BY नवीन अग्रवाल(www.dairytoday.in)
लखनऊ/नोएडा, 16 जुलाई 2017
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की अनदेखी की वजह से प्रदेश के डेयरी क्षेत्र में क्रांति लाने वाली कामधेनु योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। यूपी देश में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला राज्य है और इसका श्रेय काफी हद तक समाजवादी पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार को जाता है। पूर्व की अखिलेश सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थित सुधारने और दुग्ध उत्पादन में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कामधेनु योजना शुरू की थी। इस योजना से हजारों युवा, व्यापारी और बडे किसान जुड़े। लेकिन आज ये योजना इनके लिए बवाल बन गई है। इसकी सबसे बडी वजह है कि इस योजना में लगे लोगों को दूध का सही दाम नहीं मिलता है साथ ही दूध को बेचने में भी काफी दिक्कतें आती है। एक नजर डालते हैं यूपी में कामधेनु योजना की ताजा तस्वीर पर।
तीन श्रेणियों में शुरू की गई थी योजना
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने काफी जोरशोर से इस योजना की शुरुआत की थी। तीन स्तर पर शुरू गई कई इस योजना में कामधेनु, मिनी कामधेनु और माइक्रो कामधेनु श्रेणियां हैं। कामधेनु में जहां 100 पशुओं, मिनी कामधेनु योजना में 50 पशुओं और माइक्रो कामधेनु योजना में 25 पशुओं को पालने और दुग्ध उत्पादन करने का प्रावधान है। आकड़ों के मुताबिक राज्य में कामधेनु योजना के तहत 300 डेयरियां, मिनी कामधेनु के तहत 1500 डेयरियां और माइक्रो कामधेनु योजना के तहत करीब 2500 डेयरियां संचालित हैं। यानी कह सकते हैं कि प्रदेश में करीब हर जिले में औसतन 60 के करीब डेयरियां खोली गईं हैं। इन डेयरियों को सरकार की तरफ से काफी अनुदान मिला, पशुओं की खरीद में सहयोग मिला और सरकारी विभागों की तरफ से तनकीनी और संचालन की पूरी जानकारी भी दी गई।
कामधेनु डेयरियों से रोजाना 4 लाख लीटर दूध का उत्पादन
उत्तर प्रदेश में कामधेनु योजना के तहत लगने वाली मार्डन डेयरियों की मदद से दुग्ध उत्पादन में अच्छी खासी बढ़ोतरी देखने को मिली। मार्डन तरीके से और विशेषज्ञों की सलाह के बाद विदेशों की तर्ज पर पशुपालन, उन्नत प्रजाति की गायों और भैंसों की खरीद, और उनके आधुनिक तरीके से रखरखाव से जानवरों से अधिक मात्रा में दूध मिला और उसी की बदौलत जहां कामधेनु डेयरी संचालकों को फायदा मिला वहीं प्रदेश भी दुग्ध उत्पादन में नंबर एक हो गया। एक अनुमान के मुताबिक यूपी में सिर्फ कामधेनु डेयरियों से ही रोजना 4 लाख लीटर से ज्यादा दूध का उत्पादन होता है।
कामधेनु डेयरी संचालक परेशान
लेकिन ये कामधेनु डेयरियों में दुग्ध उत्पादन का ये सिलसिला ज्यादा दिनों तक चलने की उम्मीद नहीं है। जब राज्य सरकार ने ये योजना शुरू की थी तो वादा किया था कि प्रदेश में दुग्ध खरीद का सरकारी ढांचा विकसित किया जाएगा। प्रदेशभर में दुग्ध संग्रह केंद्र बनाए जाएंगे और डेयरी चलाने वालों को दूध का उचित मूल्य दिलाया जाएगा। सरकार के इन्हीं वादों और डेयरी लगाने में आर्थिक फायदे को देखते हुए युवा वर्ग खासा उत्साहित हुआ बड़ी संख्या में आईआईटी जैसे संस्थानों से बीटेक, एमटेक करने वाले युवा इंजीनियरों से लेकर एमबीए प्रोफेशनल, डॉक्टर, वकील, बड़े व्यापारियों, पूर्व नौकरशाहों ने इस योजना को अपनाया और यूपी के ग्रामीण इलाकों में संपन्नता लाने के सरकार के सपने को साकार करने के लिए आगे आए। लेकिन सरकार अपने वादों को पूरा नहीं कर सकी। आज कामधेनु डेयरी फार्मर परेशान हैं उन्हें दूध के उचित दाम नहीं मिल रहे, दूध बेचने में दिक्कतें आ रही हैं, सरकारी स्तर पर डेयरी संचालन के लिए पेशेवर प्रशिक्षण का वादा भी पूरा नहीं किया गया। यूपी कामधेनु डेयरी फार्मर्स वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक नवनीत महेश्वरी के मुताबिक पशुओं के चारे का महंगा होना, पशुओं की खरीद बिक्री में दलालों का बोलबाला, लोन को लेकर बैंकों की धांधलगर्जी, बीमा कंपनियों द्वारा पशुपालकों को क्लेम देने में देरी जैसी समस्याएं भी कामधेनु डेयरियों के संचालन में बड़ी बाधा बन रही हैं।
योगी सरकार नहीं दे रही ध्यान
नवनीत महेश्वरी, संस्थापक,
कामधेनु डेयरी फार्मर्स वेलफेयर एसोसिएशन,यूपी
देश के ग्रामीण क्षेत्र की आर्थिक उन्नति में सरकार का साथ देने के मकसद के साथ अपने भविष्य दांव पर लगाने वाले युवा डेयरी संचालक आज यूपी की योगी सरकार की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। कामधेनु डेयरी फार्मर्स वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक नवनीत महेश्वरी ने बताया कि उनके साथ प्रदेश के लगभग सभी कामधेनु डेयरी संचालक जुड़े हैं। और इनकी मांग है कि सरकार अनुदान राशि को 25 फीसदी और बढाए, लोन चुकाने का वक्त 5 वर्ष से बढा कर 9 वर्ष किया जाए, पशु पालकों को डेयरी संचालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड मुहैया कराया जाए, पशुओं के लिए सस्ते चारे का इंतजाम किया जाए और बीमार पशुओं के लिए मुफ्त में दवाएं और चिकित्सीय सहायता दी जाए। श्री महेश्वरी ने ये भी बताया कामधेनु डेयरी खोलने वाले जहां किसानों की आर्थिक स्थित सुधारने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं वहीं लोगों को शुद्ध दूध भी उपलब्ध करा रहे हैं। सरकार भी मानती है कि प्रदेश में बड़ी मात्रा में मिलावटी दूध बिक रहा है, यहां तक कि हर तीन में से एक व्यक्ति मिलावटी दूध पीने को मजबूर है। ऐसी स्थित में भी सरकार इन डेयरी फार्मर्स को मदद देने में आनाकानी कर मिलावटी दूध बेचने वालों की ही सहायता कर रही है। आपको ये भी बता दें कि योगी सरकार ने कामधेनु योजना को ही बंद कर दिया है और इसकी जगह गोपालक नाम से नई योजना लाई जा रही है।
दुग्ध विकास मंत्री ने दिया आश्वासन
डेयरी टुडे से बातचीत में प्रदेश के दुग्ध विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण सिंह ने कहा है कि सरकार प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढाने को लेकर काम कर रही है इसके लिए जहां सरकार ने छोटे किसानों को जोडने के लिए गोपालक योजना शुरू की है वहीं, कामधेनु योजना में आ रही दिक्कतों को भी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। आपको बता दें कि नवनीत महेश्वरी और उनका संगठन प्रदेश में लगातार कामधेनु डेयरी फार्मर्स की समस्याएं सरकार ने सामने उठ रहे हैं, मई में इन्होंने लखनऊ में कामधेनु डेयरी फार्मर्स का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन भी किया था, जिसमें प्रदेश के दुग्ध विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण सिंह और पशुधन राज्य मंत्री जयप्रकाश निषाद ने सभी समस्याओं को जल्द दूर करने का आश्वासन भी दिया था। हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से ऐसा कुछ नहीं किया गया है।
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i want second permission letter for purchasing the animals.
but i have tried last two years with S.P Baghel ji & principal secretary .
no result. we are in very loss.
Sir we are always with you. Sabhi problem hum face kr rhe hai. Aapke madhaym se kafe asha hai ki kuch raht milege. Thanks sir
Ye Sarkar kuch Nahi karegi
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Is yojana ki subsidy (loan interest) bhi vigat 6 months ka loan account mein transfer nahin huaa hai, jabki dairy har angle Se complete hai
यूपी की कामधेनु डेयरी योजना बहुत अच्छी, राजस्थान में भी ऐसी योजना शुरू होनी चाहिए, राजस्थान देश में दुग्ध उत्पादन में दूसरे नंबर पर है और इस तरह की योजना आने से यहां भी युवाओं को रोजगार का मौका मिलेगा।
Yujana sahi h kuch sudar chahiya h
कामधेनु योजना का मकसद तो अच्छा था लेकिन कुछ लोगों ने इस योजना में जमकर लूट की है, लोन डेयरी के नाम पर लिया और ब्याज मुक्त रकम को दूसरे धंधों में लगा कर अपना बिजनेस चमकाया है। ऐसे लोगों की वजह से आज सही में डेयरी चलाने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। सरकार के ऐसे लोगों की जांच करानी चाहिए और सच में डेयरी चलाने वालों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए।
पिछली मीटिंग में जो वादे मंत्री जी और अधिकारियों ने दिए थे कि जल्दी ही कामधेनु वालों की समस्याओं हल निकालेंगे। कमिटी भी बनायीं थी। उसका सबका क्या रिजल्ट रहा पता नहीं? योगी सरकार पिछली सरकार की इस योजना को अपने राजनितिक पूर्वाग्रह से देख रही है। पुरानी योजना की कमियों और समस्याओं को सुधार कर आगे बढ़ाना चाहिए। इसलिए उन्हें सत्ता मिली है। आखिर कब सुध लेगी ये सरकार।
सही कह रहे हैं पवन जी, पिछली मीटिंग में मंत्री जी और अधिकारियों ने तामम वादे किए थे लेकिन किया कुछ नहीं। हम सभी को एक बार फिर मंत्री जी और विभाग के अफसरों से मुलाकात करनी चाहिए...
सरकार द्वारा कामधेनु डेयरियों की अनदेखी तथा इस परियोजना की खामियों के समाधान न करने के कारण उत्तर प्रदेश के समस्त कामधेनु संचालक आज बद से बदतर स्थिति में हैं।एक ओर दूध की बिक्री से डेयरी का खर्चा भी नहीं निकल रहा तो दूसरी ओर सरकार ब्याज की प्रतिपूर्ति भी नहीं कर रही जिससे ऋण खाते एनपीए हो रहे हैं।डेयरी संचालक दिवालिया हो रहे हैं।सरकार की अनदेखी से कामधेनु संचालक अत्यंत दयनीय स्थिति में हैं। लगता है कि सरकार कामधेनु संचालकों को आत्महत्या करते देखना चाहती है।