डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 29 मार्च 2020,
पूरे देश में कोरोना महामारी अपना तांडव मचा रही है। एक तरफ जहां इस बीमारी की चपेट में आने वाली लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है, वहीं लॉकडाउन नें उद्योग-धंधों को चौपट कर दिया है। सबसे ज्यादा असर तो डेयरी के बिजनेस पर पड़ा है। रोजाना दूध बेचकर अपना परिवार चलाने वाले किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट और गहरा हो गया है। कोरोना लॉकडाउस से देशभर में दूध के दाम धड़ाम हो गए हैं।
दूध के सहारे अपने जीवन यापन किसानों के माथे पर दूध सस्ता होने से चिंता की लकीरें नजर आ रही हैं। फसल की बर्बादी और दूध के दामों में गिरावट के कारण किसानों के परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। मध्य प्रदेश में डेयरी किसानों का बुरा हाल है। एमपी के धार जिले के मनावर तहसील में धेनुम डेयरी फार्म संचालित करने वाले डेयरी फार्मर जीतेंद्र सोलंकी ने डेयरी टुडे को बताया कि उनके जिले में प्राइवेट डेयरी वाले किसी भी किसान का दूध नहीं ले रहे हैं। सांची डेयरी के लोग सिर्फ अपने सदस्यों का ही दूध ले रहे हैं। जीतेंद्र सोलंकी के डेयरी फार्म पर रोजना 400 लीटर दूध का प्रोडक्शन होता है। उन्होंने कहा कि वे स्थानीय कंचनश्री डेयरी को दूध देते हैं, पहले वहां 35 रुपये लीटर दूध लिया जा रहा था, लेकिन अब कोरना संकट के दौरान रेट 25 से 27 रुपये लीटर कर दिया गया है और इस रेट पर भी दूध लेने को तैयार नहीं है। जीतेंद्र सोलंकी के अनुसार वे अपने फार्म पर दूध से घी बना रहे हैं, लेकिन इतने दूध की घी बनाना आसान नहीं है, लिहाजा रोजाना बड़ी मात्रा में दूध खराब हो रहा है। उन्हें रोजाना 15 हजार रुपये तक का नुकसान हो रहा है।
गुना के राघोगढ़ में डेयरी फार्म चलाने वाले युवा डेयरी किसान राहुल शर्मा ने डेयरी टुडे के बताया कि डेयरी कंपनियों ने दूध लेना बंद कर दिया है। अगर थोड़ बहुत ले भी रहे हैं तो सिर्फ तीस रुपये लीटर का दाम मिल रहा है, जबकि पहले भैंस का दूध पचास रुपये लीटर तक बिक जाता था। उनके फार्म पर रोजाना 80 लीटर दूध होता है, जिसमे आधे के अधिक का वे घी बनाकर आने वाले दिनों के लिए स्टोर कर रहे हैं। उनके जिले के दूसरे डेयरी किसानों का भी यही हाल है। कुल मिलाकर दूध का कारोबार चौपट हो गया है।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में दूध की सप्लाई करने वाली कुछ बड़ी कंपनियों ने अचानक से दूध के दामों में ₹5 से ₹10 प्रति लीटर की कटौती कर दी है। इसके पीछे मिल्क पाउडर की फैक्ट्रियां बन्द होना बताया जा रहा है। गांव देहातों में छोटी व मंझली डीडीओ ने लॉकडाउन के चलते दूध से बने सभी उत्पाद भी बनाने बंद कर दिए हैं। सख्ती के चलते छोटी डेरियों के बंद होने के कारण वर्तमान में दूध की कीमत गांव में घटकर ₹30 प्रति लीटर तक रह गई है।
जाहिर है कि सरकार के अनुसार लॉकडाउन के दौरान सिर्फ पैकिंग दूध की सप्लाई बाहर की जाएगी। इस फैसले का सीधा असर बिना पैकिंग दूध या दूध से बने डेयरी प्रोडक्ट बनाने वाली डेरियों के ऊपर पड़ रहा है। जिसके कारण मिल्क कलेक्शन सेंटरों ने दूध लेना बंद कर दिया। बाजार बंद होने के कारण दूध से बने सभी सामान व मिठाइयां भी अब नहीं बन रही हैं। जिससे दूध की खपत अब ना के बराबर रह गई है। दूध की खपत ना होने के कारण दूध के मूल्य में अचानक गिरावट आई है। क्षेत्र के किसान समय सिंह ने बताया कि छोटी डेयरी बंद होने के कारण दूध नहीं जा रहा है, जिससे दूध का मूल्य घट गया है। डेयरी संचालक अमित कुमार ने बताया कि बिना पैकिंग दूध सप्लाई करने व दूध से प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियों ने दूध लेना बंद कर दिया है जिससे दूध के रेटों में काफी गिरावट आई है।
कुछ ऐसा ही हाल झारखंड का भी है। झारखंड के मिली खबर के अनुसार कोरोना को लेकर लॉकडाउन का असर सबसे अधिक दूध उत्पादकों पर पड़ा है। पैसे के अभाव में वे पशुओं को आधा पेट खाना खिला रहे हैं। बोकारो के एक डेयरी संचालक जौहरी ठाकुर के अनुसार इस समय 20 रुपये लीटर के भाव में भी दूध लेने वाला नहीं मिल रहा है। मजबूरी में दूध गाय को ही पिला दे रहे हैं या किसी-किसी को दे रहे हैं। साथ ही चारा की महंगाई इतनी हो गई है कि कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है। डेयरी चलाने वाले राघो यादव के अनुसार बड़ी संख्या में दुग्ध उत्पादक नगर के होटल व रेस्टोरेंट में दूध की आपूर्ति करते थे लेकिन अब सबके सब बंद हो गए हैं। यहां तक कि चाय की दुकान भी नहीं चल रही है। ऐसे में उनका दूध लेगा कौन। पहले डेयरी वाला भी दूध लेता था वह भी नहीं ले रहा है। वहां के डेयरी किसानों ने मुख्यमंत्री से डेयरी से दूध खरीदने एवं नया दूध कलेक्शन सेंटर खोलने की व्यवस्था करने की अपील की।
लॉकडाउन के कारण होटल, विभिन्न समारोह तथा छोटी चाय की दुकाने बंद होने के कारण कर्नाटक राज्य में दूध की मांग में भारी गिरावट हो गई है। इस कारण कर्नाटक दुग्ध उत्पादक महासंघ (केएमएफ) के लिए संग्रहित दूध का विपणन करना मुश्किल हो रहा है। महासंघ के प्रबंध निदेशक सतीश के मुताबिक अभी प्रति दिन 75 लाख लीटर दूध संग्रहित हो रहा है। लॉकडाउन के कारण पडोसी तमिलनाडु, केरल, तेलंगाणा, महाराष्ट्र तथा आंध्र प्रदेश को प्रति दिन 2 लाख लीटर दूध की आपूर्ति रोकी गई है। ऐसे में दूध के इस अतिरिक्त भंडारण से निपटना महासंघ के लिए चुनौती है। प्रति दिन 40 लाख लीटर दूध का पाउडर बनाया जा रहा है। कुछ ऐसा ही हाल पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात और महाराष्ट्र के डेयरी किसानों का है। सभी जगह डेयरी के बिजनेस में लगे लोग इन दिनों बेहाल हैं।
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