डेयरी टुडे डेस्क
पटियाला, 20 नवंबर 2017,
पारंकपरिक खेती करने वाले किसानों की आय में बढ़ोतरी मुश्किल होती जा रही है लेकिन यदि किसान आधुनिक और मार्डन तरीके से खेती करते हैं साथ ही खेती के दूसरे विकल्पों पर विचार करते हैं तो उनकी आय में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होती है। जैविक कृषि, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, मशरूम, फलों, औषधीय पौधों और फूलों की खेती इसमें शामिल हैं। किसानों के लिए खेती के ये विकल्प फायदे का सौदा साबित हो सकते हैं। पटियाला के गांव मझाल खुर्द निवासी प्रगतिशील किसान गुरप्रीत शेरगिल ने यही किया। गुरप्रीत ने सोच समझ कर योजना बनाई और आवोहवा व बाजार के अनुरूप फूलों की खेती का विकल्प चुना। और फूलों की खेती ने उन्हें करोड़ों का किसान बना दिया। आज उनकी दिखाई राह पर क्षेत्र के सैकड़ों किसान चल पड़े हैं और सभी मुनाफा कमा रहे हैं।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बावजूद गुरप्रीत ने कृषि को करियर बनाया। लेकिन उन्होंने उन्नत कृषि का रास्ता चुना। पारंपरिक खेती के बजाय उन्होंने फूलों की खेती से शुरुआत की। एक-दो असफलताओं के बाद सफलता की ऐसी राह पकड़ी कि फिर पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। उनसे सीख कर अब तो क्षेत्र के कई किसान फूलों की खेती से मुनाफा कमा रहे हैं। गुरप्रीत बताते हैं कि विभिन्न राज्यों से अनेक किसान उनसे इस बारे में जानकारी और प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं।
गुरप्रीत ने बताया कि वह किसान परिवार से हैं। वर्ष 1995 में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। पारंपरिक खेती से अक्सर किसानों का नुकसान होता देखते थे। उनके पिता को भी किसानी में घाटा उठाना पड़ रहा था। तब उन्होंने कुछ ऐसा करने के बारे में सोचा जो किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित न हो। फूलों की खेती का विकल्प उन्हें सबसे बेहतर लगा। पिता से मंजूरी लेने के बाद उन्होंने कुछ हिस्से पर गेंदे के फूल उगाए।
गेंदे से शुरुआत करने के बाद दो साल तकलागत तो निकली, लेकिन मुनाफा मनमाफिक नहीं था। संतुष्टि न होने पर देसी गुलाब के फूलों की खेती शुरू की। उत्तर प्रदेश से गुलाब लाए और जमीन के बड़े हिस्से पर खेती शुरू की। मुनाफा होने लगा। कुछ समय बाद गुलाबों से गुलाब जल बनाना भी शुरू कर दिया। इसके लिए चार लाख रुपये का प्रोजेक्ट लगाया, जिसमें नेशनल हॉर्टीकल्चर मिशन के तहत सहयोग भी प्राप्त किया। गुलाब और गुलाब जल दोनों का अच्छा बाजार मिला। मनमुताबिक फायदा होने पर पारंपरिक खेती को पीछे छोड़ अपनी सारी जमीन पर गुलाब, ग्लेड्यूलिस, गेंदा, पटूनिया, लाशकर, ओपी सहित अन्य फूलों की खेती शुरू कर दी। लेकिन सबसे अधिक खेती वह गुलाब की ही करते हैं। इससे गुलाब जल के साथ ही गुलाब शरबत भी तैयार करना शुरू कर दिया है।
गुरप्रीत शेरगिल मौजूदा समय में 18 से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं। वर्ष 2015 में उन्हें उन्नत कृषि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों एनजी रंगा फार्मर अवार्ड से नवाजा गया। 2016 में केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने आइएआरआइ पुरस्कार दिया। कृषि मंत्रालय द्वारा उन्हें प्रोग्रेसिव फार्मर पुरस्कार भी प्रदान किया गया। इसके अलावा जगजीवन राम इनोवेटिव फार्मर पुरस्कार, नेशनल इनोवेटिव फार्मर पुरस्कार और पंजाब अवार्ड (हॉर्टीकल्चर) से भी गुरप्रीत को नवाजा जा चुका है।
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