भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ.कुरियन की पुण्यतिथि, NDDB में दी गई श्रद्धांजलि

डेयरी टुडे नेटवर्क,
आनंद(गुजरात), 9 सितंबर 2017,

देश में ‘श्वेत क्रांति के जनक’ और ‘मिल्कमैन’ के नाम से मशहूर डॉ. वर्गीज़ कुरियन की आज पांचवी पुण्यतिथि है। इस मौके पर गुजरात के आनंद में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड यानी एनडीडीबी के मुख्यालय पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। एनडीडीबी के चेयरमैन डॉ.दिलीप रथ ने मुुख्यालय में स्थापित डॉ. कुरियन की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उनके अलावा एनडीडीबी के दूसरे अधिकारियों और कर्मचारियों ने डॉ. कुरियन को श्रद्धांजलि दी।

2012 में हुआ था निधन

आपको बता दें कि 9 सितंबर 2012 को भारत में श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन का निधन हो गया था। ये डॉ. कुरियन की अथक मेहनत का ही नतीजा था कि दूध की कमी वाला यह देश आज दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देशों में शुमार हुआ। ‘श्वेत क्रांति’ और दूध के क्षेत्र में सहकारी मॉडल के ज़रिये लाखों ग़रीब किसानों की ज़िंदगी संवारने वाली शख्सियत डॉ. वर्गीज़ कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को चेन्नई में हुआ था।

भारत में श्वेतक्रांति के जनक थे डॉ.कुरियन

वर्गीज़ कुरियन ने 1949 में ‘कैरा ज़िला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड’ के अध्यक्ष त्रिभुवन दास पटेल के अनुरोध पर डेयरी का काम संभाला। सरदार वल्लभभाई पटेल की पहल पर इस डेयरी की स्थापना की गयी थी। वर्गीज़ कुरियन ने महाराष्ट्र के 60 लाख किसानों की 60 हज़ार कोऑपरेटिव सोसायटियाँ बनाईं, जो प्रतिदिन तीन लाख टन दूध सप्लाई करती हैं। इसी को श्वेत क्रान्ति और ‘ओपरेशन फ़्लड’ के नाम से भी पुकारा जाता है। इस महान् कार्य से जहाँ किसानों का भला हुआ, वहीं पर आम लोगों को दूध की उपलब्धि में भी सुविधा हुई। इन कार्यों के कारण इन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। डॉ. कुरियन ने साल 1973 में ‘गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन’ की स्थापना की और 34 साल तक इसके अध्यक्ष रहे। इसी कारण इन्हें श्वेत क्रांति का जनक कहा जाता है।

अपने हुनर से विदेशी कंपनियों के दी चुनौती

भारत में कुरियन और उनकी टीम ने भैंस के दूध से मिल्क पाउडर और कंडेस्ड मिल्क बनाने की तकनीक विकसित की। इस तकनीक को अमूल की कामयाबी की प्रमुख वजहों में शुमार किया जाता है। कंपनी ने इसके बलबूते ‘नेस्ले’ जैसी शीर्ष कंपनी को कड़ी टक्कर दी, जो मिल्क पाउडर और कंडेस्ड मिल्क बनाने के लिए सिर्फ गाय के दूध का प्रयोग करती थी। यूरोप में गाय के दूध के विपरीत भारत में भैंस का दूध अधिक उपयोग होता है।

33 साल तक एनडीडीबी के अध्यक्ष रहे

अमूल की सफलता से अभिभूत होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ‘राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड’ (एनडीडीबी) का गठन किया। जिससे पूरे देश में अमूल मॉडल को समझा और अपनाया गया। कुरियन को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। एनडीडीबी ने 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ की शुरूआत की जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बन गया। कुरियन ने 1965 से 1998 तक 33 साल एनडीडीबी के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दीं। वे ‘विकसित भारत फाउंडेशन’ के प्रमुख रहे। उन्होंने असंगठित ग्रामीण भारत के दुग्ध उत्पादकों को जहां आर्थिक मजबूती दिला कर सम्मान दिलाया वहीं पूरे विश्व को एक दिशा दिखाई।

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