डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 1 अप्रैल, 2021,
भारतीय सेना ने बड़ा कदम उठाते हुए 132 साल बाद अपने सभी 39 सैन्य डेयरी फार्म औपचारिक रूप से बंद कर दिया है। सेना के इन डेयरी फार्मों को सैनिकों को गायों का स्वास्थ्यप्रद दूध उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि इन्हें बंद करने से संबंधित समारोह का आयोजन बुधवार को दिल्ली छावनी में मिलिटरी फार्म्स रिकॉर्ड्स में किया गया।
रक्षा मंत्रालय ने अगस्त 2017 में कई सुधारों की घोषणा की थी कि जिनमें सैन्य डेयरी फार्म को बंद करना भी शामिल था। इन फार्म की स्थापना सेना की इकाइयों को दूध की आपूर्ति के लिए ब्रिटिश काल में की गई थी। सेना ने एक बयान में कहा, ‘‘राष्ट्र की 132 साल तक शानदार सेवा करने के बाद इस संगठन को बंद किया जा रहा है।’’
बताया गया है कि सैन्य फार्म ने एक सदी से अधिक समय तक सैन्य समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ 3.5 करोड़ लीटर दूध की आपूर्ति की। सेना के बयान में कहा गया कि वर्ष 1971 के युद्ध के दौरान पश्चिमी तथा पूर्वी युद्ध मोर्चों पर सेवा प्रदान करते हुए दूध की आपूर्ति के साथ-साथ कारगिल युद्ध के समय उत्तरी कमान में इसका संचालन कार्य उल्लेखनीय रहा है।
सेना ने कहा कि 1990 के दशक के अंत में लेह और कारगिल में भी दैनिक आधार पर सैनिकों को ताजा और स्वच्छ दूध की आपूर्ति के उद्देश्य के साथ सैन्य फार्मों की स्थापना की गई थी। इसका एक अन्य प्रमुख कार्य सैन्य भूमि के बड़े इलाके की देखभाल करना। इस फैसले के साथ सेना के डेयरी कार्यों में लगी 20 हजार एकड़ से भी अधिक जमीन अन्य कार्यों में उपयोग की जाएगी।
लेफ्टिनेंट जनरल शशांक मिश्रा ने बताया कि भारत में सेना के उपयोग के लिए अंबाला, कोलकाता, श्रीनगर, आगरा, पठानकोट, लखनऊ, मेरठ, इलाहाबाद (प्रयागराज) और गुवाहाटी जैसे शहरों में डेयरी फार्म हैं। इनमें से कुछ फार्मों को तो ब्रिटिश इंडिया के समय में स्थापित किया गया था। सेना ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद पूरे भारत में 30 हजार मवेशियों के साथ 130 सैन्य फार्म बनाए गए थे। पहला सैन्य फार्म 1 फरवरी 1889 को इलाहाबाद में स्थापित किया गया था। ये सैन्य फार्म लगभग 20 हजार एकड़ भूमि पर फैले थे और सेना इनके रखरखाव पर सालाना लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च करती थी।
आपको बता दें कि सैन्य डेयरी की सभी गायों को राज्यों को सौंपने का फैसला किया गया है। इस समय इन फार्मों में 25 हजार से अधिक मवेशी हैं। गोवंश को न्यूनतम कीमत पर सरकारी विभागों के फार्मों और सहकारी कोआपरेटिव की डेयरियों को दे दिया जाएगा। जबकि इन डेयरी फार्मों में काम करने वाले कर्मचारियों को अन्य संबंधित विभागों में भेजा जाएगा।
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