डेयरी टुडे नेटवर्क,
उरई(यूपी), 18 अक्टूूबर 2017,
किसी जमाने में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले का माधौगढ़ क्षेत्र शुद्ध घी के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था। घर-घर गाय और भैंस होने की वजह से पारंपरिक तरीके से शुद्ध घी तैयार कर बेचने के लिए माधौगढ़ की मंडी लाया जाता था, लेकिन अब यह अतीत की बात हो गई है। शुद्धता के लिए देश में पहचान बनाने वाला जालौन अब नकली खोवा के उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। बता दें कि माफिया की खाद्य सुरक्षा विभाग तक पैठ है। इसी वजह अपने फायदे के लिए खोवा के रूप में जहर बेचने वालों की गिरेबान तक कानून के हाथ नहीं पहुंच पाते हैं। हालत है कि छोटे स्तर से नकली खोवा बनाने का काम करने वाले तमाम माफिया अब कारखाने स्थापित कर चुके हैं।
जिले में दुधारू पशुओं की संख्या कम होने की वजह से दुग्ध उत्पादन केंद्र घाटे में चल रहा है। हालात यह है कि दुग्ध उत्पादन केंद्र द्वारा चालू किए गए तमाम उत्पाद बंद कर दिए गए। लेकिन गजब की बात है कि खोवा की आपूर्ति कम नहीं हुई, बल्कि जालौन से दूसरे जनपदों में तक सप्लाई किया जा रहा है। सवाल यह है कि जब दूध का उत्पादन ही नहीं बढ़ रहा तो फिर खोवा की आपूर्ति कैसे दिन-ब-दिन बढ़ रही है। हकीकत यह है कि जो खोवा बाजार में खपाया जा रहा है वह दूध से बना ही नहीं है। वह पूरी तरह से नकली है। जिला मुख्यालय में पांच जगहों पर नकली खोवा बनाने का काम चल रहा है।
एक कारखाना तीन साल पहले बंबी रोड पर पकड़ा गया था। तब होश उड़ा देने वाली बात उजागर हुई कि किस तरह यूरिया, मैदा, डिटरजेंट पाउडर, चीनी व फ्लेवर वाले स्प्रे से नकली खोवा तैयार किया जाता है। उसे खाने पर बात एक बार भी शक नहीं होगा खोवा नकली है। माधौगढ़, गोहन, रामपुरा, कुठौंद, कालपी क्षेत्र में अब तमाम माफिया में अपने पुराने धंधे बंद कर नकली खोवा बनाने का काम करने लगे हैं।
खाद्य सुरक्षा विभाग को इस बात की अच्छी तरह से जानकारी होती है कि खोवा किसी कारखाने में तैयार नहीं हो सकता है, उसके लिए दूध की जरूरत होती है। दस क्विंटल खोवा तैयार करने लिये कम से कम एक हजार लीटर दूध की आवश्यकता होती है। खोवा के कारखानों पर खोवा तो मिल जाएगा लेकिन दूध सौ लीटर भी नहीं दिखाई देता। दूध कहां से आ रहा है इसका रिकार्ड भी नहीं होता लेकिन इसके बावजूद सीधे कार्रवाई करने के बजाए, खाद्य सुरक्षा विभाग कानून की विसंगति का हवाला देते हुए सिर्फ नमूने भरकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता। कारखाना संचालित करने वालों को भी नमूना देने से कोई एतराज नहीं होता।
नकली खोवा न सिर्फ जनपद जालौन में खप रहा है बल्कि इस कारोबार से जुड़े माफिया का नेटवर्क प्रदेश के कई जनपदों तक फैला हुआ है। पैकिंग कर बसों व ट्रेनों में किराया देकर उसे सप्लाई किया जाता है। इससे नकली खोवा के रास्ते में कहीं पकड़े जाने का भी खतरा नहीं रहता है।
यूं तो नकली खोवा बनाने का काम जिले में साल भर चलता है। लेकिन दीपावली पर्व पर घर-घर मिठाई बनाई जाती है। इस वजह से त्योहार के अवसर पर नकली खोवा की खपत सौ गुना तक बढ़ जाती है। हालात यह है कि चौबीसों घंटे कारखानों में नकली खोवा बनाने का काम चल रहा है। कुछ जगहों पर सिटी मजिस्ट्रेट व खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने छापेमारी की, लेकिन इसके बावजूद जहर के कारोबार पर पूरी तरह से नियंत्रण नहीं हो पाया है।
वहीं सिटी मजिस्ट्रेट एन पी पाण्डेय का कहना है कि सिंथेटिक खोवा के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। टीम ने शहर में खोवा कारखानों पर छापेमारी की है। नमूने भरे गए हैं। इसके अलावा जिलेभर में मिलावटी खोवा बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
(साभार-दैनिक जागरण)
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