अब दुग्ध उत्पादन में इजरायल की तकनीक अपनाएगा हरियाणा, पंजाब को छोड़ेगा पीछे

डेयरी टुडे नेटवर्क,
चंडीगढ़, 26 सितंबर 2017,

हरियाणा से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ के नेतृत्व में इजरायल के दौरे पर गए प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को वहां पशुधन के लिए आधुनिक किस्म की डेयरियां विकसित कर उद्योग के रूप में स्थापित तीन डेयरियों का दौरा किया और इन डेयरियों में गायों के रहन-सहन, उनके चारे, उनके लिए की गई व्यवस्थाओं से लेकर उनके दूध देने की हर गतिविधि का इस दल ने बारीकी से अध्ययन किया। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य दूध उत्पादन में तेजी से आगे बढ़ रहे हरियाणा को अब पहले पंजाब को इस क्षेत्र में पछाड़ना है। तीन साल में श्वेत क्रांति में निरंतर आगे बढ़ रहे हरियाणा में दो करोड़ 46 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है जबकि पंजाब करीब ढाई करोड़ लीटर रोजाना दूध उत्पादित करता है। धनखड़ ने कहा कि हरियाणा को दूध उत्पादन में पंजाब से आगे लाना प्राथमिकता है। इसके बाद गुजरात से आगे जाने का प्रयास करेंगे।

‘डेयरी उद्योग में इजरायल की तकनीक अपनाएगा हरियाणा’


कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि हरियाणा, इजरायली डेयरी उद्योगों के अनुभव का लाभ लेगा। इससे हरियाणा के पशुपालकों को भी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा में ज्यादातर पशु घरों में पाले जाते हैं और डेयरी उद्योग भी आधुनिकता से अभी दूर है। समय की मांग के अनुसार हमें भी डेयरी को एक उद्योग के रूप में विकसित करना होगा। इससे दूध का उत्पादन भी बढ़ेगा और पशुपालकों की आय भी।

आधुनिक तरीके से संचालित है डेयरी उद्योग

कृषि मंत्री ओ.पी. धनखड़ ने बताया कि इजरायल में डेयरी उद्योग को पूरी तरह से आधुनिकता के साथ विकसित किया गया है। यहां अनाज मंडी से बड़े शेड लगाए गए हैं। हेलिकॉप्टर जैसे बड़े पंखे लगाए गए हैं। खोर/खुरली के पास छोटे पंखे फव्वारे के साथ लगाए गए हैं, जिनका उपयोग पशुओं के दोहन से पूर्व और दूध दुहने के बाद किया जाता है। अध्ययन में यह बात सामने आई कि यहां फव्वारों को लगाने का मकसद गायों के लिए एक निश्चित तापमान बनाए रखना भी है।

हर गाय को लगाए जाते हैं तीन तरह के टैग

इजरायल में हर गाय को तीन तरह से टैग किया जाता है। बाकायदा हर गाय के शरीर पर नम्बर अंकित किया जाता है। कान पर डीएनए टैगिंग की जाती है। इनसे गाय की पूरे जीवन की पहचान की जाती है। साथ ही सभी गायों को एक इलेक्ट्रोनिक डिवाइस द्वारा मॉनिटर किया जाता है जो गले अथवा पैर पर बांधी जाती है, जो गाय की सेहत और दिनभर की गतिविधियों व दूध की मात्रा रिकार्ड कर कम्प्यूटर पर भेजती है। यह डिवाइस गाय के जुगाली करने, चलने-फिरने, उठने-बैठने सहित सभी लोकेशन की जानकारी वाई-फाई से देता रहती है। यह डिवाइस दूध की स्वचालित मशीन में गाय की पहचान कराती है।

चारा भिगोने का काम भी होता है मशीनों से

इजरायल में पशुओं के चारे में अनेक तत्व मिलाकर उसे पोषक बनाया जाता है। इसके लिए सायलेज तकनीकी का उपयोग किया जाता है। पशुओं को दिए जाने वाले चारे ‘सानी’ को भिगोने की ट्रक जितनी बड़ी मशीनें डेयरी में लगी हैं जो सानी भिगोकर गायों के सामने डाल आती हैं।

तीन बार निकालते हैं दूध

इन गायों का दिन में तीन बार दूध का दोहन किया जाता है। आधुनिक स्वचालित मशीनों से दूध निकालते हैं। गाय दिन भर में औसतन 39 लीटर तक दूध दे देती हैं। इनका राष्ट्रीय औसत 32 लीटर है। पीढ़ी दर पीढ़ी दूध का उत्पादन बना रहे, इसलिए इजरायल में सबसे अधिक दूध वाली गाय के सेहतमंद बछड़ों को सांड बनाया जाता है। उनके सीमन से गर्भाधान शत प्रतिशत ए आई तरीके से होता है। धनखड़ ने कहा कि जिस तरह से यहां डेयरी को उद्योग के तौर पर विकसित किया गया है, इसकी तकनीकी व अनुभव दोनों हमारे लिए लाभकारी होंगे।

इजरायल गए प्रतिनिधिमंडल में कई लोग थे शामिल

कृषि मंत्री ओपी धनखड़ के साथ गए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में विधायक श्याम सिंह राणा, नरेश कौशिक, पशुधन बोर्ड के चेयरमैन ऋषि प्रकाश शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव पी.के. महापात्रा, पशुपालन विभाग के महानिदेशक गजेंद्र जाखड़, लाजपत राय विश्वविद्यालय के कुलपति गुरदयाल सिंह, सुनील सारन, श्रीकृष्ण भगोरिया व अभिनव बाल्याण शामिल हैं। प्रतिनिधिमंडल ने हाफ हैसोरान, गिवात हेम युचाद और केफार विटकिन में डेयरी उद्योग को देखा और उसके बारे में जानकारी ली। हाफ हैसोरान, गिवात हेम युचाद डेयरी किब्यूत यानि गांव द्वारा संचालित है, जबकि केफार किसान परिवार द्वारा संचालित है।

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