डेयरी टुडे नेटवर्क,
पटना/नई दिल्ली, 13 सितंबर 2019,
आज भारत में डेयरी सेक्टर जिन बुलंदियों को छू रहा है, उसमें डेयरी फार्मर्स के साथ ही उन अधिकारियों और डेयरी टेक्नोक्रेट्स का भी योगदान है, जिन्होंने दिन-रात एक कर डेयरी को न सिर्फ संगठित सेक्टर में बदला बल्कि छोटे-छोटे पशुपालकों को कॉपरेटिव के माध्यम से जोड़कर देशवासियों को पैक्ड मिल्क उपलब्ध कराया। आज ‘डेयरी के सुल्तान’ में हम एक ऐसे ही शख्स की कहानी आपको बता रहे हैं, जिन्हें ‘बिहार का मिल्कमैन’ भी कहा जाता है। अभी 31 अगस्त को पटना डेयरी प्रोजेक्ट के एमडी पद से रिटायर हुए सुधीर कुमार सिंह ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने बिहार में पटना डेयरी को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में अपनी जिंदगी खपा दी।
नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI),करनाल से डेयरी टेक्नोलॉजी में बीटेक और इंग्लैंड के क्रेनफिल्ड विश्वविद्यालय से एमबीए सुुधीर कुमार सिंह झारखंड के देवघर के पालाजाेरी नाम के एक छोटे-से गांव के रहने वाले थे। सुधीर कुमार सिंह 38 साल पहले पटना डेयरी प्रोजेक्ट में बतौर टेक्निकल अफसर जुड़े थे। उस वक्त पटना डेयरी खस्ताहाल थी। मात्र 500 लीटर दूध का ही संग्रहण होता था। उसी वक्त श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन ने भी इस डेयरी में योगदान दिया था। 1981 की बात है। उस वक्त डॉ. कुरियन, सुधीर कुमार सिंह, डॉ. मकरंदी और एके बंसल ने डेयरी की शुरुआत की। उस वक्त डॉ. कुरियन ने सुधीर से कहा था कि जितना दूध यहां आता है, उतना तो गुजरात में एक पेड़ के नीचे जमा हो जाता है। यह बात सुधीर को चुभ गई। तब से उन्होंने सहकारी समिति बनानी शुरू कर दी। उसके बाद डॉ. कुरियन के नेतृत्व में एक टीम बनी, इसमें सुधीर भी थे। सुधीर ने किसानों से मिलना शुरू कर दिया और उन्हें पटना डेयरी के लिए दूध देने के लिए प्रेरित किया।
दरअसल, दूध से आमदनी ठीक नहीं होने की वजह से उस वक्त किसान पशुओं को बंगाल भेज दिया करते थे। सुधीर ने टीम बनाकर गांव-गांव घूमकर किसानों को बताया कि दूध पटना डेयरी को भेजें। गांवाें में दुग्ध सहकारी समितियां बनाईं। किसानों ने उनकी बातों पर विश्वास किया और डेयरी में दूध भेजने लगे। आज सुधीर कुमार सिंह की मेहनत का ही नतीजा है कि पटना डेयरी में प्रतिदिन 5 लाख लीटर दूध का संग्रहण होता है।
सुधीर इंडियन डेयरी एसोसिएशन की सेंट्रल एग्जीक्यूटिव कमेटी और इंडियन डेयरी एसोसिएशन पूर्वी क्षेत्र कोलकाता के मेंबर हैं। वे बिहार स्टेट प्रोडक्टिविटी काउंसिल के अध्यक्ष भी हैं। पीडीपी को चार बार नेशनल प्रोडक्टिविटी अवाॅर्ड दिलाने में सुधीर ने अहम भूमिका निभाई। सुधीर को दो बार बिहार टाइम्स एक्सेलेंस अवाॅर्ड सहित कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं।
सुधीर ने पटना डेयरी के कर्मियों व अधिकारियों के सहयोग से सुधा ब्रांड को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी। सुधीर की कोशिशों से ही नेपाल के अलावा देश के कई राज्यों में सुधा ब्रांड के दूध की सप्लाई होने लगी। विदेशी टेक्नोलॉजी से लगी मशीन से कई तरह की मिठाइयां बनने लगीं। आइसक्रीम के अलावा दही, लस्सी, मट्ठा का भी उत्पादन शुरू हो गया। उन्हीं के प्रयास से इसी साल फरवरी में पटना में पहली बार इंटरनेशनल डेयरी इंडस्ट्री काॅन्फ्रेंस का आयोजन हुआ था। पटना डेयरी की मदद से ही हाजीपुर और छपरा में डेयरी का प्लांट लगा। सुधीर 12 साल तक पीडीपी के एमडी रहे और 31 अगस्त, 2019 को रिटायर हो गए।
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We are very proud of such dairy technologist
Great achievement, I am really feeling proud.