डेयरी टुडे नेटवर्क,
मथुरा, 23 सितंबर 2017,
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, राधा मोहन सिंह ने राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के तहत मथुरा के फरह में आयोजित प.दीनदयाल उपाध्याय जन्मशती कृषि उन्नति मेला का उद्घाटन किया। इस मौके पर लोगों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा है कि कृषि मंत्रालय द्वारा किसानों के लिए पिछले तीन सालों में चलाई गई विभिन्न विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए देश के किसानों ने वर्ष 2016-17 में खादयान्न का रिकार्ड उत्पादन किया है। देश में जहां पिछले साल दलहन उत्पादन 16.35 मिलियन टन था, वहीं 2016-17 में उत्पादन बढ़कर 22.40 मिलियन टन हो गया है। इसी तरह, खाद्यान्न उत्पादन भी 265 मिलियन टन से बढ़कर 2016-17 में 273.38 मिलियन टन हो गया है। देश में बागवानी उत्पादन भी 244 मिलियन टन से बढ़कर 295 मिलियन टन हो गया है।
श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। सरकार देश के किसानों के विकास एवं कल्याण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। पिछले तीन वर्षों में शुरू की गईं ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना‘, ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना‘, ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना‘, ‘राष्ट्रीय कृषि विकास योजना‘, ‘राश्ट्रीय कृषि बाज़ार‘ और ‘संपदा योजना‘ जैसी अनेक योजनाओं के माध्यम से किसानों को आर्थिक रूप से समर्थ बनाने और उनकी आमदनी को वर्ष 2022 तक दोगुना करने का प्रयास किया जा रहा है।
श्री सिंह ने बताया कि चार दिनों तक चलने वाले इस मेले में देश के लगभग 18 राज्यों से आये किसान बागवानी, कृषि, पशुपालन, डेयरी, मत्स्यपालन आदि क्षेत्रों से जुड़े उद्यमी अपने-अपने उत्कृष्ट उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री करेंगे। यह मेला पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के जन्म शताब्दी वर्ष में आयोजित किया जा रहा है, इसलिए इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। पं. दीनदयाल उपाध्याय देश के किसानों को खुशहाल एवं समृद्ध देखना चाहते थे। पं. उपाध्याय जी की इसी संकल्पना को ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्रालय, किसानों के कल्याण एवं विकास की दिशा में लगातार कार्य कर रहा है।
श्री सिंह ने बताया कि बागवानी फसलों की खेती से किसानों को अधिक मुनाफ़ा मिलता है और स्वरोजगार के अवसर पैदा होते हैं। देश में बागवानी फसलों का उत्पादन खाद्यान्न फसलों से अधिक हुआ है जो कि देश की पोषण सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इसके अलावा, मौसम के बदलते परिवेश में बागवानी फसलों की अहम भूमिका है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा विकसित स्वदेशी तकनीकि से बने एवं 75000 लीटर क्षमता के पर्यावरण अनुकूलित मलजल उपचार संयंत्र का उद्घाटन भी किया। इस संयंत्र के माध्यम से अपशिष्ट जल (सीवेज का पानी) का कृषि में पुर्नउपयोग किया जा सकेगा। इस संयंत्र के माध्यम से अपशिष्ट जल में से भारी धातु के प्रदूषण भार का 75 से 85 प्रतिशत कम होता है तथा ऐसे उपचारित चल का उपयोग सिंचाई में किया जा सकता है। गेंहूं व धान जैसी फसलों की सिंचाई में ऐसे उपचारित जल का उपयोग करने पर इनके अनाजों के उपभोग से स्वास्थ्य खतरों में 44 से 58 प्रतिशत कमी आ सकती है।
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कृष्णा राज, यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रकाश शाही समेत केंद्र और राज्य सरकार के कई अधिकारी भी मौजूद रहे।
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