डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 25 सितंबर 2017,
अर्थव्यवस्था के कुछ मोर्चो से चिंताजनक खबर मिलने का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा। अब देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून की अच्छी बारिश न होने की वजह से चालू खरीफ पैदावार में कमी आने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि पिछले खरीफ उत्पादन के मुकाबले इस बार 40 लाख टन कम पैदावार होगी। मंत्रालय इस बार का पहला अग्रिम उत्पादन आज जारी कर सकता है।
अगर यह अनुमान सही साबित होता है तो महंगाई के मोर्चे पर सरकार के लिए आगे चलकर कुछ चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। चालू मानसून सीजन (जून से सितंबर) के पहले सप्ताह के बीच होने वाली औसत बरसात में पांच फीसद की कमी दर्ज की गई है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक बरसात का यह आंकड़ा सामान्य है, लेकिन अनियमित और कहीं ज्यादा व कहीं कम बारिश की वजह से कृषि पैदावार के प्रभावित होने की आशंका है। इस बार खरीफ खाद्यान्न उत्पादन 13.46 करोड़ टन होने का अनुमान है। जबकि पिछले खरीफ सीजन के दौरान यह उत्पादन 13.85 करोड़ टन रहा था। पिछले साल की खरीफ सीजन की पैदावार अब तक की सर्वाधिक थी। वैसे, मंत्रालय के अधिकारी इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि चालू साल की पैदावार पिछले पांच साल की पैदावार की औसत से अधिक होगी।
खरीफ मौसम की प्रमुख उपज चावल की पैदावार 9.45 करोड़ टन होने का अनुमान है। यह पिछले सीजन के 9.63 करोड़ टन मुकाबले लगभग 20 लाख टन कम है। चावल उत्पादक राज्य छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मध्य प्रदेश व कर्नाटक जैसे राज्यों के ज्यादातर जिलों में अच्छी बारिश नहीं होने की वजह पैदावार में कमी का अनुमान है। खरीफ में दलहन की उपज 87.1 लाख टन होने का अनुमान है। यह पिछले खरीफ सीजन के 94.2 लाख टन से कम है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात में दलहन खेती का रकबा घटा है।
दालों के मूल्य में आई अचानक कमी के चलते किसानों ने दलहन की जगह दूसरी वैकल्पिक फसलों की खेती की है। इस वजह से गन्ना और कपास की खेती का रकबा बढ़ा है। खरीफ में तिलहन की खेती भी प्रभावित हुई है।
चालू सीजन में तिलहन फसलों की पैदावार 2.07 करोड़ टन होने का अनुमान है। यह पिछले साल के 2.24 करोड़ टन के मुकाबले 17 लाख टन से भी ज्यादा की गिरावट है। चालू सीजन में बुवाई रकबा भी घटा है। तिलहन खेती में घाटे से भी किसानों का मोहभंग हुआ है। केंद्र सरकार पिछले कई वर्षो से तिलहन और दलहन की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए कई तरह का प्रोत्साहन दे रही है। लेकिन देश के कई हिस्सों में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम कीमत इन्हें बेचना पड़ा है। चीनी के बढ़े मूल्य के मद्देनजर किसानों ने गन्ने की खेती पर ज्यादा ध्यान दिया है।
गन्ना खेती का रकबा लगभग 44 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 47 लाख हेक्टेयर हो गई है। इसी के अनुरूप गन्ने की पैदावार 30 करोड़ टन के मुकाबले 34 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है।
(साभार-दैनिक जागरण)
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