दूध की कम कीमत के विरोध में सरकार के खिलाफ डेयरी किसानों का प्रदर्शन, शुरू किया ‘दूध फेंको आंदोलन’

डेयरी टुडे नेटवर्क,
मुंबई, 9 अगस्त 2021,

दूध के कम दामों के विरोध में महाराष्ट्र में डेयरी किसानों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोमवार को राज्य के डेयरी किसानों ने पूरे प्रदेश में ‘दूध फेंको आंदोलन’ चलाया। सड़कों पर दूध गिराकर विरोध प्रदर्शन किया। डेयरी किसानों का कहना था कि एक तरफ मिल्क बिजनेस करने वाली कंपनियां 57 रुपये प्रति लीटर तक उपभोक्ताओं से ले रही हैं, तो दूसरी ओर किसानों को सिर्फ 22 या 23 रुपयेल प्रति लीटर मिल रहे हैं। ऐसे में वो आंदोलन करने के लिए विवश हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट से अनुसार पूरे महाराष्ट्र में किसानों ने डेयरी को दूध सप्लाई करने की बजाय जगह-जगह बहा दिया। किसानों के मुताबिक उनका यह आंदोलन तीन दिनों तक चलेगा।

रायगढ़ जिले के पशुपालक किसान चंद्रिका प्रसाद मुंडे के पास 20 गाय हैं। डेयरी टुडे से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें प्रति लीटर दूध की लागत करीब 28 रुपये आती है, लेकिन वो गाय का दूध 23 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचने को मजबूर हैं। यह सब कई महीनों से चल रहा है। इस वजह से पशुपालन और डेयरी का काम घाटे का सौदा हो गया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्य के अकोला, अहमदनगर, पुणे, नासिक, सतारा, सोलापुर, औरंगाबाद, सांगली, कोल्हापुर, उस्मानाबाद समेत 16 जिलों में दूध फेको आंदोलन का काफी असर रहा है। किसानों का कहना है कि निजी कंपनियों की मिलीभगत और एकाधिकार की वजह से किसानों से खरीदे जाने वाले दूध के दाम लगातार गिराए जा रहे हैं। जिसके चलते किसानों को काफी नुकसान उठना पड़ रहा हैं। इस आंदोलन में शामिल डेयरी किसानों ने जगह-जगह मिल्क कलेक्शन सेंटरों पर जाकर नारेबाजी की। कहीं सड़क पर तो कहीं पत्थरों के ऊपर दूध गिरा कर अपना विरोध जताया।

File Photo

किसान नेता अजित नवले का कहना है निजी दूध कंपनियों की मिलीभगत एवं एकाधिकार के चलते दूध का दाम (milk price) लगातार गिर रहा है। किसान इससे पहले भी दूध के रेट को लेकर आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन सरकार ने कोई ठोस समाधान नहीं निकाला। इसलिए दूध उत्पादक किसान आंदोलन के लिए मजबूर हुए हैं। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि किसानों को गाय के दूध का दाम 35 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध के लिए कम से कम 60 रुपये लीटर मिले। किसान नेता अजित नवले ने कहा कि जिस प्रकार गन्ने की खेती में एफआरपी की व्यवस्था लागू है, सरकार उसी प्रकार दूध के मामले में भी इसका न्यूनतम मूल्य घोषित करे। किसानों का कहना हैं कि अगर सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करेगी तो आने वाले दिनों में पूरे प्रदेश में दूध सप्लाई को रोक दिया जाएगा।

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