जबलपुर, 19 अगस्त 2017,
जबलपुर शहर में चल रहीं डेयरियों को बाहर शिफ्ट करने के मामले पर अब सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में होगी। गुरुवार को जबलपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हेमन्त गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने 19 साल से लंबित जनहित याचिका को ट्रांसफर करने के निर्देश दिए।
हाईकोर्ट ने यह निर्देश नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे की ओर से वर्ष 1998 में दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के बाद दिए। इस याचिका में कहा गया है कि नगर निगम सीमा में नियम विरुद्ध तरीके से डेयरियों का संचालन हो रहा है, इतना ही नहीं नदियों के किनारे डेयरियों के संचालन से उनका पानी दूषित हो रहा है। पूर्व में राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई व्यावसायिक डेयरी प्रक्षेत्र हेतु मार्गदर्शी सिद्धांत 2014 हाईकोर्ट में पेश किए गए थे। मामले की पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से कहा गया कि केन्द्र सरकार ने कोस्टल रैग्युलेशन एक्ट वर्ष 2009 में बनाया, जिसमें दूरी 5 सौ मीटर रखी गई, अब केन्द्र सरकार नदियों को लेकर भी एक्ट बनाने जा रही है, जिसमें नदियों से दूरी भी 5 सौ मीटर ही रखे जाने का प्रस्ताव है। हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए नीरी के विशेषज्ञों ने भी नदियों से डेयरी की दूरी 5 सौ मीटर रखने की सिफारिश की थी। इसके बावजूद राज्य सरकार द्वारा डेयरियों की दूरी दो सौ मीटर रखे जाने को याचिकाकर्ता ने कठघरे में रखा है। आवेदक का आरोप है कि इस पॉलिसी में शहरी सीमा से डेयरियों को हटाने के संबंध में कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है। पूर्व में हाईकोर्ट ने शहर में संचालित हो रहीं डेयरियों को लाइसेंस देने के निर्देश पीसीबी और नगर निगम को दिए थे।
मामले पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि यह मामला पर्यावरण से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसकी सुनवाई हाईकोर्ट की बजाय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में होना चाहिए।
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2012 में दिए गए एक फैसले की प्रति भी युगलपीठ के सामने रखी गई। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने मामला एनजीटी को ट्रांसफर करने के निर्देश दिए।
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