है कि अगर ये नियम सम्पूर्ण देश में लागू हो जाये तो हम बहुत सारी ऐसी बीमारियों से बच सकते हैं जो प्रदूषित और मिलावटी खाद्यपदार्थों की वजह से होती हैं। आज देश मैं केवल दूध में केमिकल और डिटर्जेंट की मिलावट से कैंसर के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि हम कैसे कहें कि हम दुनिया में दूध उत्पादन मैं नंबर एक हैं, जबकि शुद्धता और गुणवत्ता के नाम पर जीरो हैं। यह अच्छी बात है कि भारत सरकार ने अलग डेयरी मंत्रालय भी बन दिया है। डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह भी दूध में मिलावट के खिलाफ चिंता जता चुके हैं। लेकिन अब देखने वाली बात यह है कि कब देशवासी जहरीले दूध से मुक्ति पाते हैं।

(डेयरी टुडे के लिए नीरज कुमार दीक्षित, शोध छात्र, डेयरी टेक्नोलॉजी, शुअट्स, नैनी, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश)

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