डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 26 अगस्त 2021,
हमारे देश के वैज्ञानिकों ने ‘IndiGau’ नाम की एक खास चिप विकसित की है। बताया जा रहा है कि यह चिप देसी नस्ल की गायों के संरक्षण और उनके नस्ल सुधार के लिए काफी सहायक सिद्ध होगी। यह भारत की पहली एकल पॉलीमोरफिज्म आधारित चिप है। केंद्र सरकार के मुताबिक 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करने में इस चिप का विकास एक अहम कदम है।
आपको बता दें कि हाल ही में गिर, कंकरेज, साहीवाल और अंगोल जैसी देसी गायों की शुद्ध नस्लों के संरक्षण के लिए भारत की पहली एकल पॉलीमोरफिज्म (एसएनपी) आधारित चिप इंडिगऊ का शुभारंभ किया गया है। इस चिप को जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत स्वायत संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी, हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है।
पिछले दिनों इस चिप का शुभारंत करते हुए केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा था कि इंडिगऊ पूर्ण रूप से स्वदेशी और दुनिया की सबसे बड़ी कैटल चिप है। इंडीगऊ चिप में 11,496 मार्कर हैं, जो कि अमेरिका और ब्रिटेन की नस्लों के लिए रखे गए 777 मार्कर के एलुमिना चिप की तुलना में बहुत अधिक हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी अपनी देसी गायों के लिए तैयार किया गया यह चिप आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक शानदार उदाहरण है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि इंडीगऊ चिप बेहतर पात्रों के साथ हमारी अपनी नस्लों के संरक्षण के लक्ष्य की प्राप्ति करते हुए 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने में सहयोग प्रदान करने वाले सरकारी योजनाओं में व्यवहारिक रूप से उपयोगी साबित होगी।
फेनोटाइपिक और जिनोटाइपिक सहसंबंध उत्पन्न करने में इस चिप के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए, एनआईएबी ने नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के साथ सहयोगात्मक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। एनडीडीबी फेनोटाइपिक रिकॉर्ड के संग्रह के क्षेत्र में अच्छे प्रकार से संगठित उपस्थिति प्रदान कर रही है। इसलिए एनआईएबी और एनडीडीबी किसी भी महत्वपूर्ण विशेषताओं का पता लगाने के लिए कम घनत्व वाले एसएनपी चिप के लिए जानकारी प्रदान करने हेतु इस शोध की शुरुआत करने जा रहा है।
इसके माध्यम से भारतीय मवेशियों की पात्र उत्पादकता वाले वर्ग का चयन करने और उसमें सुधार करने में सहायता प्राप्त होगी। एनआईएबी द्वारा अपने एसएनपी चिप्स को डिजाइन निर्माण के लिए भारत के अंदर ही क्षमता विकसित करने के लिए निजी उद्योगों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया गया है। शुरुआती दिनों में हो सकता है कि बहुत कम धनत्व वाले एसएनपी चिप ही बन सकें, लेकिन धीरे-धीरे इस तकनीक को बड़े चिप के लिए और भी मजबूती प्रदान की जा सकती है, जिससे भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
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