डेयरी टुडे नेटवर्क,
करनाल, 2 जून 2024
विश्व दुग्ध दिवस (World Milk Day) पर करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में डेयरी वैज्ञानिकों द्वारा पशुओं में दुग्ध उत्पादकता बढ़ाने और गुणवत्ता युक्त दूध को प्रोत्साहन देने पर विस्तार से चर्चा की गई। निदेशक डॉ. धीर सिंह ने कहा कि डेयरी क्षेत्र में प्रमुख संस्थान होने के नाते NDRI ने डेयरी सेक्टर में अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। दुग्ध उत्पादन में भारत दुनिया में पहले पायदान पर है। जिसे लेकर करनाल स्थित NDRI भी उत्साहित है, जो देश में प्रति व्यक्ति एक लीटर दूध की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। देश में डेयरी मांग को पूरा करने के लिए अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है।
उन्होंने बताया कि आज डेयरी सेक्टर का सकल मूल्य 10 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो एक बड़ी उपलब्धि है। बढ़ती जनसंख्या के बीच एक अनुमान के मुताबिक देश की दूध और उसके उत्पादों की मांग को पूरा करने के लिए भारत को 2033 तक प्रति वर्ष 330 एमएमटी दूध का उत्पादन करने की आवश्यकता है।
NDRI करनाल के कुलपति और निदेशक डॉ. धीर सिंह ने दुग्ध दिवस पर उत्पादकों और उपभोक्ताओं को बधाई देते हुए बताया कि इस वर्ष की थीम दुनिया को पोषण देने के लिए गुणवत्तापूर्ण पोषण प्रदान करने में डेयरी की महत्वपूर्ण भूमिका का जश्न मनाने पर केंद्रित होगी। डेयरी एक सुलभ, किफायती और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन है और दुनियाभर में संतुलित आहार का एक अनिवार्य हिस्सा है।
निदेशक ने बताया कि भारत वैश्विक दुग्ध उत्पादन का करीब 24.64 प्रतिशत दूध उत्पादन कर विश्व में पहले स्थान पर है। दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश होने के बावजूद भारत दुधारू पशुओं की कम उत्पादकता से जूझ रहा है। इसके लिए हमें अपने डेयरी पशुओं के पोषण में सुधार करना होगा और स्वदेशी पशुओं पर भी अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा क्योंकि वे जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक सहिष्णु हैं।
भारत के बाद दूध उत्पादन के मामले में अमरीका, चीन, ब्राजील जैसे देश आते हैं। भारत में प्रतिदिन लगभग 64 करोड़ लीटर से भी ज्यादा दूध की खपत होती है। देश में दूध की उपलब्धता लगभग 459 ग्राम प्रति व्यक्ति है जबकि हरियाणा राज्य में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 1098 ग्राम प्रतिदिन है, पूरे देश में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता एक लीटर हो सके, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय ऊंट संस्थान बीकानेर के निदेशक डॉ अरताबंधु साहू व राष्ट्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मथुरा के निर्देशक डॉ. मनीष कुमार ने बताया कि गाय भैंस के अलावा जो दुधारू पशु है। उनमें बकरी और ऊंटनी भी अपनी औषधि युक्त दूध के लिए जाने जाते हैं। जो कि अनेक बीमारियों में उपयोगी है। हम इनके दूध के व्यवसायीकरण पर जोर दे रहे हैं जिससे कि किसानों की आय बढ़े। वहीं लोगों का स्वास्थ्य भी अच्छा हो।
उन्होंने कहा कि ऊंटनी का दूध डेंगू मलेरिया बुखार डायबिटीज सहित अन्य बीमारियों के लिए सर्वोत्तम है। उन्होंने कहा कि इन पशुओं पर गर्मी का भी कोई असर नहीं होता और उनकी दूध की उत्पादकता गर्मी के दिनों में भी बनी रहती है। अन्य दुधारू पशुओं में गर्मी व सर्दी के दिनों में दूध उत्पादकता कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि उनके संस्थान में दुग्ध के उत्पादों में बढ़ोतरी, दूध की चिकित्सीय गुणों व जलवायु सहनशील पशुओं को तैयार करने आदि कई स्तर पर कार्य किया जा रहा है।
(साभार- जी न्यूज)
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