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नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क) किसानों के कर्ज माफी का मुद्दा हमेशा ही भारतीय राजनीति के शीर्ष पर रहा है। लगभग सभी पार्टियों ने इसको वोट बैंक की तरह इस्‍तेमाल किया है। एक ओर जहां मध्‍य प्रदेश में इसी मुद्दे पर पिछले दिनों बवाल मचा रहा था वहीं महाराष्‍ट्र ने कर्ज माफी का एलान कर राजनीति को खुद ही गरमा दिया है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि महाराष्‍ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार है तो मध्‍य प्रदेश में भाजपा की काफी समय से सरकार है। मध्‍य प्रदेश में पानी की समस्‍या के साथ-साथ किसानों का कर्ज हमेशा ही सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द रहा है। महाराष्‍ट्र सरकार ने यह एलान यूपी सरकार द्वारा कर्ज माफी के एलान के बाद किया है। यूपी सरकार के इस फैसले के बाद महाराष्‍ट्र में इसको लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ था।

किसानों के कर्ज माफी को लेकर आरबीआई गवर्नर भी कई बार चिंतित होते हुए दिखाई दिए हैं। वह भी इस बात को साफ कर चुके हैं कर्ज माफी का फैसला देश हित में न होकर बेहद घातक साबित होता है। देश में विकास की रफ्तार रोकने का एक बड़ा कारण कर्ज माफी ही होता है।

क्‍या होती है कर्ज माफी की जमीनी सच्‍चाई

दरअसल किसी भी राज्‍य सरकार के लिए किसानों का कर्ज माफ करना न सिर्फ बड़ी चुनौती है बल्कि यह सब कुछ नियमों के दायरे में रखकर ही किया जाता है। किसानों का कर्ज माफ करना राज्‍य के जीड़ीपी को ध्‍यान में रखकर ही किया जाता है। लगभग हर वर्ष राज्‍य सरकारों के पास इस तरह की मांग आती है और सरकार कदम उठाती है। यहां पर एक बात ध्‍यान में रखने वाली बात यह भी है कि किसानों का कर्ज माफ करने का अर्थ होता है