मॉनसून सीजन में 5 फीसदी कम हुई बारिश, खरीफ की पैदावार में आएगी गिरावट

डेयरी टुडे नेटवर्क,
नई दिल्ली, 2 अक्टूबर 2017,

इस साल का दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 5 फीसदी कम बारिश के साथ खत्म हो गया। देश में मॉनसून सीजन जून से शुरू होकर सितंबर तक चलता है। इस साल खरीफ सीजन में पैदावार अनुमान से कुछ कम रह सकती है। दरअसल, देश के कई इलाकों में इस दौरान बाढ़ का प्रकोप दिखा तो कई इलाकों में मौसम सूखा रहा। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने मॉनसून सीजन में लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) के 98 पर्सेंट तक बारिश का अनुमान लगाया था। उसने कहा था कि इसमें 4 पर्सेंट चूक की गुंजाइश है यानी बारिश 4 पर्सेंट अधिक या इतनी ही कम हो सकती है।

मौसम विभाग के अधिकारी ने बताया, ‘इस साल बारिश एलपीए का 95 पर्सेंट रही है, जो हमारे अनुमान के अंदर है।’ मॉनसून सीजन की शुरुआत अच्छी हुई थी। जून और जुलाई महीने में अच्छी बारिश हुई थी, लेकिन अगस्त और सितंबर की शुरुआत में मॉनसून कमजोर पड़ा और उसके बाद कुछ अंतराल के बाद फिर अच्छी बारिश हुई। मॉनसून अब खत्म हो रहा है। देश के उत्तरी, पश्चिमी और मध्य हिस्से में आने वाले कुछ दिनों में ड्राई वेदर का अनुमान लगाया गया है।

पंजाब और हरियाणा में मॉनसून सीजन के दौरान 20 पर्सेंट कम बारिश हुई। इन दोनों राज्यों का देश की अनाज पैदावार में बड़ा योगदान रहता है। हालांकि, पंजाब और हरियाणा में सिंचाई की सुविधा अच्छी है। इसलिए मॉनसून सीजन में कम बारिश से इनकी पैदावार पर बहुत बुरा असर नहीं पड़ेगा। सितंबर में बारिश 12 पर्सेंट कम रही। दरअसल, उत्तर-पश्चिमी भारत से पिछले हफ्ते से ही मॉनसून की वापसी शुरू हो गई थी। उत्तर-पश्चिम भारत, मध्य और पश्चिम भारत के और अधिक इलाकों से 5 अक्टूबर से शुरू होने वाले हफ्ते में मॉनसून की वापसी शुरू होगी। यह भविष्यवाणी मौसम विभाग ने की है।

वहीं, कृषि मंत्रालय ने 2017-18 खरीफ सीजन के लिए पहले अनुमान में कहा है कि कुल अनाज पैदावार 13.467 करोड़ टन रह सकती है, जो पिछले साल की रिकॉर्ड पैदावार से 38.6 लाख टन कम है। अधिकारियों का कहना है कि देश में अनाज का पर्याप्त स्टॉक है और अगर खरीफ सीजन में पैदावार में कुछ गिरावट आती है तो इससे फूड सप्लाई या महंगाई पर दबाव नहीं बढ़ेगा। अगले दो हफ्ते में दक्षिणी प्रायद्वीपीय इलाके में बारिश सीमित रहेगी। इसी क्षेत्र में इस साल मॉनसून सीजन में सामान्य बारिश भी हुई है।
आखिर के दो महीने में मॉनसून की बारिश कम होने से जलाशयों पर भी बुरा असर पड़ा है। सेंट्रल वॉटर कमीशन के आंकड़ों से पता चलता है कि 91 बड़े जलाशयों में पानी पिछले साल की तुलना में 11 पर्सेंट और पिछले 10 साल के औसत से 13 पर्सेंट कम है।

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