डेयरी टुडे डेस्क,
रांची, 15 सितंबर 2017,
झारखंड के कृषि,पशुपालन व सहकारिता मंत्री रंधीर कुमार सिंह ने कहा है कि उनकी सरकार एनडीडीबी, बैफ व पशुपालकों के सहयोग से राज्य में दूध उत्पादन बढ़ाने की रणनीति बना रहे हैं. अगर यह रणनीति सफल रही, तो वर्ष 2020 तक बिहार से सुधा का दूध झारखंड अाना बंद हो जायेगा, क्योंकि यहां की जरूरत का दूध यहीं से मिल जायेगा यानी दुग्ध के मामले में झारखंड आत्मनिर्भर हो जाएगा। श्री सिंह गुरुवार को होटल बीएनआर में नाबार्ड के तत्वावधान में आयोजित ‘डेयरी उद्यमिता विकास कार्यक्रम’ से संबंधित राज्यस्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.
इस मौके पर रंधीर कुमार सिंह ने कहा कि अगर पहले की सरकार व विभाग ने सही दिशा में काम किया होता, तो आज झारखंड दूध के मामले में दूसरे राज्य पर निर्भर नहीं रहता. श्री सिंह ने बताया कि हमलोगों ने राज्य के 14 जिलों में 54 मिल्क रूट तैयार किया है. इन सभी जिलों में कोल्ड स्टोरेज की भी व्यवस्था हो रही है.मंत्री ने कहा कि राज्य में तीन डेयरी प्लांट अौर लगने के बाद सभी 24 जिलों को हम मिल्क रूट से जोड़ देंगे. ग्रामीण विकास विभाग के सखी मंडलों को भी पशुपालन से जोड़ा जा रहा है. सरकार ने उन्हें इसके लिए 115 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये हैं. हर प्रखंड में पशुपालकों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम बन रहा है. 178 को मंजूरी दे दी गयी है. इनमें से 78 कार्यरत हैं. शेष गठित हो रहे हैं. मंत्री ने मौजूदा समय में किसानों को मिल रहे प्रति लीटर दूध की कीमत (अौसतन 28.34 रु प्रति लीटर) में वृद्धि के लिए विचार करने की बात भी कही.
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) सुब्रत मंडल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक किसानों की अाय दोगुनी करने की बात कही है. यह काम सिर्फ कृषि के भरोसे नहीं, बल्कि इसकी अनुषंगी इकाइयों जैसे पशुपालन (डेयरी), मत्स्य व पोल्ट्री को बढ़ावा देकर ही होगा. भारत सरकार ने इस लक्ष्य के लिए चार कार्यक्रम शुरू किये हैं. डेयरी उद्यमिता विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय पशुपालन मिशन, एग्री क्लिनिक एंड एग्री बिजनेस सेंटर तथा नेशनल प्रोजेक्ट अॉफ अॉर्गेनिक फार्मिंग. नाबार्ड इन सबके लिए बैंकों को वित्तीय सहायता व अनुदान उपलब्ध करायेगा.
कार्यशाला के दौरान उप निदेशक, डेयरी डॉ आरके सिन्हा ने डेयरी संबंधी सरकारी योजनाअों की जानकारी दी. नाबार्ड के प्रबंधक संजीव मिश्रा ने विभिन्न डेयरी परियोजनाअों के लिए ऋण व सब्सिडी सहित तकनीकी बातें बतायी. वहीं, नाबार्ड के प्रबंधक पी बेहरा ने कार्यशाला की बातों व सुझावों का सारांश प्रस्तुत किया. इस अवसर पर विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधि तथा विभागीय अधिकारी उपस्थित थे.
स्टेट लेबल बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) के महाप्रबंधक प्रसाद जोशी ने कहा कि सरकार का जोर डेयरी व पशुपालन विकास पर है. इसलिए बैंकों को भी इन्हें महत्व देना होगा. राज्य में बैंकों की करीब दो हजार ग्रामीण व कस्बाई शाखाअों के लिए उन्होंने एक लक्ष्य दिया कि सभी शाखा डेयरी की दो दुधारू गायों वाली कम से कम पांच यूनिट के लिए ऋण दे. यह बीपीएल लाभुकों के अलावा हो. इससे झारखंड में बैंकों से कृषि क्षेत्र को दो फीसदी कम (18 से बदले 16 फीसदी) ऋण मिलने की भरपाई भी हो जायेगी.
पशुपालन निदेशक विजय कुमार सिंह ने कहा कि पशुपालन विभाग अब तक बगैर किसी निर्धारित नीति के रूटीन काम करता रहा है. अब पशुपालन व डेयरी के लिए विश्व मानक वाली गाइड लाइन व लक्ष्य को ध्यान में रख कर नीति बनायी जा रही है. अगले दो माह में इसकी रिपोर्ट मिलने पर इनका क्रियान्वयन शुरू होगा. अभी हम स्थानीय नस्ल की गाय व साहिवाल का संकर नस्ल तैयार कर रहे हैं. इसमें सफलता मिली है.
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